जल संसाधन के क्षेत्र में शोध पर सफलता
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गांव की बेटी को मिला जर्मनी का ग्रीन टैलेंट अवार्ड
जल संसाधन के क्षेत्र में शोध पर सफलता पंचदेवरी (गोपालगंज) : ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरत है सही मार्गदर्शन की. यदि उन्हें ससमय सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिले, तो वे पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा सकती हैं. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज सबके सामने है. एक सुदूर ग्रामीण […]
पंचदेवरी (गोपालगंज) : ग्रामीण क्षेत्र की बेटियों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस जरूरत है सही मार्गदर्शन की. यदि उन्हें ससमय सही मार्गदर्शन और प्रोत्साहन मिले, तो वे पूरी दुनिया में अपना परचम लहरा सकती हैं. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आज सबके सामने है. एक सुदूर ग्रामीण क्षेत्र की बेटी ने जो कर दिखाया है, उससे न सिर्फ उसके परिवार और क्षेत्र के लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, बल्कि पूरा देश अपनी इस बेटी पर गर्व कर रहा है.
गोपालगंज के पंचदेवरी के डॉ हरेंद्र प्रसाद लाल उर्फ हरि बाबू की बेटी प्रतीक्षा श्रीवास्तव को जर्मनी सरकार ने ग्रीन टैलेंट अवार्ड- 2017 से सम्मानित किया है. इस अवार्ड के लिए दुनिया के 21 देशों से 25 युवा वैज्ञानिकों का चयन किया गया था, जिनमें पंचदेवरी की यह बेटी भी शामिल है. इस वर्ष ग्रीन टैलेंट अवार्ड पानेवालों में वह सबसे कम उम्र की युवा वैज्ञानिक है. 27 अक्तूबर की शाम जर्मनी की राजधानी बर्लिन में प्रतीक्षा को इस
गांव की बेटी…
अवार्ड से सम्मानित किया गया. अवार्ड मिलते ही डॉक्टर पिता, मां ललिता देवी, भाई अर्पित श्रीवास्तव सहित अन्य परिजनों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गयी. मां-बाप के सपनों को गांव की मिट्टी में पली इस बेटी ने साकार कर दिया है. जल संसाधन रिसर्चर के रूप में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट को लेकर प्रतीक्षा को यह अवार्ड मिला है. उसने अशुद्ध पानी के पुनःचक्रण के लिए एक अनोखा तकनीक विकसित की है.
इसके तहत अशुद्ध पानी को काफी तीव्र गति से शुद्ध पानी में बदल कर उपयोग में लाया जा सकता है. उसने भुवनेश्वर में इस तकनीक पर आधारित एक अनोखे टॉयलेट का निर्माण किया है. उसने यह तकनीक पर्यावरण सुरक्षा व पानी की हो रही कमी के दृष्टिकोण से विकसित की है. ज्योति विद्यापीठ महिला विश्वविद्यालय, जयपुर से बायोटेक्नोलॉजी से एमटेक की डिग्री हासिल करने के बाद वह 2014 से
आईआईएमटी भुवनेश्वर में वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट के प्रोजेक्ट पर कार्य कर रही थी.
इसके लिए पूर्व में भी उसे भारत सरकार व नीदरलैंड सरकार द्वारा प्रतिष्ठित एनएफपी फेलोशिप द्वारा भी पुरस्कृत किया जा चुका है. वर्तमान में वह आस्ट्रेलिया के तस्मानिया विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रही है. जल संसाधन रिसर्च से संबंधित उसके कई शोध पेपर प्रकाशित हो चुके हैं. साथ ही उसके शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी मिल चुकी है.
गांव की बेटियों के लिए मिसाल बनी प्रतीक्षा
प्रतीक्षा ग्रामीण क्षेत्र की उन बेटियों के लिए मिसाल बन चुकी है, जो संसाधनों के अभाव में अपना धैर्य खोकर पढ़ाई छोड़ देती हैं. आज पूरा देश अपनी इस बेटी पर गर्व कर रहा है. प्रतीक्षा के पिता हरेंद्र प्रसाद लाल एक मामूली प्राइवेट डॉक्टर हैं. बच्चों की शिक्षा के लिए उन्होंने भी अपने जीवन में काफी संघर्ष किया है. वे बताते हैं कि प्रतीक्षा विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोती है. इसका नतीजा है कि वह शुरू से मेधावी व टॉपर रही है और आज पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रही है.
प्रतीक्षा ने कहा कि इस अवार्ड के मिलने के बाद दुनिया से बधाइयां मिल रही हैं. मुझे काफी खुशी भी है. अफसोस सिर्फ इस बात का है कि भारत से कोई प्रतिनिधि वहां नहीं पहुंचा था, जबकि मेरे अलावा भारत के अन्य दो युवा वैज्ञानिकों को भी यह अवार्ड मिला है. सरकार द्वारा हमलोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. वहीं, अवार्ड पानेवाले अन्य देश के वैज्ञानिकों को वहां के प्रतिनिधियों ने बधाई देकर प्रोत्साहित किया है.
क्या है ग्रीन टैलेंट अवार्ड
यह जर्मनी सरकार द्वारा प्रतिवर्ष दिया जानेवाला एक सम्मानित अवार्ड है, जो मुख्य रूप से पर्यावरण की रक्षा से संबंधित महत्वाकांक्षी शोध कार्यों के लिए दुनिया के विभिन्न देशों से चयनित युवा वैज्ञानिकों को दिया जाता है. इसके अंतर्गत वैश्विक तापमान, ऊर्जा, जल संसाधन, हरित क्षेत्र व पर्यावरणीय चुनौतियां आदि से संबंधित शोध कार्य शामिल हैं. इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देनेवाले वैज्ञानिक जर्मनी सरकार के फेडरल मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन एंड रिसर्च द्वारा ग्रीन टैलेंट अवार्ड से सम्मानित किये जाते हैं.
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