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बिना लाइसेंस नहीं बिकेंगे पटाखे

गोपालगंज : दीपावली आते ही शहर में पटाखों की दुकानें दिखने लगी हैं. सभी दुकानें गैर लाइसेंसी हैं. स्थानीय प्रशासन जान कर भी अनजान बना है. पटाखे की बिक्री करने के लिए अनुमंडल कार्यालय से लाइसेंस लेना होता है. जिले में पटाखों का कारोबार करीब 5.34 करोड़ से अधिक का होता है. यह व्यवसाय महज […]

गोपालगंज : दीपावली आते ही शहर में पटाखों की दुकानें दिखने लगी हैं. सभी दुकानें गैर लाइसेंसी हैं. स्थानीय प्रशासन जान कर भी अनजान बना है. पटाखे की बिक्री करने के लिए अनुमंडल कार्यालय से लाइसेंस लेना होता है. जिले में पटाखों का कारोबार करीब 5.34 करोड़ से अधिक का होता है. यह व्यवसाय महज दो दिनों में होता है.

इसमें 30 फीसदी सिर्फ शहर का आंकड़ा है. पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस के लिए एसडीओ को आवेदन देना होगा. उनके आवेदन की सत्यता जानने के बाद लाइसेंस बनेगा. हालांकि गोपालगंज और हथुआ अनुमंडल में अभी एक भी आवेदन नहीं आया है, जबकि शहर और छोटे-बड़े बाजारों में पटाखाें की दुकानें सजने लगी हैं.

लाइसेंस पाने का क्या है नियम
लाइसेंस पाने के लिए विक्रेताओं को सबसे पहले सरकार के शीर्ष हेड में R0070601030001 में छह सौ रुपये का चालान स्टेट बैंक के मुख्य ब्रांच में जमा करना होगा. इसके बाद अनुमंडल कार्यालय में दुकानदार अपने नाम से आवेदन देगा. सीओ के स्तर पर दुकान खोले जाने का भौतिक सत्यापन होगा, फिर लाइसेंस निर्गत किया जायेगा.
करें नियम का पालन
पटाखों के भंडारण और बिक्री पर पाबंदी है. बिना अनुमति के विस्फोटक बेचने पर दुकानदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. हर दुकानदार को नियमों का पालन करना होगा. भौतिक सत्यापन के बाद लाइसेंस दिया जायेगा.
शैलेश कुमार दास, एसडीओ, गोपालगंज
शहर और बाजारों में सजने लगीं पटाखाें की दुकानें
दिन में 55 और रात में 45 डेसिबल होनी चाहिए आवाज
नियमों के मुताबिक शोर का मानक शहरी क्षेत्र में सुबह छह से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल और रात 10 से सुबह छह बजे तक 45 डेसिबल रहना चाहिए. इससे ज्यादा ध्वनि या शोर कुछ समय बाद मानव को बेचैन करते हैं. 95 डेसिबल की आवाज कान को प्रभावित करती है और 110 डेसिबल से ज्यादा आवाज हो, तो कान का पर्दा फटने का डर रहता है. बाजार में बिकनेवाले अधिकतर पटाखे की ध्वनि क्षमता 120 डेसिबल या उससे ज्यादा होती है.
पटाखा कारोबार का क्या है नियम
भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम के तहत पटाखों का कारोबार 1884 में अंग्रेजों द्वारा बनाये गये एक्सप्लोसिव एक्ट और 1908 में बनाये गये एक्सप्लोसिवसब्सटेंसएक्ट के तहत बनाये गये एक्सप्लोसिव रूल्स के अंतर्गत किया जाता है. इमारत में इस तरह की चीजें नहीं होनी चाहिए जो आसानी से आग पकड़ती हों. निर्धारित सीमा से अधिक पटाखों को रखने की इजाजत नहीं दी जाती है.1984 और विस्फोटक विनियम 2008 के अध्याय सात में आतिशबाजी की स्थायी व अस्थायी दुकानों के लिए नियम हैं.
होलसेल लाइसेंसधारक इनका पालन करने के लिए बाध्य हैं. भले ही उन्होंने स्थायी या अस्थायी लाइसेंस लिया है. नियम 83 के अनुसार पटाखा बिक्री की स्थायी दुकान कंक्रीट से बनी हुई हो. आकार नौ वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होना चाहिए. दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या चिनगारी पैदा करनेवाला सामान नहीं होना चाहिए. जगह ऐसी हो, जहां अग्निशमन वाहन तत्काल पहुंच सके.

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