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नोटबंदी के एक साल, फिर भी गोपालगंज में बैंक ”कंगाल”

शादी-विवाह के समय एटीएम में भी कैश की किल्लत कैश की समस्या खत्म होती गयी, तो लोग नकदी पर दे रहे जोर गोपालगंज : शादी-विवाह के समय एटीएम में कैश की किल्लत से ग्राहक बेहाल हैं. महीनों से लोग अपने पैसे के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं. लोगों के आवश्यक कार्य तक ठप पड़े हैं. […]

शादी-विवाह के समय एटीएम में भी कैश की किल्लत

कैश की समस्या खत्म होती गयी, तो लोग नकदी पर दे रहे जोर
गोपालगंज : शादी-विवाह के समय एटीएम में कैश की किल्लत से ग्राहक बेहाल हैं. महीनों से लोग अपने पैसे के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं. लोगों के आवश्यक कार्य तक ठप पड़े हैं. मंगलवार को सिपाया स्थित ग्रामीण बैंक की शाखा से मात्र पांच हजार रुपये की निकासी की गयी. तिलक-विवाह, इलाज सहित अन्य कार्यों के लिए पैसा निकालने पहुंचे लोगों को निराश होकर लौटने पर विवश होना पड़ा. बैंक से जुड़े ग्राहक सेवा केंद्रों पर पांच सौ से हजार रुपये तक देकर किसी तरह लोगों को टालने का काम किया जा रहा है. शहर में 27 एटीएम हैं, लेकिन 23 एटीएम में कैश नहीं है. ग्राहक संजय सिंह, राकेश कुमार सिंह उर्फ कंकड़, अमरजीत यादव ने बताया कि महीनों से एटीएम बंद हैं. कैश के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
ग्राहकों को डिजिटल ट्रांजेक्शन की नसीहत
नोटबंदी के दौरान नकदी संकट होने पर डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा हुआ था. जैसे-जैसे कैश की समस्या खत्म होती गयी, लोग फिर ज्यादा-से-ज्यादा भुगतान नकदी के रूप में करने लगे. कैश रखने शुरू कर दिये. नतीजा, फिर नकदी संकट खड़ा हो गया. लगभग एक महीने से बैंकों में नकदी संकट चल रहा है. बैंकों की करेंसी चेस्ट खाली हो गयी है. कैश की मांग बढ़ी तो आरबीआई ने कहा कि बैंक डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दें. ग्राहकों को इसके बारे में जागरूक करें. बताएं कि किस-किस प्रकार से डिजिटल ट्रांजेक्शन किया जा सकता है. यह कितना सुरक्षित है. इससे कितनी सहूलियत है. लीड बैंक (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) के मैनेजर राजन पांडेय का कहना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का जोर है कि ग्राहक ज्यादा-से-ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन करें. इसके बारे में उन्हें जागरूक किया जाये. बैंक अपने स्तर से ग्राहकों को जागरूक भी कर रहे हैं. इसका और प्रचार-प्रसार किया जायेगा.
जरूरत पांच सौ करोड़ की मिले 50 करोड़
भारतीय स्टेट बैंक के चेस्ट से गोपालगंज के अधिकतर बैंकों को कैश की आपूर्ति होती है. स्टेट बैंक की चेस्ट को प्रतिमाह पांच सौ करोड़ की जरूरत है. इसके एवज में महज 50 करोड़ राशि उपलब्ध हो पा रही है. आरबीआई डिमांड के अनुरूप कैश उपलब्ध नहीं करा रही जिसके कारण बैंक एक बार फिर नोटबंदी के बाद संकट से जूझने लगे हैं. स्टेट बैंक के मुख्य प्रबंधक संजीव कुमार सिंह ने बताया कि 100 का नोट पुराना होने से एटीएम में नहीं डाला जा रहा है. बड़े नोटों की किल्लत है. इसके कारण एटीएम पर भी कैश का संकट है.
आरबीआई से नहीं मिल रहे 2000 रुपये के नोट
उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक प्रभात कुमार ने बताया कि आरबीआई से 2000 के नोट नहीं मिल रहे हैं. ग्रामीण बैंक को प्रतिदिन एक करोड़ रुपये की जरूरत है. दूसरे बैंकों से उधार लेकर भुगतान करना पड़ रहा है. जिस शाखा में जाता हूं वहां सिर्फ कैश की किल्लत सबसे बड़ी समस्या होती है. ग्राहक डिपॉजिट निकाल कर दूसरे बैंकों में जा रहे हैं. पूरी तरह से ग्रामीण बैंक प्रभावित है.
मैं अपने स्तर से मैनेज कर काम चलवा रहा हू्ं.

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