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पीएचसी में नहीं मिले कई रेकॉर्ड

गया/फतेहपुर: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, फतेहपुर में लाखों की दवाएं जलाये जाने संबंधी शिकायत की जांच सोमवार को शुरू हो गयी. सिविल सजर्न डॉ कृष्ण बल्लभ प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय जांच टीम ने वहां पहुंच कर मजिस्ट्रेट सह बीडीओ धर्मवीर कुमार की उपस्थिति में सील दवा भंडार का ताला तोड़ इंवेंटरी व […]

गया/फतेहपुर: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, फतेहपुर में लाखों की दवाएं जलाये जाने संबंधी शिकायत की जांच सोमवार को शुरू हो गयी. सिविल सजर्न डॉ कृष्ण बल्लभ प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में गठित छह सदस्यीय जांच टीम ने वहां पहुंच कर मजिस्ट्रेट सह बीडीओ धर्मवीर कुमार की उपस्थिति में सील दवा भंडार का ताला तोड़ इंवेंटरी व सीजर लिस्ट बनायी.

स्टॉक रजिस्टर समेत अन्य रेकॉर्ड अप-टू-डेट नहीं पाकर पूरी टीम स्तब्ध हो गयी. इस वर्ष 14 फरवरी को 47 और 12 अप्रैल को आठ किस्म की दवाएं जिला मुख्यालय से पीएचसी को भेजी गयीं. लेकिन, ये दवाएं स्टॉक रजिस्टर में दर्ज नहीं हैं. दवा वितरण पंजी में भी सात नवंबर, 2012 तक का ही ब्योरा अंकित है. जांच टीम ने अधजली दवाओं में 2014 में एक्सपायर होने वाली दवाएं भी बरामद की हैं. इन सबके बावजूद दवाएं किसने व क्यों जलायीं, यह रहस्य अब भी बरकरार है.

गौरतलब है कि पीएचसी फतेहपुर कैंपस में 26 व 27 अप्रैल को लाखों की दवाएं जलाये जाने की शिकायत ग्रामीणों ने डीएम बाला मुरुगन डी से की थी. डीएम के निर्देश पर सिविल सजर्न डॉ कृष्ण बल्लभ प्रसाद सिंह ने 30 अप्रैल को दवा भंडार को सील कर दिया था. इस मामले की जांच के लिए उन्होंने अपने नेतृत्व में छह सदस्यीय जांच टीम गठित की है. इसमें जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ एसएन सिंह, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ सुरेंद्र चौधरी, ड्रग इंस्पेक्टर शंभुनाथ ठाकुर, मनोज कुमार व राजीव रंजन शामिल हैं. जांच टीम ने अस्पताल में पहुंच कर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों से गहन पूछताछ की.

इस दौरान जांच टीम को स्टोर रूम की चाबी के लिए करीब दो घंटे तक इंतजार करना पड़ा, पर चाबी उपलब्ध नहीं हो पायी. इसके बाद सदर एसडीओ मकसूद आलम द्वारा नियुक्त दंडाधिकारी सह बीडीओ धर्मवीर कुमार को बुला कर सील दवा भंडार का ताला तोड़ा गया.

फिर एक्सपायर्ड दवाओं की सीजर लिस्ट व लाइव दवाओं की इंवेंटरी लिस्ट बनायी गयी. टीम के सदस्य शंभुनाथ ठाकुर ने बताया कि स्टोर रूम में रखे स्टॉक पंजी सहित अन्य सभी रेकॉर्ड काफी चौंकाने वाले हैं. एक भी रेकॉर्ड अप-टू-डेट नहीं है. 26 प्रकार की दवाएं लाइव पायी गयी हैं.

इनकी कीमत 10 से 12 लाख रुपये बतायी जाती है. तत्काल पीएचसी के लिपिक संजय कुमार को स्टोर कीपर का प्रभार सौंपा गया है. जमीन के अंदर गाड़ी गयी व जलायी गयी दवाओं की भी जांच-पड़ताल की गयी. इनमें 2014 में एक्सपायर्ड होने वाली दवाएं भी पायी गयीं. सिविल सजर्न ने बताया कि स्टोर कीपर सरयू प्रसाद बगैर सूचना के ही मार्च से गायब हैं. दवा किसने और क्यों जलायी के सवाल पर उन्होंने कहा कि जांच की कार्रवाई अभी शुरू ही हुई है. ऐसे में अभी कुछ भी कहना मुनासिब नहीं होगा. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

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