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रेप के बाद बच्ची की हत्या में युवक को फांसी की सजा
गया: शहर की वीर कुंवर सिंह कॉलोनी में वर्ष 2012 में होली के एक दिन बाद मटका फोड़ कार्यक्रम के दौरान कॉलोनी की ही साढ़े सात साल की एक बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) ज्ञानचंद गुप्ता के कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते […]
गया: शहर की वीर कुंवर सिंह कॉलोनी में वर्ष 2012 में होली के एक दिन बाद मटका फोड़ कार्यक्रम के दौरान कॉलोनी की ही साढ़े सात साल की एक बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या करने के मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (तृतीय) ज्ञानचंद गुप्ता के कोर्ट ने गुरुवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अभियुक्त संजय कुमार को फांसी की सजा सुनायी.
मामले को देख रहे अपर लोक अभियोजक कमल किशोर पंडित ने बताया कि 10 मार्च, 2012 को उक्त कॉलोनी की रहनेवाली रानी के साथ पड़ोसी संजय कुमार नामक एक युवक ने दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी. संजय आइपीसी की धारा 342, 302 व 376 के तहत दोषी पाया गया.
एफआइआर दर्ज कराने के समय बच्ची की पिता ने पुलिस को बताया था कि 10 मार्च की शाम करीब सात बजे रानी घर से निकली थी. देर रात तक वह घर नहीं लौटी, तो खोजबीन शुरू की गयी. इसी दौरान पता चला कि रानी को संजय के साथ कलेर की तरफ जाते देखा गया. बच्ची के पिता ने कलेर में खोजबीन शुरू की, लेकिन कुछ पता नहीं चला. इसके बाद वह संजय के घर गये, वह घर पर नहीं था. पूछताछ के दौरान मुहल्लेवालों ने बताया कि संजय पहले भी बच्ची के साथ अश्लील हरकत करता था. 10 मार्च की शाम पड़ोस में मटका फोड़ने का कार्यक्रम चल रहा था. रानी भी वहीं थी. उस वक्त लोगों ने संजय को रानी के साथ अश्लील हरकत करते हुए देखा था. लड़की के पिता ने एफआइआर में बताया था कि दूसरे दिन पड़ोसियों ने बताया कि एक बच्ची का शव कलेर आहर के पास खेतों में पड़ा है. सूचना मिलने पर वह मौके पर गये. अर्धनग्न अवस्था में पड़ा शव रानी का ही था. उसके शरीर पर जख्म के भी निशान थे. बच्ची के पिता के बयान पर मगध मेडिकल थाने में संजय के खिलाफ आइपीसी की धारा 342, 302 व 376 के तहत एफआइआर दर्ज करायी गयी. इस मामले में पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर लिया.
14 साल बाद सुनायी गयी फांसी की सजा
गया जिला न्यायालय ने 14 साल पहले बारा नरसंहारकांड में फांसी की सजा सुनायी थी. वर्ष 2001 में तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश जवाहर लाल चौधरी ने मामले में अभियुक्तों नन्हे लाल मोची, कृष्णा मोची, वीर कुंवर पासवान व धर्मेद्र सिंह को फांसी की सजा सुनायी थी. साथ ही, बिहारी मांझी, राम अवतार दुसाध, राजेंद्र पासवान, वकील यादव व रवींद्र सिंह को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी थी. सुप्रीम कोर्ट ने सभी की फांसी की सजा बरकरार रखी थी.
फर्जी एनकाउंटर मामले में भी हुई थी फांसी की सजा
1998 में जीटी रोड पर बाराचट्टी के नजदीक रांची के व्यवसायी राजेश धवन की कुछ पुलिसवालों ने फर्जी एनकाउंटर में हत्या कर दी थी. इस मामले में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम) अभय राणा की अदालत ने बाराचट्टी थाने के दारोगा दूधनाथ राम व अन्य को फांसी की सजा सुनायी थी. अभियुक्तों ने फैसले के खिलाफ हाइकोर्ट में भी अपील की थी, लेकिन वहां भी सजा बरकरार रही. इसके बाद सुप्रीम गये. वहां उनकी सजा उम्रकैद में तब्दील हो गयी. एक आरोपित को रिहा कर दिया गया.
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