गोपालगंज : 22 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार को राज्य का दर्जा दिया गया था. बिहार का काफी गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन आज वह स्थिति कहीं भी नहीं दिख रही है. बिहार को अपना गौरव हासिल करने के लिए सरकार, समाज और प्रशासन तीनों को मिलकर कई प्रयास करने होंगे. ये बातें ‘प्रभात खबर’ की ओर से शुक्रवार को शहर के डीएवी बालिका स्कूल में आयोजित परिचर्चा में बुद्धिजीवियों ने कहीं.
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संस्कृति आधारित हो शिक्षा, युवा हों सबल, पलायन पर लगे रोक
गोपालगंज : 22 मार्च, 1912 को बंगाल प्रेसिडेंसी से अलग होकर बिहार को राज्य का दर्जा दिया गया था. बिहार का काफी गौरवशाली इतिहास रहा है, लेकिन आज वह स्थिति कहीं भी नहीं दिख रही है. बिहार को अपना गौरव हासिल करने के लिए सरकार, समाज और प्रशासन तीनों को मिलकर कई प्रयास करने होंगे. […]
‘कैसे हासिल होगा बिहार का गौरव’ विषय पर आयोजित परिचर्चा में बुद्धिजीवियों ने शिक्षा और कृषि के विकास सहित धर्मवाद-जातिवाद मुक्त समाज बनाने पर जोर दिया. वक्ताओं का कहना था कि शिक्षा संस्कृति आधारित हो, युवा सबल हों, पलायन रोकने के लिए कारगर कदम उठाये जाएं. शिक्षकों को पठन-पाठन के अलावा अन्य कार्यों से मुक्त रखा जाये, शिक्षा के
संस्कृति आधारित हो…
प्रति सरकार सजग हो, महापुरुषों की जीवनी बच्चों को सुनायी जाये, बच्चों को उनके आदर्शों का पालन करने की सीख दी जाये. युवाओं को राष्ट्रहित के प्रति जागरूक किया जाये, प्रतिभाओं का पलायन रोकने के उपाय हों, लोग नकारात्मक सोच को बदलें और सकारात्मक सोच को अपनाएं. जातिवाद और धर्मवाद की भावना से लोग दूर हों, भ्रष्टाचार खत्म हो और राजनीतिक, शैक्षणिक, प्रशासनिक व सांस्कृतिक सहित सभी पक्ष मजबूत हों तभी बिहार को अपना गौरव फिर से हासिल हो सकेगा.
हर जिले में खुलें मेडिकल, इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट संस्थान
दंत चिकित्सक डॉ आशीष तिवारी ने कहा कि सूबे में उच्च शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं है. छात्रों की संख्या के अनुपात में सूबे में इंजीनियरिंग व मेडिकल कॉलेज नहीं हैं. साथ ही मैनेजमेंट कोर्स के लिए भी उचित संस्थानों की भारी कमी है. जिले में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. यहां की प्रतिभाएं दूसरे राज्यों व विदेशों में जाकर वहां का विकास करने में अपनी अहम भूमिकाएं निभा रही हैं. सरकार को चाहिए कि सूबे के हर जिले में एक-एक मेडिकल , इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेज सह संस्थानों की स्थापना करे. सूबे से प्रतिभाओं का पलायन रुकेगा तो यहां पर इसी माटी की प्रतिभाएं सूबे के विकास में अहम रोल अदा करेंगे.
शिक्षकों को पठन-पाठन के अलावा अन्य कार्यों से मुक्त रखें : रिटायर्ड शिक्षिका माधुरी सिन्हा ने कहा कि सरकारी स्कूलों में ही छोटे बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल पा रही है. बच्चों को न समय पर किताबें मिलती हैं और न ही नियमित कक्षाओं का संचालन होता है. शिक्षकों को पठन-पाठन कार्य के अलावा भवन बनाने, एमडीएम संचालन करने, सरकारी कई कामों में प्रतिनियुक्त होने सहित अन्य कार्य सौंप दिये गये हैं. इससे शिक्षक स्कूलों में पूरा समय पठन-पाठन के लिए नहीं दे पाते हैं. जब छोटे-छोटे बच्चों को ही उचित शिक्षा नहीं मिलेगी तो आगे भविष्य क्या होगा. सरकार को चाहिए कि वह शिक्षकों को अन्य कार्यों से मुक्त रखे. इससे नियमित कक्षाओं का संचालन हो सकेगा.
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