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इंसेफ्लाइटिस : बच्चों के शरीर में शुगर लेवल कम

गया : इंसेफ्लाइटिस इस साल नये चैलेंज के साथ आया है. बच्चों की मौत के सौदागर के नाम वाली इस बीमारी ने इस पर खतरा और भी बढ़ा दिया है. एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस)वाले बच्चों के शरीर में शुगर लेवल काफी कम पाया जा रहा है. इस महीने जिन तीन बच्चों की मौत हुई, उनके […]

गया : इंसेफ्लाइटिस इस साल नये चैलेंज के साथ आया है. बच्चों की मौत के सौदागर के नाम वाली इस बीमारी ने इस पर खतरा और भी बढ़ा दिया है. एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (एइएस)वाले बच्चों के शरीर में शुगर लेवल काफी कम पाया जा रहा है. इस महीने जिन तीन बच्चों की मौत हुई, उनके शरीर में शुगर लेवल काफी कम था.
ऐसे मामले अब तक मुजफ्फरपुर में आते रहे हैं. यह पहली बार है जब गया में इस तरह के मामले आ रहे हैं. बच्चों के शरीर में शुगर लेवल कम होने को लेकर मगध मेडिकल काॅलेज के चिकित्सक भी परेशान हैं. उनका मानना है कि इस स्थिति में बच्चों की जान और ज्यादा मुश्किल में आ जायेगी. शरीर में शुगर लेवल कम हो जाने से बच्चे के शरीर में तेजी से रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जायेगी. ऐसे में दवाओं का असर भी नहीं होगा. चिकित्सक पोषक तत्वों के अभाव में ऐसा होने की बात को नकार रहे हैं.
उनका कहना है कि पोषक तत्वों के अभाव में अगर शुगर लेवल कम होने का मामला होता, तो ऐसे मामले पहले भी आते. लेकिन यह अचानक हुआ है. इसलिए इसे पौष्टिक आहार की कमी से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता. चिकित्सकों का मानना है कि वायरस की श्रेणी में हुए बदलाव की वजह से ऐसा हो सकता है. शेष तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा. गौरतलब है कि इस साल अभी तक एइएस के 13 मामले सामने आये हैं. इनमें तीन बच्चों की मौत हो गयी है.
मुजफ्फरपुर में मिलते हैं ऐसे मामले
एइएस या इंसेफ्लाइटिस में शरीर में लो ब्लड शुगर के मामले अब तक मुजफ्फरपुर में आते रहे हैं. वहां लंबे समय से इसकी वजह से इंसेफ्लाइटिस पीड़ित उन बच्चों की जान भी जाती रही जिन्हें बचाया जा सकता था. बाद में भारत और यूएस के चिकित्सा वैज्ञानिकों ने शोध कर जो रिपोर्ट सौंपी उसमें कई चीजें स्पष्ट हुईं.’ लांसेट ग्लोबल हेल्थ ‘ में छपी रिपोर्ट के मुताबिक मुजफ्फरपुर में लीची का उपभोग अधिक करने और शाम का खाना नहीं खाने की वजह से बच्चों के शरीर में शुगर लेवल कम हुआ.
चिकित्सीय भाषा में इसे हाइपोग्लाइसेमिया कहते हैं. गया में तो लीची के उपभोग की संभावना बहुत कम है, लेकिन शाम का भोजन नहीं करने का मामला यहां भी हो सकता है. मगध मेडिकल के चिकित्सक भी इस विषय पर जानकारी जुटा रहे हैं.

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