फोटोगया. अरुण मानवता विकास सेवा ट्रस्ट की ओर से धर्मसभा भवन में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गीता की प्रासंगिकता पर परिसंवाद समारोह का आयोजन किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर वंशीधर लाल ने कहा कि गीता अंतरंग में देखने की प्रवृति देती है. गीता के अनुसार, हितकारी मन ही आत्मा का मित्र है. मन को सदविचारी बना कर ही आत्मकल्याण संभव है. समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ गिरिजा शंकर प्रसाद ने कहा कि दूसरे को कोसने के बजाय इंसान को अच्छे कार्यों में लगना चाहिए. समाज को बदलने के लिए सरकार या व्यवस्था की जरूरत नहीं होती है, व्यक्ति के प्रयास से ही समाज में बदलाव आता है. कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय, डॉ नवल किशोर, प्रो सुदर्शन, प्रो नागेंद्र कुमार, प्रमेंद्र ठाकुर व शेख अयूब समेत कई लोग मौजूद थे.
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गीता की प्रासंगिकता पर मंथन
फोटोगया. अरुण मानवता विकास सेवा ट्रस्ट की ओर से धर्मसभा भवन में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में गीता की प्रासंगिकता पर परिसंवाद समारोह का आयोजन किया गया. समारोह के मुख्य अतिथि प्रोफेसर वंशीधर लाल ने कहा कि गीता अंतरंग में देखने की प्रवृति देती है. गीता के अनुसार, हितकारी मन ही आत्मा का मित्र है. मन को […]
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