20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सुविधा और राजस्व बढ़ाया, फिर कहते हैं नुकसान कराया

36 से बढ़ 72 मिलियन यूनिट तक बिजली सप्लाई पहुंचायी राजस्व 3.5 करोड़ से बढ़ा कर 15 करोड़ तक पहुंचाया गया : इंडिया पावर काॅरपोरेशन लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) के बीच दो दिनों से विवाद चरम पर है. इसी बीच शुक्रवार को इंडिया पावर प्रबंधन ने प्रेस कांफ्रेंस कर एसबीपीडीसीएल […]

36 से बढ़ 72 मिलियन यूनिट तक बिजली सप्लाई पहुंचायी

राजस्व 3.5 करोड़ से बढ़ा कर 15 करोड़ तक पहुंचाया
गया : इंडिया पावर काॅरपोरेशन लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (एसबीपीडीसीएल) के बीच दो दिनों से विवाद चरम पर है. इसी बीच शुक्रवार को इंडिया पावर प्रबंधन ने प्रेस कांफ्रेंस कर एसबीपीडीसीएल पर कई सवाल खड़े किये. इंडिया पावर के वाणिज्य महाप्रबंधक राकेश रंजन व मुख्य तकनीकी पदाधिकारी प्रमोद कुमार वर्मा ने अपने कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पिछले चार सालों में इंडिया पावर ने सरकार को हर स्तर पर लाभ पहुंचाया, तो फिर एसबीपीडीसीएल यह कैसे कह रही है कि उन्हें नुकसान हुआ है. मामला चाहे राजस्व का हो या लोगों को मिलनेवाली सुविधाओं का.
इंडिया पावर ने दोनों में बेहतर काम किया. उन्होंने 2014 और 2018 के बीच के कुछ आंकड़े पेश किये. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक जून 2014 को इंडिया पावर को गया का काम सौंपा. उस वक्त गया को प्रति माह 36-40 मिलियन यूनिट बिजली मिलती थी और राजस्व 3.5 करोड़ रुपये थे. कंपनी के काम शुरू करने के बाद अब 2018 में प्रति महीने बिजली सप्लाइ 72 मिलियन यूनिट हुई और राजस्व 15 करोड़. इसमें से 14 करोड़ हर महीने एसबीपीडीसीएल को भुगतान हो जाता है.
महाप्रबंधक ने कहा कि यह तो राजस्व का पहलू है. अब सुविधाओं की बात करें, तो पिछले चार सालों में इंफ्रास्ट्रक्चर में क्या बढ़ोतरी हुई यह शहर में साफ दिख रहा है. श्री रंजन ने कहा कि अगर इंडिया पावर का काम काज बढ़िया नहीं था, तो राज्य सरकार और उर्जा विभाग की ओर से बेहतर काम करने का सर्टिफिकेट क्यों दिया गया.
गलत तरीके से किया टेकओवर : महाप्रबंधक ने एसबीपीडीसीएल के अधिकारियों पर गलत तरीके से टेक ओवर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि फाइनल टर्मिनेशन को लेकर एसबीपीडीसीएल ने जो स्पीड पोस्ट भेजा, उसमें पांच जुलाई 12:59 मिनट का उल्लेख है, इ-मेल से भी जो सूचना भेजी गयी वह भी पांच जुलाई 8:45 बजे का है. उन्होंने कहा कि नोटिस इंडिया पावर पहुंचने से पहले ही कैसे एसबीपीडीसीएल के अधिकारियों ने गया के हर कार्यालय को टेक ओवर कर लिया. इससे स्पष्ट होता है कि एसबीपीडीसीएल के अधिकारियों के मन में कुछ और भी बातें चल रही हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की जबर्दस्ती के टेक ओवर को लेकर भी उनकी कंपनी सुप्रीम कोर्ट में बात रखेगी.
जान-बूझ कर कराया वित्तीय विवाद
इंडिया पावर और एसबीपीडीसीएल के बीच असल मामला पैसों का है. एसबीपीडीसीएल 239 करोड़ का दावा कर रही है, तो इंडिया पावर का दावा 456 करोड़ का है. श्री रंजन के मुताबिक इस विवाद को सुलझाने के लिए तीन बैठकें हुईं, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला. इसके बाद मामला आर्बीट्रेटर के पास चला गया. इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होनी है. उससे पहले ही यह कार्रवाई कर दी गयी. उन्होंने कहा कि एसबीपीडीसीएल जो 239 करोड़ रुपये का दावा करती है,
उसका भुगतान कब का हो चुका होता. लेकिन, बार- बार कहने के बाद भी एसबीपीडीसीएल ने इंडिया पावर को कभी सटीक बिल नहीं दिया. औसत बिल के आधार पर भुगतान कैसे संभव हो सकता है. इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य चीजों के लिए जो पैसे खर्च किये जाने थे एसबीपीडीसीएल ने उसे भी नहीं दिया. इसकी वजह से इंडिया पावर को 456 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि इस विवाद को सुलझाने के लिए एसबीपीडीसीएल की ओर से प्रयास भी नहीं किया गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें