प्रतिनिधि, मानपुर लखीबाग मुहल्ला स्थित मदर्स इंटरनेशनल प्ले स्कूल मे शनिवार को स्कूल के निदेशक डॉ पवन कुमार कि अध्यक्षता मे देश के प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान स्कूल के निदेशक पवन कुमार ने बताया की जब हिंदुस्तान में वर्ण व्यवस्था अपने चरम पर थी तो उस समय एक जनवरी 1848 को महाराष्ट्र मे एक दलित महिला ने प्रथम पाठशाला का स्थापना कर एक ऐतिहासिक कदम उठायी . उस महिला को स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इतिहासकारों ने भुला दिया. मौके पर प्रोफेसर सुनील कुमार ने बताया की आधुनिक भारतीय इतिहास मे इनके जीवन व संघर्ष को विस्तृत फलक मिलना चाहिए था. एक ओर गांधी व नेहरू के वंश की महिलाओं बेटियों को हर जगह नाम व स्थान दिया गया लेकिन रानी लक्ष्मीबाई के समान स्थान रखने वाली महिला को आज भी कोई जगह नहीं दिया जाना काफी समाज को चौंकाने वाली बात है. वहीं पटना विश्व विद्यालय के प्रोफेसर पीके दास ने बताया की घर के अंदर चहारदीवारी मे कैद करके नारी को दासी बनाये जाने के खिलाफ फ ुले ने जबरदस्त विरोध किया व समाज को जगाने का काम किया था. इसी का प्रतिफल से आज नारी शिक्षा व विधवा विवाह को प्रोत्साहित करने का काम किया. 166 वर्ष पूर्व इस महान नारी को अंग्रेजी हुकुमत ने 16 नवंबर 1885 को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था. मौके पर डॉ प्रमोद कुमार, प्रो शौकत अली, प्रो सुनील कुमार, शैलेंद्र कुमार , प्रमोद कुमार पटवा के अलावा अन्य लोग मौजूद थे.
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प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फूले का जयंती मदर्स इंटरनेशनल स्कूल में मनाया गया
प्रतिनिधि, मानपुर लखीबाग मुहल्ला स्थित मदर्स इंटरनेशनल प्ले स्कूल मे शनिवार को स्कूल के निदेशक डॉ पवन कुमार कि अध्यक्षता मे देश के प्रथम महिला शिक्षिका सावित्री बाई फुले की जयंती पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान स्कूल के निदेशक पवन कुमार ने बताया की जब हिंदुस्तान में वर्ण व्यवस्था अपने […]
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