गया : नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) बिल, क्लिनिकल इस्टेबलिशमेंट एक्ट व अन्य नियमों के विरोध में सोमवार को मगध मेडिकल काॅलेज में एमबीबीएस के छात्रों ने सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार किया. आइएमए अध्यक्ष डाॅ पीके सिन्हा, उपाध्यक्ष डाॅ नसीम अहमद, सचिव डाॅ प्रदीप कुमार, आइएमए मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क के संयोजक सूरज प्रकाश व अन्य छात्र-छात्राओं ने कहा कि एनएमसी बिल बहुत बड़ा धोखा है.
सरकार की ऐसी खराब नीतियों का असर चिकित्सकों पर पड़ेगा. इन लोगों ने क्राॅस पैथी का भी विरोध किया. चिकित्सकों ने सरकार के उस फैसले का भी विरोध किया, जिसमें आयुष चिकित्सकों द्वारा एलोपेथिक मेडिसिन प्रैक्टिस करने और सामान्य कोटि में उन्हें माने जाने की बात कही गयी है. चिकित्सकों ने उनके खिलाफ होनेवाली हिंसा का भी विरोध किया.
लोकतंत्र में फैसला थोपना गलत
इधर, शहर के प्रख्यात ईएनटी विशेषज्ञ डाॅ संजीव कुमार ने कहा कि सरकार ने एनएमसी बिल पर चिकित्सकों की कुछ मांगों को माना है, लेकिन अब भी कई बिंदुओं पर गहनता से विचार करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि एक ओर तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने आइएमए के प्रतिनिधियों को एनएमसी बिल पर विचार करने का आमंत्रण दिया है,
दूसरी ओर उसी दिन वह उस बिल को लोकसभा में पेश भी करेंगे. यह कैसे संभव हो सकेगा. डाॅ कुमार ने कहा कि प्राइवेट मेडिकल काॅलेजों में 50 प्रतिशत सीटों पर फीस निर्धारण प्रबंधन के हाथों पर छोड़ना नाइंसाफी है. नेशनल मेडिकल कमीशन में फैसले लेनेवाली समिति में अधिकांश सदस्य केंद्र सरकार द्वारा ही नामित होंगे. डाॅ कुमार ने कहा कि भारतीय लोकतांत्रिक प्रणाली में किसी से भी बिना चर्चा किये कोई भी नियम जनता पर लादना गलत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर बिल जबरदस्ती थोपा, तो चिकित्सक आगे भी आंदोलन करेंगे.