तीनों विषय मिला कर 10 स्टूडेंट्स भी नहींफ्लैग — जगजीवन कॉलेज. उर्दू, प्राचीन इतिहास व दर्शनशास्त्र में स्टूडेंट्स की रुचि नहींस्नातक में अन्य सभी विषयों की सीटें फुलइंटर विज्ञान में बढ़ायी गयी एक सेक्शन सीटसंवाददाता, गयाजगजीवन कॉलेज में स्नातक उर्दू , दर्शनशास्त्र व इतिहास तीनों विषय मिला कर 10 से भी कम विद्यार्थियों ने नामांकन लिया है. वहीं, अन्य विषयों की सीटें इस सत्र में पहली बार फुल हुई हैं. वहीं, कॉलेज में इंटर कला व विज्ञान में भी छात्रों की संख्या बढ़ी है. इंटर कला व विज्ञान में दो-दो सेक्शन सीटें (एक सेक्शन = 118 सीट) निर्धारित हैं. लेकिन, इस बार विज्ञान में छात्र-छात्राओं की संख्या अधिक होने के कारण एक सेक्शन सीट बढ़ायी गयी, तब जाकर आवेदन किये सभी विद्यार्थियों का नामांकन हो सका. जगजीवन कॉलेज में इस बार भूगोल विभाग इंटर में 400 छात्र-छात्राएं, बीए प्रथम वर्ष में 180, बीए द्वितीय में 160 व बीए तृतीय वर्ष में 160 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं. प्रति वर्ष हजारों की संख्या में छात्र स्नातक पास कर इस कॉलेज से निकलते हैं. कॉलेज को स्नातकोत्तर की पढ़ाई की अनुमति नहीं मिलने के कारण यहां से स्नातक पास छात्र-छात्राओं को अन्य संस्थानों का रुख करना पड़ता है, जबकि, मगध विश्वविद्यालय द्वारा भूगोल व मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए अनुमति प्रदान कर दी गयी है. सीट निर्धारण के लिए उच्च शिक्षा विभाग को पत्र भी भेजा गया है, पर एक साल गुजरने के बाद भी विभाग से सीट निर्धारण संबंधी कोई आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है.आरक्षित वर्ग के 80 प्रतिशत विद्यार्थीजगजीवन कॉलेज में जिले के अन्य कॉलेजों से फीस कम होने के कारण आरक्षित वर्ग (बीसी वन, बीसी टू व अनुसूचित जाति) के विद्यार्थियों का नामांकन अधिक है. कॉलेज के आसपास रहनेवाले सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राएं भी कॉलेज में नामांकन लेते हैं, पर इनकी संख्या न के बराबर होती है. जानकारी के अनुसार, गया जिले के ग्रामीण इलाके अलावा कॉलेज में नवादा जिले के नरहट, सिरदला व रजौली के सैकड़ों विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं. कॉलेज में सीट तो फुल हो गयी है. कॉलेज प्रशासन द्वारा विद्यार्थियों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी गयी है, फिर भी क्लासरूम खाली ही रहते हैं. कॉलेज प्रशासन इसका मुख्य कारण आने-जाने में लगनेवाला किराया मानता है. गरीबी के कारण क्लास नहीं कर पाते स्टूडेंट्सकॉलेज द्वारा दबाव डाला जाता है, तो स्टूडेंट्स कहते हैं कि उनके परिवारवालों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे प्रतिदिन उन्हें कॉलेज आने के लिए 100 रुपये दे सकें. इसलिए वे लोग नियमित कॉलेज आने में असमर्थ हैं. कॉलेज प्रशासन भी आर्थिक रूप से कमजोर इन बच्चों की स्थिति को देख कर थोड़ा लचीला रूख अख्तियार किये रहता है. हालांकि, विद्यार्थियों को नियमित कॉलेज आना चाहिए.डॉ सुनील सुमन, प्राचार्य, जगजीवन कॉलेज, गया
BREAKING NEWS
तीनों विषय मिला कर 10 स्टूडेंट्स भी नहीं
तीनों विषय मिला कर 10 स्टूडेंट्स भी नहींफ्लैग — जगजीवन कॉलेज. उर्दू, प्राचीन इतिहास व दर्शनशास्त्र में स्टूडेंट्स की रुचि नहींस्नातक में अन्य सभी विषयों की सीटें फुलइंटर विज्ञान में बढ़ायी गयी एक सेक्शन सीटसंवाददाता, गयाजगजीवन कॉलेज में स्नातक उर्दू , दर्शनशास्त्र व इतिहास तीनों विषय मिला कर 10 से भी कम विद्यार्थियों ने नामांकन […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement