गया: अखिल भारतीय मध्यदेशीय वैश्य सभा के तत्वावधान में बाबा गणिनाथ महोत्सव उत्साह पूर्वक मनाया गया. मीडिया प्रभारी दिलीप कुमार गुप्ता ने बताया कि बाबा गणिनाथ भगवान शंकर के मानस पुत्र थे.
बाल अवस्था में ही उनमें अद्भूत शक्ति थी. भगवान शंकर के सान्निध्य के कारण योगाभ्यास की प्रवृत्ति इनमें जागी थी और सभी सिद्धियों पर अधिकार पाया. इसी कारण से पार्वती ने गणिनाथ नाम रखा. उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु ने भी गणिनाथ को अपने साथ रखा था और उनकी प्रतिमा से प्रसन्न होकर विष्णु ने लोक का भंडारी बना दिया. इसी से हलवाई जाति की उत्पति मानी जाती है.
उन्होंने बताया कि पृथ्वी पर जब राक्षसी प्रवृत्तियों का विस्तार हुआ, तो पृथ्वी ब्रrा से मदद मांगी. गणिनाथ को पृथ्वी लोक में भेजा गया, जहां उन्होंने नैना योगीन राक्षसी का वध कर आतंक से मुक्ति दिलायी. उन्होंने बताया कि उनके जीवन से संबंधित एक और कथा जुड़ी हुई है. गणिनाथ अपनी धर्म पत्नी के क्षमाशती के साथ गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे थे. कई लोकप्रिय पुत्र व पुत्रियां थीं.