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पास होंगे या फेल, पांच सौ शहरों के बीच प्रतियोगिता

गया: क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की ओर से गया नगर निगम क्षेत्र में सर्वेक्षण के लिए पहुंची स्वच्छ सर्वेक्षण टीम कागजों का पुलिंदा लेकर वापस लौट गयी. निगम के अधिकारी ने हर संभव प्रयास किया कि टीम के सदस्यों को मीडिया से दूर रखा जाये. सर्वेक्षण टीम के आने से पहले हर तरह की जानकारी […]

गया: क्वालिटी कंट्रोल ऑफ इंडिया की ओर से गया नगर निगम क्षेत्र में सर्वेक्षण के लिए पहुंची स्वच्छ सर्वेक्षण टीम कागजों का पुलिंदा लेकर वापस लौट गयी. निगम के अधिकारी ने हर संभव प्रयास किया कि टीम के सदस्यों को मीडिया से दूर रखा जाये. सर्वेक्षण टीम के आने से पहले हर तरह की जानकारी सार्वजनिक की जा रही थी, लेकिन साफ-सफाई से टीम के सदस्य नाखुश दिखे, तो निगम अधिकारी टीम की गतिविधियों के बारे में बताने से बचते रहे.
नगर निगम क्षेत्र में साफ-सफाई से टीम के सदस्य संतुष्ट नहीं दिखे. टीम के सदस्य कई जगहों पर गया नगर निगम के कामकाज से नाराज नजर आये. ऐसे में माना जा रहा है कि गया को बहुत अच्छे अंक नहीं मिलनेवाले. स्वच्छ सर्वेक्षण की टीम देश के 500 शहरों में जाकर वहां साफ-सफाई व अन्य पहलुओं की जांच कर रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि 500 शहरों की फेहरिस्त में गया शायद ही अच्छा स्थान प्राप्त कर सके. हालांकि, निगम के सफाई प्रभारी शैलेंद्र कुमार सिन्हा ने नगर आयुक्त से कहा कि टीम के सदस्य यहां की व्यवस्था से काफी संतुष्ट होकर गये हैं. सभी तरह की रिपोर्ट टीम के सदस्यों को सौंप दी गयी है.
इन मोरचों पर निगम रहा फेल : साफ-सफाई, कचरा प्रबंधन, शौचालय उपयोग को लेकर जागरूकता व बस स्टैंडों में बेहतर व्यवस्था के मामले में निगम फेल दिखा. सर्वेक्षण टीम को निगम अधिकारियों ने उन्हीं जगहों पर भेजने पर बल दिया, जहां उन्हें लगा कि साफ-सफाई ठीकठाक हुई थी. बुधवार को टीम के सदस्य शंकर लाल ने नारायणचुआं सार्वजनिक शौचालय के निरीक्षण के दौरान कुव्यवस्था की रिपोर्ट मुख्यालय में भेजी. यहां सिर्फ व्यावसायिक क्षेत्र में डस्टबीन रखे जाने का मामला सामने आया. गलियों में डस्टबीन नहीं रखने के सवाल पर निगम के कर्मचारियों ने टीम से कहा कि किन्हीं कारणों से गलियों में डस्टबीन नहीं रखे जा सकते. कचरे का उठाव घर-घर जाकर किया जाता है. इस पर स्थानीय लोगों ने विरोध किया. लोगों का कहना था कि यहां न ही शौचालय की व्यवस्था है और न ही कचरे का उठाव किया जाता है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाने के लिए लाभुक चयन में भी काफी अनियमितता बरती गयी है. वार्ड 44 में 22 लोगों को योजना के तहत मिलनेवाली पहली किस्त दो-दो बार दे दी गयी है. इसके साथ ही निगम में बहाल टैक्स कलेक्टर के बेटे के नाम से इस योजना का लाभ दिया गया. कई जरूरतमंद लोगों को अब तक इस योजना का लाभ नहीं मिल सका है.
टीम के रहने तक चकाचक दिखा निगम परिसर
निगम कार्यालय परिसर में टीम के रहने तक साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया. हर जगह दिन में कई बार झाड़ू लगाये गये. निगम कार्यालय परिसर के केदारनाथ मार्केट की ओर खुलनेवाले दरवाजे को बंद रखा गया. टीम जब सर्वेक्षण कर लौट गयी, तो सबकुछ पूर्व स्थिति लौट गया. मार्केट की तरफ का गेट खोल दिया गया, निगम परिसर में मवेशी घूमने लगे और जहां-तहां कूड़े फेंक दिये गये.

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