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उदयनारायण चौधरी: कभी 24,454 वोट से जीते, अब 29,408 वोट से हारे

उदयनारायण चौधरी: कभी 24,454 वोट से जीते, अब 29,408 वोट से हारे1995 के चुनाव में 117 वोट से हारे थे उदय नारायण चौधरीफोटो-रोशन कुमार, गयाइमामगंज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार जीतने वाले उदय नारायण चौधरी को इस बार चुनाव में करारी शिकस्त मिली. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने 79,389 वोट लाकर श्री चौधरी को 29,408 […]

उदयनारायण चौधरी: कभी 24,454 वोट से जीते, अब 29,408 वोट से हारे1995 के चुनाव में 117 वोट से हारे थे उदय नारायण चौधरीफोटो-रोशन कुमार, गयाइमामगंज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार जीतने वाले उदय नारायण चौधरी को इस बार चुनाव में करारी शिकस्त मिली. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने 79,389 वोट लाकर श्री चौधरी को 29,408 वोट से हराया. वर्ष 1990 से अब तक हुए विधानसभा चुनाव में श्री चौधरी इमामगंज से सात बार अपना भाग्य आजमा चुके हैं. लेकिन, उनकी यह दूसरी बार हार हुई है. इससे पहले वह 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में रामस्वरूप पासवान से हारे थे. 1995 के बाद वर्ष 2000, फरवरी, 2005, अक्तूबर, 2005 व 2010 में हुए विधानसभा चुनावों में श्री चौधरी ने लगातार जीत दर्ज की. समाजवादी नेता उपेंद्रनाथ वर्मा के चौथे पुत्र कहे जाते हैं चौधरीपटना जिले के मसौढ़ी इलाके के मूलत: रहनेवाले श्री चौधरी का प्रारंभिक जीवन गरीबी में बीता है. रोजगार की तलाश में श्री चौधरी एक एनजीओ से जुड़ गये. संयोग से उसी एनजीओ में जीतनराम मांझी भी शामिल थे. काफी दिनों तक दोनों ने एक साथ काम किया. 80 के दशक में श्री चौधरी का संपर्क पूर्व केंद्रीय मंत्री सह समाजवादी उपेंद्रनाथ वर्मा से हो गया. उस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री वर्मा अपने राजनीतिक जीवन में काफी सक्रिय थे. दांगी (कोयरी) समाज से आने के नाते इमामगंज व गुरुआ विधानसभा और चतरा लोकसभा क्षेत्र में श्री वर्मा की अच्छी पकड़ थी. श्री वर्मा के कामकाज से श्री चौधरी काफी प्रेरित थे और वह अपना अधिकतर समय उनके साथ गुजारते थे. इस कारण लोग श्री चौधरी को उनका चौथा बेटा कहते थे.1990 में चर्चा में आये थे उदय नारायण चौधरीवर्ष 1990 में विधानसभा चुनाव का परवान चढ़ा, तो इमामगंज विधानसभा क्षेत्र से एक एससी/एसटी वर्ग से एक अच्छे प्रत्याशी की तलाश जनता दल (जद) को होने लगी. जनता दल में श्री वर्मा की अच्छी पकड़ थी. उन्होंने श्री चौधरी का नाम वरीय नेताओं के सामने प्रोजेक्ट कर दिया. फिर क्या था, जनता दल से श्री चौधरी को टिकट मिल गया. चुनाव मैदान में श्री चौधरी उतरे तो उन्हें चुनाव जीतने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई. चूंकि, इमामगंज विधानसभा क्षेत्र दांगी (कोयरी) बाहुल्य इलाका है और समाजवादी नेता श्री वर्मा उसी वर्ग से थे, इस कारण श्री चौधरी ने 33137 वोट लाकर अपने प्रतिद्वंदी रामस्वरूप पासवान को 10200 वोट से हराया. इसके बाद 1995 के चुनाव में जनता दल से श्री चौधरी पुन: चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उनके प्रतिद्वंदी समता पार्टी के उम्मीदवार रामस्वरूप पासवान ने 26670 वोट लाया और श्री चौधरी को 117 वोट से हरा दिया. लेकिन, हारने के बाद भी श्री चौधरी ने इमामगंज से अपना लगाव नहीं छोड़ा. वर्ष 2000 में श्री चौधरी समता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव में उतरे. उन्होंने 40,769 वोट लाकर अपने निकटतम प्रत्याशी रामस्वरूप पासवान को 12,501 से हराया. इसके बाद समता पार्टी टूट कर जनता दल (यू) का गठन हुआ. फरवरी, 2005 के चुनाव में श्री चौधरी जदयू से मैदान में उतरे और 24454 वोट लाकर अपने प्रतिद्वंदी राजद प्रत्याशी रामस्वरूप पासवान को 1,271 वोट से हराया. लेकिन, इसका परिणाम आने के बाद सरकार का गठन नहीं हुआ. अक्तूबर, 2005 में पुन: विधानसभा का चुनाव हुआ, तो जदयू प्रत्याशी के रूप में श्री चौधरी ही मैदान में उतरे. लेकिन, इस चुनाव में उन्होंने 30665 वोट लाकर अपने प्रतिद्वंदी राजद प्रत्याशी रामस्वरूप पासवान को 6,642 वोट से पराजित किया था. इसके बाद वर्ष 2010 में होनेवाले चुनाव में श्री चौधरी पुन: जदयू से चुनाव मैदान में उतरे और 44126 वोट लाकर अपने प्रतिद्वंदी राजद प्रत्याशी रोशन कुमार को 1,211 वोट से हराया.कोई अच्छा उम्मीदवार ही हरा सकेगा लगातार इमामगंज का प्रतिनिधित्व करने व कुछ कामकाज को लेकर लोगों की नाराजगी श्री चौधरी से होती रहती थी. लोग इसकी शिकायत समाजवादी नेता श्री वर्मा से किया करते थे. लेकिन, उस समय श्री वर्मा अपने सक्रिय राजनीतिक जीवन से लगभग संन्यास ले चुके थे. इस कारण, श्री वर्मा लोगों को कहा करते थे कि उन्होंने अपनी पकड़ अच्छी कर ली है. अब उन्हें हरा पाना संभव नहीं है. लेकिन, जिस दिन एक अच्छा उम्मीदवार उनका प्रतिद्वंदी बन जायेगा, उन्हें हार का मुंह देखना पड़ेगा. इस बार जीतनराम मांझी के हाथों हारने के बाद श्री वर्मा की बात लोगों के जेहन में आ गयी. रविवार को गया कॉलेज परिसर में मतगणना के दौरान कॉलेज से बाहर लगी भीड़ में इसकी चर्चा होती रही.डॉ कुमुद वर्मा ने बिगाड़ा चौधरी का खेल!उपेंद्रनाथ वर्मा की छोटी बहू विगत सात-आठ साल से जदयू से जुड़ी रहीं. वह औरंगाबाद लोकसभा और गुरुआ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी भी करती रहीं. लेकिन, जदयू के एक वरीय नेता के इशारे पर कुमुद वर्मा का टिकट हमेशा कट जाता था. इन्हीं कारणों से वह जदयू से नाराज थीं. श्री वर्मा के गुजर जाने के बाद इमामगंज इलाके के लोग श्री चौधरी के क्रियाकलापों से नाराज होकर अपनी शिकायत लेकर कुमुद वर्मा के पास जाते थे. इस बार इमामगंज विधानसभा से पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी, तो कुमुद वर्मा ने उनके खिलाफ चुनाव प्रचार-प्रसार करने का मन बनाया. पूर्व सीएम श्री मांझी के नामांकन करने के दिन कुमुद वर्मा ने इमामगंज के गांधी मैदान में आयोजित चुनावी सभा में हिंदुस्तानी आवाम माेरचा (सेक्यूलर) की प्राथमिक सदस्यता ली. उसी मंच से अपने भाषण में डॉ कुमुद वर्मा ने कहा था कि हाल के वर्षों में इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में दांगी समाज के 42 लोगों की हत्याएं की गयीं और उनकी विधवाओं को पटना बुला कर हर प्रकार का शोषण किया जा रहा है. कुमुद वर्मा द्वारा दिये गये इस भाषण की चर्चा पूरे चुनाव में होती रही. उनका भाषण पूरे विधानसभा में तेजी से फैलता गया. इस भाषण के बाद इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में एक वर्ग कुमुद वर्मा से काफी नाराज हो गया. इलाके में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं. इसी के आधार पर खुफिया एजेंसी से जुड़े अधिकारियों ने पूर्व सीएम श्री मांझी को सचेत किया था कि इमामगंज इलाके में कुमुद वर्मा की जान को खतरा हो सकता है. वह सड़क मार्ग से चुनाव प्रचार में इमामगंज नहीं जायें, तो बेहतर होगा. इस मामले में कुमुद वर्मा की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गयी थी.

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