गोपालगंज : लश्कर- ए- तैयबा का आतंकी शेख अब्दुल नईम जब गोपालगंज पहुंचा तो वह फर्राटेदार अंग्रेजी बोलकर युवाओं को अपने प्रभाव में कर लेता था. जब 2014 में गोपालगंज पहुंचा तो उसकी मुलाकात बंजारी के युवक से हुई थी. वह चैतन्य गुरुकुल चमनपुरा का छात्र था. उसके 2015 में परीक्षा देकर निकलने के साथ ही उसके सहयोग से नईम ने अपनी पैठ बना कर अपने मंसूबे में सफल होने लगा. नईम से सोहैल खान बनकर छात्रों में अपनी पहचान बना ली.
नईम हर वक्त कोर्ट,टाई में क्लीन सेव रहता था. लोगों को अंदाजा तक नहीं था कि इस सुंदर चेहरा में खतरनाक खौफ छुपा हुआ है. अपनी स्मार्ट लर्नर एकेडमी दिखावे के लिए खोलकर अपनी मजबूत पैठ बना ली.
और भूमिगत होने लगे फेरीवाले : सुरक्षा एजेंसियों ने जब गोपालगंज में डेरा डाल कर जांच शुरू की और जिले की पुलिस के हाई अलर्ट जारी होने के बाद एक-एक कर आश्चर्यजनक रूप से फेरी वाले भूमिगत होने लगे हैं. पिछले तीन- चार वर्षों से पं बंगाल, किशनगंज, यूपी के रामपुर, सुल्तानपुर के रहने वाले बता कर इलाके में कपड़ा,ऊनी चादर, प्लास्टिक के सामान फेरी लगाकर बेचते थे. इन दिनों पुलिस की बढ़ती निगरानी को देखते हुए इनकी संख्या घटने लगी है. ग्रामीण राजेश प्रसाद ने बताया कि बंजारी में किराये के मकान में दर्जन भर फेरीवाले रहते थे, जो चार-पांच दिनों पूर्व ही गायब हो गये हैं. हालांकि इस ओर पुलिस अधिकारियों का ध्यान नहीं है.