बोधगया: महाबोधि मंदिर परिसर से सटे समाधि स्थल के मुख्य प्रवेश द्वार में ताला लगा दिये जाने के कारण गुरुवार को दिन भर यहां अफरा-तफरी का माहौल रहा. सुबह जब श्रद्धालुओं ने मां वाग्ग देवी सरस्वती मंदिर के गेट में ताला लगा देखा, तो सबसे पहले महाबोधि मंदिर में तैनात सुरक्षा कर्मियों व अन्य कर्मचारियों से इसकी जानकारी ली. पर, सभी ने ताला लगाये जाने से अनभिज्ञता जाहिर की. इसके बाद बोधगया के सीओ, थानाध्यक्ष व बीटीएमसी कार्यालय से इसकी जानकारी ली गयी, पर किसी ने भी ताला लगाये जाने की बात नहीं स्वीकारी. इस दौरान महिलाओं की टोली व आम श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगने लगा. बोधगया थाना द्वारा एक एसआइ व मजिस्ट्रेट के रूप में अंचल निरीक्षक को तैनात कर दिया गया. इस दौरान करीब डेढ़ बजे बोधगया की बीडीओ अंजू कुमारी मंदिर परिसर पहुंचीं व श्रद्धालुओं के आक्रोश का हवाला देकर सदर एसडीओ व डीएम से बात की.
इसके एक घंटे बाद बीडीओ बीटीएमसी कार्यालय से एक चाबी लेकर लौटी व वाग्ग देवी मंदिर परिसर के गेट का ताला खोला. गेट पर ताला खुलने के इंतजार में खड़े श्रद्धालुओं ने वाग्ग देवी का दर्शन व पूजा-अर्चना की. बीडीओ ने बताया कि गुरुवार को महाबोधि मंदिर के गर्भ गृह में रखे दानपात्र को मंदिर से निकाला जाना था. दान पात्रों को बीटीएमसी कार्यालय में खोला गया है व रुपये की गिनती की जा रही है. उन्होंने बताया कि सुरक्षा के लिहाज से जिला प्रशासन द्वारा ताला लगाया गया था. जिसे दान पात्रों के मंदिर से निकाल लिये जाने के बाद खोल दिया गया.
उधर, ताला खुलने से पहले पूजा के लिए वाग्ग देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर बैठी संगीता गुप्ता, सरोज देवी, शारदा देवी सहित अन्य महिलाओं ने इस काम को गलत बताते हुए मंदिर का अपमान करने के समान कहा. महिलाओं ने कहा कि शादी-ब्याह से लेकर हर दिन इस मंदिर में पूजा-अर्चना की जाती है. ऐसे में मंदिर के प्रवेश द्वार पर ताला जड़ देना सरासर अन्याय है. मंदिर के प्रवेश द्वार में ताला लगे रहने के कारण थाइलैंड समेत देश के विभिन्न प्रांतों से महाबोधि मंदिर के दर्शन करने आये श्रद्धालुओं को भी वाग्ग देवी मंदिर में दर्शन-पूजा से वंचित रहना पड़ा. ताला खुलने के बाद मंदिर के पुजारी व श्रद्धालुओं ने साफ-सफाई व पूजा-अर्चना की.