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बिहार : जयपुर से मुक्त कराये गये 14 जिलों के 76 बाल मजदूर, परिजनों को सौंपने की कवायद शुरू

गया : राजस्थान के जयपुर स्थित चूड़ी कारखानों से 76 बाल श्रमिकों को छुड़ा कर गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन से शुक्रवार को गया लाया गया. इस संबंध में बाल श्रमिक उन्मूलन के क्षेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था रेस्क्यू जंक्शन के अध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि बाल संरक्षण अधिकारियों व कई एनजीओ के सदस्यों […]

गया : राजस्थान के जयपुर स्थित चूड़ी कारखानों से 76 बाल श्रमिकों को छुड़ा कर गुवाहाटी एक्सप्रेस ट्रेन से शुक्रवार को गया लाया गया. इस संबंध में बाल श्रमिक उन्मूलन के क्षेत्र में काम कर रही स्वयंसेवी संस्था रेस्क्यू जंक्शन के अध्यक्ष अमित कुमार ने बताया कि बाल संरक्षण अधिकारियों व कई एनजीओ के सदस्यों की पहल पर जयपुर पुलिस के सहयोग से छापेमारी कर कई चूड़ी कारखानों से बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है. जयपुर पुलिस व बाल संरक्षण अधिकारियों द्वारा बिहार के 14 जिलों के 76 बच्चों को गया चाइल्ड लाइन में लाया गया है.

उन्होंने बताया कि इनमें गया जिले के 22 बच्चे शामिल हैं. सभी बच्चों की उम्र पांच से 17 वर्ष के बीच है. उन्होंने बताया कि सभी बच्चों की काउंसेलिंग की जा रही है. काउंसेलिंग की प्रक्रिया खत्म होने के बाद परिजनों को बुला कर बच्चे सौंपे जायेंगे. सभी बच्चों को रेस्क्यू जंक्शन संस्था में रखा गया है. सभी बाल श्रमिकों के खाने व रहने की व्यवस्था की गयी है.

इस संबंध में बाल श्रमिकों ने बताया कि वे चूड़ी कारखाने में 17 घंटे तक काम करते थे. यहां तक कि तबीयत खराब होने पर भी छुट्टी नहीं मिलती थी. बीमार हालत में ही दवा खाकर काम करते थे. बच्चों ने बताया कि वहां जैसे-तैसे जिदंगी गुजार रहे थे. बच्चों ने कहा कि कारखाने से भागने की कोशिश हमेशा की, लेकिन कहीं न कहीं पकड़ लिये जाते थे. पकड़ाने के बाद फिर उसी अंधेरी दुनिया में चले जाते थे. बच्चों ने कहा कि पांच महीने पहले एक बच्चे की तबीयत खराब हो गयी थी. लेकिन, उसे डॉक्टर को दिखाने के बजाय काम पर लगाया गया.

उन्होंने बताया कि जब बच्चे ने घर जाने के बारे में कहा, तो कारखाने की मुंशी ने उसके साथ मारपीट की. बच्चों ने यहां तक कहा कि अब ताे जयपुर का नाम लेने से भी डर लगता है. अब दोबारा उस जगह पर कभी नहीं जायेंगे. बच्चों ने कहा कि पहले तो अच्छी-अच्छी बात कह कर काम पर लगाते हैं. लेकिन, बाद में पैसा मांगने पर डांट-फटकार लगाते हैं. दो-तीन महीने पर एक बार पैसा मिलता था. पैसा लेने के लिए मालिक के घर पर हर तरह के काम करवाते थे. लेकिन, फिर भी पैसा नहीं मिलता था.

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Prabhat Khabar Digital Desk
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