इस्तेमाल के लायक नहीं रह गया है शौचालय
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50 हजार लोगों के लिए मात्र छह शौचालय, वे भी बदतर
इस्तेमाल के लायक नहीं रह गया है शौचालय गोपालगंज : शहर को स्वच्छ बनाने का सपना टूटता दिखायी दे रहा है. शहर की स्थिति स्वच्छता के मामले में सबसे खराब है. शहर में बने सार्वजनिक शौचालयों में एक भी नहीं है जिसका इस्तेमाल किया जा सके. इसको देखनेवाला कोई नहीं है. वैसे तो शहर में […]
गोपालगंज : शहर को स्वच्छ बनाने का सपना टूटता दिखायी दे रहा है. शहर की स्थिति स्वच्छता के मामले में सबसे खराब है. शहर में बने सार्वजनिक शौचालयों में एक भी नहीं है जिसका इस्तेमाल किया जा सके. इसको देखनेवाला कोई नहीं है. वैसे तो शहर में कुल छह सार्वजनिक शौचालय हैं. पर, वे इस कदर गंदे हैं कि लोग जाना नहीं चाहते हैं. दरअसल जरूरत के हिसाब से शहर में शौचालयों की संख्या बेहद कम है, लेकिन जहां कहीं भी इसकी सुविधा है उसकी हालत खराब है. सफाई और रखरखाव की कमी के चलते यह इस्तेमाल करने लायक नहीं है.
स्वच्छता के विस्तार में सार्वजनिक शौचालयों की भागीदारी की अहमियत से हम सभी वाकिफ हैं,
लेकिन इनकी बदहाली से होनेवाली परेशानी विभागीय लापरवाही और उदासीनता को दिखाता है. शहर में डाकघर चौक, बंजारी, अस्पताल कैंपस, बस स्टैंड, बड़ी बाजार, कचहरी परिसर में स्थित सार्वजनिक शौचालयों की बदहाली से लोग इस कदर परेशान हैं कि वे इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं. सभी शौचालय सुलभ इंटरनेशनल के तहत चलते हैं. इनके इस्तेमाल पर 10 रुपये का शुल्क भी अदा करना पड़ता है.
मूत्रालय का भी शहर में अभाव : शहर में नगर पर्षद, डूडा के एग्रीमेंट पर सुलभ इंटरनेशनल के शौचालयों को छोड़ दिया जाये तो पूरे शहर में कहीं भी मूत्रालय का व्यवस्था नहीं है. नतीजा है कि लोगों को जहां-तहां खाली स्थान पर खड़ा होकर निबटना पड़ता है. इससे गंदगी फैलती है और लोगों को काफी परेशानी होती है.
मॉल व पेट्रोल पंप पर भी पब्लिक टॉयलेट नहीं : शहर के मॉल और पेट्रोल पंप पर भी पब्लिक टॉयलेट नहीं हैं. इसके कारण लोग दीवार पर ही पेशाब करते हैं. महिलाओं के लिए कोई व्यवस्था ही नहीं है. दो पेट्रोल पंपों को छोड़ दिया जाये तो अधिकतर में पब्लिक टॉयलेट नहीं है. यहां पब्लिक टॉयलेट नहीं होने के कारण परेशानी होती है. मॉल और पेट्रोल पंप पर भी पब्लिक शौचालय होना चाहिए.
बंजारी में शौचालय से निकलते लोग व बंद पड़ा पोस्ट ऑफिस चौक के पास बना शौचालय (इनसेट).
गूगल बतायेगा कहां
है शौचालय
यदि इमरजेंसी हो और आपको शहर के बारे में पता नहीं है तो गूगल आपकी मदद करेगा. साफ-सुथरा शौचालय खोजने में आप गूगल की मदद ले सकते हैं. गूगल लोकेटर के माध्यम से नजदीक के सामुदायिक या सार्वजनिक टायलेट की जानकारी मिल जायेगी. भारत सरकार के लिए स्वच्छता का सर्वेक्षण करनेवाली एजेंसी क्वालिटी काउंसिल आॅफ इंडिया ने गूगल के साथ समझौता किया है. जल्द ही एजेंसी की एक टीम गोपालगंज में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों का सर्वे करने आनेवाली है. इसके बाद यहां के शौचालयों को गूगल लोकेटर से जोड़ दिया जायेगा.
शहर में रोज आते हैं 60 हजार लोग
आसपास के कस्बों और दूसरे जिलों से हर दिन लगभग 60 हजार लोग काम से गोपालगंज शहर आते हैं. इस संख्या के हिसाब से सार्वजनिक शौचालयों की संख्या बहुत कम है. भीड़-भाड़ वाले बाजारों में नाम मात्र के सार्वजनिक शौचालय हैं. शहर को 10 सामुदायिक डिलक्स शौचालय की जरूरत है, जिसमें पाश्चात्य और भारतीय संस्कृति की सीट हो.
निगरानी के लिए बनेगी टीम
शहर में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति ठीक है. नगर पर्षद का फोकस घरों के शौचालयों को बेहतर बनाने पर है. भीड़-भाड़ वाले बाजारों में जगह नहीं होने के कारण सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण नहीं हो पा रहा है. शौचालयों की निगरानी के लिए टीम बनायी जायेगी. इसके अलावा मॉल और पेट्रोल पंप पर भी पब्लिक शौचालय बनवाने के लिए नोटिस भेजा जायेगा.
हरेंद्र चौधरी, मुख्य पार्षद, नप, गोपालगंज
महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था नहीं
शहर के मौनिया चौक, मेन रोड, चंद्रगोखुल रोड, जंगलिया रोड, सिनेमा रोड, श्याम सिनेमा रोड, पुरानी चौक, घोष मोड़ जैसे प्रमुख चौराहों पर खरीदारी करने के लिए आनेवालों में महिलाओं की संख्या लगभग 75 फीसदी रहती है. सुबह से शाम तक महिलाओं की भीड़ लगी रहती है. लेकिन, इनके लिए शौचालय और मूत्रालय की अलग से व्यवस्था नहीं है. शहर के सार्वजनिक शौचालय इस कदर गंदा रहता है कि महिलाएं उसका प्रयोग नहीं करतीं.
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