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नर्स व एएनएम की अंतिम सूची जारी नहीं

गया: जिला स्वास्थ्य समिति ने मंगलवार को भी ए-ग्रेड नर्स व एएनएम की फाइनल (अंतिम) मेधा सूची जारी नहीं की. दूसरी ओर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने सात एएनएम को चयनित कर सूची पटना से भेजी है. इससे गया के अभ्यर्थियों में रोष व बेचैनी देखी जा रही है. अभ्यर्थियों का […]

गया: जिला स्वास्थ्य समिति ने मंगलवार को भी ए-ग्रेड नर्स व एएनएम की फाइनल (अंतिम) मेधा सूची जारी नहीं की. दूसरी ओर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने सात एएनएम को चयनित कर सूची पटना से भेजी है. इससे गया के अभ्यर्थियों में रोष व बेचैनी देखी जा रही है. अभ्यर्थियों का मानना है कि राज्य स्वास्थ्य समिति का यह निर्णय न्यायसंगत नहीं है. यदि यह निर्णय वापस नहीं लिया गया, तो हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाने से भी बाज नहीं आयेंगे. कुछ जानकारों का मानना है कि नियोजन प्रक्रिया को लंबा खींचने के लिए ही ऐसा किया जा रहा है.

गौरतलब है कि राज्य स्वास्थ्य समिति ने पिछले 10 अक्तूबर को संविदा पर एएनएम व ए-ग्रेड नर्स की नियुक्ति संबंधी विज्ञप्ति निकाली थी, जिसमें स्पष्ट निर्देश था कि 25 नवंबर तक नियोजन की प्रक्रिया पूरी कर लेनी है. इसी के आलोक में गया जिले में भी नियोजन की प्रक्रिया शुरू की गयी. जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में ए-ग्रेड नर्स के 60 व एएनएम के 146 पद रिक्त हैं.

इनमें एएनएम के 46 पद सामान्य जाति के लिए, 14 पिछड़ा वर्ग के लिए, 48 अति पिछड़ा वर्ग के लिए, 37 अनुसूचित जाति व एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इसी प्रकार ए-ग्रेड नर्स के 10 पद सामान्य जाति के लिए, चार पिछड़ा वर्ग के लिए, 21 अति पिछड़ा वर्ग के लिए, 20 अनुसूचित जाति व एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. ए-ग्रेड नर्स के लिए 49 अभ्यर्थी व एएनएम के लिए 431 अभ्यर्थियों ने इंटरव्यू दिया है. इसकी सामान्य मेधा सूची 25 नवंबर को ही जारी की जा चुकी है. लेकिन, अब तक फाइनल सूची जारी नहीं की जा सकी है.

जिला स्वास्थ्य समिति के सचिव सह सिविल सजर्न डॉ विजय कुमार सिंह ने मंगलवार को सूची जारी होने की बात कही थी, जो नहीं हुई. उन्होंने अब बुधवार को सूची जारी करने की बात कही है. दूसरी ओर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने सात वैसे अभ्यर्थियों की सूची जिला स्वास्थ्य समिति में भेजी है, जो इंटरव्यू में शामिल ही नहीं थीं. इससे एक ओर नियोजन समिति पशोपेश में हैं, तो कुछ अभ्यर्थियों ने इसे हाइकोर्ट में चुनौती देने का मन बना लिया है. यदि ऐसा होता है, तो नियोजन प्रक्रिया लंबे समय तक खटाई में पड़ सकती है.

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