गया: पिछले कुछ दिनों से शहर में नालियों की सफाई जारी है. एक ओर नगर निगम नालों की सफाई कर रहा है, तो दूसरी ओर शहरवासी उन्हें फिर से भरने में लगे हैं. हम शहरवासी बड़े आराम से नालियों में पॉलीथिन में कचरे भर कर डाल रहे हैं. प्रमाण (तसवीर में देखें दाएं) सामने है. जगह-जगह नालियों में पॉलीथिन बैग तैरते देखे जा सकते हैं.
निगम भी हम शहर वालों की इस आदत से परेशान है. अधिकारियों का कहना है समझाने-बुझाने के बावजूद लोग नहीं मानते. पॉलीथिन फेंक कर नालियां बर्बाद कर रहे हैं. जिन्हें परेशानी होती है, वे ही अपनी आदत बदलने को तैयार नहीं हैं.
गंदगी को दिये जा रहे न्योता
पॉलीथिन शहर की व्यवस्था को किस कदर बिगाड़ देता है, इसका नजारा शहर के लोग हर साल मॉनसून से पहले की बारिश में देखते हैं. शहर की अधिकतर सड़कें नालियों में ओवरफ्लो के चलते पानी में डूब जाती हैं. बरसात से पहले सफाई नहीं होनेपर नालियां पॉलीथिन से जाम हो जाती हैं. पानी का फ्लो रुक जाता है. ऐसे में बारिश होने पर पानी सड़कों पर आ जाता है. मुंबई व बांग्लादेश में ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं. वहां बाढ़ के कारणों का पता लगाने पर पॉलीथिन बैग ही शहरी सफाई की दुनिया के असली खलनायक के रूप में सामने आया था. देश में ऐसे कई शहर हैं, जो पॉलीथिन के प्रयोग की वजह से बरसात में डूब जाते हैं.
हमने कब फेंका? मुङो किसने देखा?
शहर में जिससे पूछिये, मुकर जाता है. हर व्यक्ति कहता है, ‘नहीं तो, हमने कब फेंका? किसी ने देखा है. हम तो पॉलीथिन छूते भी नहीं.’ शहर के लोग चाहे जो भी कहें, सच्चई सामने है. सच उनके घर के सामने भी है, जो कहते हैं कि उन्हें कुछ नहीं मालूम. पॉलीथिन के चलते तेज बारिश में जब नालियां ओवरफ्लो होंगी, तो परेशानी खुद ही लोगों के दरवाजे पर पधार जायेगी. बस, इंतजार कीजिये.