गया: अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में एमबीबीएस की सीटें 50 से बढ़ कर 100 होने के बाद मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) की टीम ने मंगलवार को तीसरा औचक निरीक्षण पूरा कर लिया. कॉलेज के एमबीबीएस कोर्स में अब तक 100-100 छात्र-छात्राओं के दो बैच दाखिला हो चुका है.
मार्च के बाद तीसरे बैच का नामांकन होना है. इससे पहले एमसीआइ की निरीक्षण होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है. हालांकि, एमसीआइ के मानदंड पूरा करने के लिए दो साल का समय शेष बचा है. लेकिन, पिछले तीन साल की प्रगति रिपोर्ट से ऐसा नहीं लग रहा है कि अगले दो साल में मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में सब कुछ ठीक-ठाक हो जायेगा. ऐसी स्थिति में एमबीबीएस में बढ़ीं 50 सीटें कॉलेज को गंवानी पड़ सकती है.
एमसीआइ की टीम में कोलकाता नेशनल मेडिकल कॉलेज, कोलकाता, के जनरल सजर्री विभाग के प्रोफेसर डॉ नेमाइचंद नाथ व इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बीएचयू (वाराणसी) के फिजियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ एमबी मंडल से प्रभात खबर संवाददाता ने मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में पायी गयी कमियों के बारे में जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से स्पष्ट इनकार कर दिया. एक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में प्रिंसिपल व एमसीआइ के इंस्पेक्टर रह चुके एक विशेषज्ञ डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किसी नये मेडिकल कॉलेज को मान्यता देने या सीट बढ़ाने की स्थिति में एमसीआइ लगातार पांच साल तक अपनी टीम से औचक निरीक्षण कराता है.
बावजूद मानदंड पूरा नहीं करने की स्थिति में एमसीआइ या तो कॉलेज की मान्यता समाप्त कर देता या बढ़ी सीटें वापस ले लेता है. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि मगध मेडिकल कॉलेज व अस्पताल की स्थिति में सुधार होने की बजाय धीरे-धीरे गिरावट आयी है. हर साल प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक व सह प्राध्यापकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पारा मेडिकल स्टाफ भी रिटायर हो रहे हैं. लेकिन, राज्य सरकार कोई बहाली नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपलब्ध बेडों की संख्या की तुलना में 90 प्रतिशत मरीजों का भरती रहना जरूरी है. लेकिन, एमसीआइ की टीम के निरीक्षण में अस्पताल में 50 प्रतिशत भी मरीज भरती नहीं पाये गये हैं.
इधर, निरीक्षण के दूसरे दिन एमसीआइ की टीम ने अस्पताल में आइसीयू, निकू-पिकू व सेंटरलाइज स्ट्रेलाइजेशन का, जबकि कॉलेज में लेबोरेटरी, लाइब्रेरी व छात्रवास आदि का निरीक्षण किया. मानपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दौरा कर टीम ने यह जानने की कोशिश की कि पीएसएम (प्रिवेंटिव सोशल मेडिसिन) डिपार्टमेंट के लोग कितना सक्रिय हैं. अंत में मगध मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल व विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. पहले दिन बैठक में कई विभागाध्यक्ष उपस्थित नहीं पाये गये थे.