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गुरुआ विधानसभा क्षेत्र से महिलाएं नहीं जुटा पातीं चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत

गुरुआ विधानसभा क्षेत्र 1977 के परिसीमन में बनने के बाद यहां 12वीं बार विधानसभा चुनाव हो रहा है. लेकिन, अभी तक मात्र दो बार के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी है.

प्रमोद कुमार वर्मा, गुरुआ : गुरुआ विधानसभा क्षेत्र 1977 के परिसीमन में बनने के बाद यहां 12वीं बार विधानसभा चुनाव हो रहा है. लेकिन, अभी तक मात्र दो बार के विधानसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनाव मैदान में उतरी है. 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से 49 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे. इसमें एक महिला प्रत्याशी बसंती देवी विधानसभा चुनाव लड़ी थी. बसंती देवी बांकेबाजार के रहने वाली थी.

उनकी अपनी विधानसभा क्षेत्र इमामगंज को सुरक्षित होने के कारण उस विधानसभा क्षेत्र के लोग गुरुआ विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लड़ने की मन बनाते हैं. फिलहाल आधा दर्जन पुरुष उम्मीदवार इमामगंज विधानसभा क्षेत्र के निवासी होने के बाद भी गुरुआ विधानसभा क्षेत्र से किस्मत आजमाने के फिराक में लगे हुए हैं.

दूसरी महिला उम्मीदवार के रूप में उषा कुमारी 2010 के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमायी थीं. उषा देवी परैया प्रखंड के इटवां गांव के रहने वाली थीं. वह पुराने राजनीतिक घराने से आती थीं. लेकिन, वह भी एक बार चुनाव लड़ने के बाद दूसरी बार कभी मैदान में आने के लिए नहीं सोचीं. लेकिन, कोई महिला उम्मीदवार इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव मैदान में आने के लिए बड़ी पार्टियों के टिकट के करीब नहीं पहुंची है.

इससे यह साबित हो रहा है कि पंचायत चुनाव में महिलाएं आरक्षण के कारण आसानी से मुखिया और जिला पार्षद बन रही हैं. जब तक विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं को आरक्षण नहीं होगा, तब तक विधानसभा की राजनीतिक में महिलाएं आगे नहीं आएंगी.

posted by ashish jha

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