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मेरा पति देशद्रोही नहीं हो सकता

किसी दुश्मन ने साजिश कर फंसाने का काम किया कर्ज लेकर डेढ़ लाख रुपया पेप्सी मशीन के लिए दिये थे मांझा : दो मासूम बच्चों को गोद में लिये गुड्डी देवी की आंखों से जार-जार आंसू बह रहा था. उसे यकीन नहीं हो रहा है कि उसका पति देशद्रोही हो सकता है. उसने ऐसा कोई […]

किसी दुश्मन ने साजिश कर फंसाने का काम किया

कर्ज लेकर डेढ़ लाख रुपया पेप्सी मशीन के लिए दिये थे
मांझा : दो मासूम बच्चों को गोद में लिये गुड्डी देवी की आंखों से जार-जार आंसू बह रहा था. उसे यकीन नहीं हो रहा है कि उसका पति देशद्रोही हो सकता है. उसने ऐसा कोई काम किया है, जिससे उसके परिवार या इस मातृभूमि के दामन पर दाग लगे. गुड्डी बार-बार एक ही बात कह रही थी. किसी दुश्मन ने साजिश कर फंसा दिया. मुकेश की पत्नी को भरोसा है कि उसे न्याय मिलेगा. मुकेश बेदाग जेल से बाहर आयेगा. दोनों मासूम बच्चे उसकी गोद में बैठे चुपचाप लोगों के चेहरे देख रहे थे. वे समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर क्या हो रहा है. बगल में बैठी बहन रीना देवी कहती है कि उसका भाई अपने पैरों पर खड़ा होना चाहता था.
पेप्सी की दुकान करने के लिए डेढ़ लाख रुपये ससुराल, बहन के घर तथा रिश्तेदारों से उधार लेकर गोरखपुर गया था, जहां वह साजिश का शिकार हो गया. बता दें कि जलेश्वर प्रसाद गांव के बगल के शेख परसा प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं. उनका इलाके में अपना पहचान है. इन्हें दो बेटा और बेटियां हैं. बेटा मुकेश कुमार की शादी 2011 में सीवान के मैरवा में गुड्डी से की थी. उन्हें दो बच्चा सोनी और सत्यम है. पूरे परिवार को मुकेश की गिरफ्तारी के बाद काफी मलाल है.
कार्ड स्वैप कर रुपये निकालता था दयानंद
इस नेटवर्क से जुड़े लोग बैंक में जाकर रुपये निकालने से बचते थे. उन्हें डर रहता था कि बैंकों में लगे सीसीटीवी कैमरे में उनकी तस्वीर आ सकती है. इसकी वजह से वे कभी भी पकड़े जा सकते हैं. इसलिए आमतौर से पेट्रोल पंपों पर कार्ड स्वैप कर रुपये निकाले जाते थे. पेट्रोल पंप पर काम करने वाला गोरखपुर के खोराबार का दयानंद यह काम आसानी से कर लेता था. विभिन्न पेट्रोल पंपों पर काम करने वाले कर्मचारियों को कमीशन देकर आसानी से वह बड़ी रकम निकालने में सफल हो जाता था.
एटीएस की गिरफ्त में आये मुकेश प्रसाद समेत कई युवक गोरखपुर के नईम एंड सन्स फर्म के संचालक नसीम अहमद और अरशद नईम के साथ जुड़कर काम करते थे. इनके तार नेपाल, पाकिस्तान और अरब देशों से जुड़े हैं. दोनों भाई अक्सर इन देशों की यात्रा करते रहते थे. छानबीन में पता चला है कि टेरर फंडिंग के लिए रकम बांग्लादेश से नेपाल भेजा जाता था. वहां से इस रकम को पाकिस्तान भेजा जाता था. पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हैंडलर के कहने पर नईम एंड संस के मालिक नईम अहमद और उसके बेटे नसीम अहमद व अरशद नईम अपने खाते से रकम फर्जी नाम व पते पर खोले गये खातों में भेजते थे.
उन खातों से रकम निकालकर देश विरोधी तत्वों तक पहुंचायी जाती थी. हैंडलर के पास सभी खातों की डिटेल मौजूद थी. वह ही बताता था कि किस खाते में कितनी रकम भेजनी है. फर्जी नाम व पते पर खोले गये खातों से रकम कौन निकालता था और कहां पहुंचाता था, एटीएस इसका पता लगाने में जुटी है. केरल और पूर्वोतर के कई राज्यों के बैंकों में खुले खातों में रकम भेजे जाने का पता चला है.
हनी ट्रैप के जरिये करते थे रकम का इंतजाम
टेरर फंडिंग करने वाले नेटवर्क से जुड़े लोग रकम का इंतजाम करने के लिए कभी-कभी हनी ट्रैप का भी सहारा लेते थे. एटीएस की छानबीन में पता चला है कि खूबसूरत युवतियों की मदद से ये लोग अमीर लोगों को अपने जाल में फंसाते थे. बाद में उन्हें ब्लैकमेल करके उनसे बड़ी रकम फर्जी नाम व पते वाले खाते में ट्रांसफर करवाते थे.
हवाला कारोबार से जुड़े कई लोग निशाने पर
एटीएस की पड़ताल में हवाला कारोबार और टेरर फंडिंग नेटवर्क से जुड़े गोपालगंज के कई अन्य लोगों के बारे में पता चला है. इनके बार में स्थानीय पुलिस को जानकारी देकर एटीएस ने छानबीन करने को कहा है. संदेह के दायरे में आये लोग अब पुलिस के निशाने पर हैं.

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