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बैंक ग्राहकों से नहीं ले रहे िसक्के, बाजार में रोज हो रहा विवाद, किसी को नहीं परवाह !
गया : दुकानदारों द्वारा सिक्के लेने से मना करने से आमलोग परेशान हैं, जबकि छोटी-मोटी खरीदारी पर दुकानदारों द्वारा एक्सचेंज के रूप में सिक्के थमाये जा रहे हैं. मजबूरी देख ग्राहक सिक्के ले भी रहे हैं. इस तरह से लोगों के पास सिक्के इकट्ठे होते जा रहे हैं. वहीं, जब आमलोग सिक्के देकर दुकानों में […]
गया : दुकानदारों द्वारा सिक्के लेने से मना करने से आमलोग परेशान हैं, जबकि छोटी-मोटी खरीदारी पर दुकानदारों द्वारा एक्सचेंज के रूप में सिक्के थमाये जा रहे हैं. मजबूरी देख ग्राहक सिक्के ले भी रहे हैं. इस तरह से लोगों के पास सिक्के इकट्ठे होते जा रहे हैं. वहीं, जब आमलोग सिक्के देकर दुकानों में खरीदारी करने पहुंचते हैं, तो दुकानदार सिक्के लेने से साफ मना कर रहे हैं.
अब लोग इन सिक्कों का क्या करें, समझ नहीं आ रहा. इधर, व्यवसायियों का अपना रोना है. उनके मुताबिक उनके पास जो सिक्के हैं, उसे बैंक नहीं ले रहे. व्यवसायी बैंकों में जब भी सिक्के जमा कराने जाते हैं, तो कर्मचारी कोई न कोई बहाना बना कर मना कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में वे ग्राहकों से कब तक सिक्के लेते रहें, यह समझना मुश्किल. यह समस्या पिछले कई महीनों से चली आ रही है. मतलब सिक्के नहीं लेने के कारण लोग व्यवसायियों से परेशान हैं और व्यवसायी बैंक से.
बाजार में सिक्कों के अधिक फ्लो ने बढ़ायीं मुश्किलें : बाजार में सिक्कों को लेकर हो रही दिक्कत पर तफ्तीश करने के बाद यह बात सामने आयी कि मार्केट में सिक्कों के अधिक फ्लो ने यह मुश्किल खड़ी कर दी है. इस मामले में थोड़ी और तह में जाने के बाद कुछ चीजें स्पष्ट होती दिखी. दरअसल यह समस्या 2017 के शुरुआती महीनों में ही शुरू हुई. आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी होने के बाद देश भर में नोटों का एक्सचेंज शुरू हो गया.
शहर के बैंकों में भी यही स्थिति रही. लगातार नोट एक्सचेंज और नये नोट के मार्केट में कम होने की स्थिति में बैंकों ने लोगों को सिक्के देेने शुरू कर दिये. तब आमलोगों को भी पैसों की जरूरत थी. ऐसे में बंद हुए नोटों के बदले भी लोगों ने सिक्के स्वीकार कर लिये. इस तरह बाजार में सिक्कों की आवक बढ़ गयी. अब जब बाजार में पर्याप्त मात्रा में नोट उपलब्ध हैं, तो कोई सिक्कों से लेनेदेन करना नहीं चाहता.
डिपोजिट नहीं, एक्सचेंज है सिक्कों का काम :बैंकों के कामकाज के मामलों के जानकारों के मुताबिक, भारतीय बाजार में सिक्का कभी भी डिपोजिट का साधन नहीं रहा है. इन्हें कभी जमा नहीं किया गया. सिक्कों का उद्देश्य हमेशा से एक्सचेंज रहा है. बाजार में लेनदेन के दौरान सिक्के को एक्सचेंज के रूप में ही प्रयोग किया जाता रहा.
लेकिन, नोटबंदी के बाद करेंसी नोट की कमी ने सिक्कों को डिपोजिट के साधन की श्रेणी में ला दिया. अब यह एक बड़ी मुश्किल के रूप में सामने खड़ा हो गया है. बाजार में इसकी अधिकता ने एक्सचेंज सिस्टम को प्रभावित कर दिया है. व्यापारी हो या उपभोक्ता, कोई भी सिक्कों को एक्सचेंज के तौर पर स्वीकार करने में रुचि नहीं दिखा रहा.
बैंक खाता नहीं तो और मुसीबत
जिस व्यक्ति का बैंक खाता नहीं है, उसके लिए मुसीबत कुछ ज्यादा ही है. क्योंकि, सिक्के एक्सचेंज किये नहीं जा सकते, खाते में ही जमा होंगे. अब जिसका खाता है वह तो किसी तरह से जमा करा भी लेगा. लेकिन, वह व्यक्ति जिसका बैंक खाता नहीं है, उसके लिए सिक्के और भी बड़ी मुसीबत हैं. वह आखिर इन्हें कहां ले जाये.
व्यवसायियों की सुनेगा कौन : व्यवसायी इस वक्त बहुत परेशान हैं. आमलोगों के घरों में तो कम संख्या में सिक्के जमा हैं. लेकिन, व्यवसायियों के पास बड़ी संख्या में सिक्के जमा हो गये हैं. किसी-किसी के पास लाखों में. वे हर रोज बैंकों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं. सिक्के जमा नहीं लिये जा रहे हैं. व्यवसायियों का कहना है कि उनकी स्थिति पर कोई भी गौर करने को तैयार नहीं है.
किसी को फर्क ही नहीं पड़ रहा है. व्यवसाय चौपट होता है, तो हो जाये.
आरबीआई ने भी सोचा नहीं :बाजार में सिक्कों का फ्लो अधिक हो जाने के मामले में आमलोगों का कहना है कि रिजर्व बैंक को पहले सोचना चाहिए था. नोटबंदी के बाद जब बैंक धड़ल्ले से सिक्के बांट रहे थे, तभी आकलन होना चाहिए था कि ये सिक्के एक दिन बाजार में मुसीबत पैदा कर देंगे. तब सबको सिक्के थमा दिये और अब वापस लेने के लिए सुनने को तैयार नहीं हैं. कभी कहते हैं कर्मचारी नहीं है, तो कभी अगले दिन आने की बात कह टाल देते हैं. यह भी कह देते हैं कि सिक्के रखने की उनके पास जगह ही नहीं है. कुल मिला कर आमलोगों व व्यवसायियों को परेशान किया जा रहा है.
खुदरा बाजार हुआ प्रभावित
सिक्कों के लेन-देन में कमी से सबसे अधिक प्रभावित खुदरा बाजार है. थोक बाजार में तो मोटा लेन-देना होता है और यहां करेंसी नोट, चेक या फिर आॅनलाइन से भुगतान हो जा रहा है. लेेकिन, खुदरा बाजार में यह सब लागू नहीं होता. यहां छोटे नोट और सिक्कों के साथ व्यापार होता है. अब जब कोई सिक्का लेना ही नहीं चाहता, तो यह बाजार घाटे में चल रहा. इधर, बैंक के अधिकारी आरबीआई द्वारा हर हाल में सिक्के जमा लेने के निर्देश का हवाला तो दे रहे हैं, लेकिन कर्मचारी इसे व्यावहारिक तौर पर असंभव करार दे रहे हैं. इस पर न तो बैंक की ओर से सख्त निर्देश जारी हो रहा है और न ही सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि गंभीर हैं. परेशान आम लोगों को होना पड़ रहा है
बैंकों की अपनी है परेशानी
सिक्कों को लेकर बैंकों की अपनी अलग परेशानी है. बातचीत के दौरान बैंककर्मियों ने कहा कि उपभोक्ता एक बार में पांच से 10 हजार तक के सिक्के लेकर जमा कराने पहुंच जाते हैं. अब एक कैशियर या क्लर्क के लिए यह बहुत मुश्किल है. इतनी बड़ी रकम के सिक्कों को गिनने में उसका पूरा दिन चला जायेगा. बैंक के ही अधिकारी के मुताबिक लगभग हर बैंक कर्मचारियों की समस्या से जूझ रहा है. एक व्यक्ति पर दो से तीन काम की जिम्मेदारी है. अब ऐसे में अगर एक क्लर्क सिक्के गिनने में लग जायेगा, तो दूसरे उपभोक्ताओं का काम कैसे होगा.
कुछ भी बोलने से बच रहे अधिकारी
इस मसले पर जब विभिन्न बैंकों के पदाधिकारियों से बात की गयी, तो उन्होंने सभी चीजों को स्पष्ट कर दिया. लेकिन, इन बातों को उनके हवाले से मीडिया में लाने से मना किया. इन पदाधिकारियों के मुताबिक रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया व उनके अपने बैंक के शीर्ष पदाधिकारियों का स्पष्ट निर्देश है कि किसी भी विषय पर सार्वजनिक तौर पर टिप्पणी नहीं करें. यह अधिकार केवल रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया और उस बैंक के मुख्यालय में बैठनेवाले अधिकारियों के पास होगा. ऐसे में जिला स्तर पर बैठे अधिकारी सिक्के की समस्या पर सभी जानकारी तो दे रहे हैं, लेकिन अपना नाम और पद सार्वजनिक नहीं करना चाहते.
एक दिन में एक हजार के सिक्के होंगे जमा
बैंकों को हर हाल में सिक्का लेना है. कोई भी बैंक मना नहीं कर सकता है. अगर कोई मना करता है, तो इसकी शिकायत की जानी चाहिए. रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया का स्पष्ट निर्देश है कि अब करेंसी चेस्ट में सिक्के जमा लिये जा सकेंगे. लेकिन, लोगों को भी थोड़ी समझदारी दिखानी होगी. आरबीआई के निर्देशों के मुताबिक बैंक एक उपभोक्ता से एक दिन में एक हजार तक के सिक्के ही ले सकता है. लोग इस चीज को समझें. हेेवी अमाउंट के सिक्के लेकर बैंक जायेंगे, तो जमा करना मुश्किल होगा. कम एमाउंट में सिक्के जमा करें, बैंक जरूर जमा लेंगे.
बैंक बोला- सिक्के जमा नहीं लेंगे, आप बंद करा दें अपना खाता
गया. बैंकों में सिक्के जमा कराने जा रहे लोगों को कई बार अपमानित भी होना पड़ता है. एक उदाहरण महादेवा इंटरप्राइजेज के एमडी काजल सिन्हा का है. उन्होंने बताया कि आइडीबीअाइ बैंक में उनके दो बिजनेस खाते हैं. इन खातों में वह हर रोज पैसे जमा करते हैं. इनमें सिक्के भी शामिल हैं. श्री सिन्हा के मुताबिक, पहले वह हर रोज बैंक के अपने दोनों खातों में एक-एक हजार के सिक्के जमा कराते थे.
बैंककर्मी ले भी लेते थे. लेकिन पुराने शाखा प्रबंधक के तबादले के बाद ,बीते दो महीने से उनके पैसे नहीं लिये जा रहे हैं. श्री सिन्हा ने बताया कि उनका खुदरा व्यापार है, एेसे में सिक्के हो ही जाते हैं. फिर भी आरबीआइ की गाइडलाइन के मुताबिक, वह एक दिन में एक हजार तक के ही सिक्के जमा कराना चाहते हैं.
पर, नये मैनेजर अब वह भी लेने से मना कर रहे हैं. जवाब मिलता है कि ‘अधिक परेशानी है, तो इस बैंक में अपना खाता ही बंद करा लीजिए.’ श्री सिन्हा कहते हैं, यह बहुत अपमानित करनेवाली बात है. इस बैंक में वह वर्षों से अपना खाता चला रहे हैं, पर अब मैनेजर के बोल से आहत हैं.
सिक्के रखने के लिए बॉक्स तक खरीदे
श्री सिन्हा ने कहा कि जब वह बैंक में सिक्के जमा कराने जाते थे, तो कर्मचारी अक्सर कहते थे कि सिक्के रखने की जगह ही नहीं है. श्री सिन्हा ने भी महसूस किया कि वाकई यह परेशानी है. वह कहते हैं कि उनका भी जुड़ाव आइडीबीआइ की इस शाखा और कर्मचारियों से रहा है. ऐसे में उन्होंने आठ बाॅक्स खरीद कर बैंक को दिये, ताकि सिक्के रखे जा सकें. बाॅक्स को ले जाने का भाड़ा तक भी दिया. और अब बैंक उन्हें ही यहां खाता बंद कराने की नसीहत दे रहा है. यह तो हद है!
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