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गांधी मैदान में बनीं बिल्डिंग्स कहां ले जायेंगे, चार सप्ताह में बताएं : हाईकोेेर्ट

गया : हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को शहर के गांधी मैदान की जमीन पर बनीं सभी बिल्डिंग्स व अन्य संरचनाओं के शिफ्टिंग स्थल बताने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. इस मामले में दायर अवमाननावाद पर शुक्रवार को सुनवाई हुई. पटना हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में गया के डीएम […]

गया : हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को शहर के गांधी मैदान की जमीन पर बनीं सभी बिल्डिंग्स व अन्य संरचनाओं के शिफ्टिंग स्थल बताने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है. इस मामले में दायर अवमाननावाद पर शुक्रवार को सुनवाई हुई.

पटना हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने अपने आदेश में गया के डीएम से पूछा है कि वह चार सप्ताह के अंदर बताएं कि सभी बिल्डिंग सहित अन्य संरचनाओं को कहां शिफ्ट करेंगे. साथ ही काेर्ट को संरचनाओं को शिफ्ट करने के लिए एक्शन प्लान तैयार कर भी बताएं. गांंधी मैदान संबंंधित कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर राज्य के मुख्य सचिव स्तर पर बैठक हुई थी, जिसमें मौजूद बिल्डिंग्स को रेगुलराइज करने का निर्णय लिया गया था. इस आशय का शपथपत्र भी गया जिला प्रशासन की ओर से हाईकोर्ट में दायर किया गया था.
कोर्ट ने शपथपत्र पर भी आपत्ति जताते हुए सभी संरचनाओं को रेगुलराइज करने की बात को मानने से इनकार कर दिया और बिल्डिंगग्स को गांधी मैदान की जमीन से बाहर ले जाने का आदेश दिया है. गया के समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने 2012 में ही गांधी मैदान के अतिक्रमण पर प्रतिज्ञा संस्था की ओर से पटना हाइकोर्ट में पीआइएल दायर किया था. 2015 में पीआइएल का फैसला आया, जिसमें सभी संरचनाआें को हटा कर गांधी मैदान को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश पारित हुआ था.
कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर श्री पाठक ने अवमानना वाद दायर किया, जिसकी सुनवाई जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी व जस्टिस नीलू अग्रवाल के कोर्ट में चल रही है. अवमानना वाद में केस की पैरवी कर रहे प्रतिज्ञा संस्था के वकील ब्रजेश कुमार ने पटना से फोन पर बताया कि कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी दी है कि गया शहर की जनसंख्या बढ़ रही है और यहां कोई खुली जगह नहीं है. गांंधी मैदान का अतिक्रमण कर कई स्थानों पर विभिन्न सरकारी विभागों की बिल्डिंग्स बनायी गयी हैं. इन बिल्डिंग्स के निर्माण की भी संबंधित विभाग से स्वीकृति
नहीं है. श्री कुमार ने बताया कि अवमानना वाद में अंतिम फैसला आना अभी बाकी है.
मैदान के कई हिस्सों में है अतिक्रमण : समाजसेवी बृजनंदन पाठक ने बताया कि गांधी मैदान की जमीन पर 13 बिल्डिंग्स व अन्य संरचनाएं हैं, जिनमें रेड क्रॉस, टेलीफोन भवन, हाल ही में बना इंडोर स्टेडियम, हरिहर सुब्रह्मणयम स्टेडियम सहित अन्य शामिल हैं. पीआइएल का फैसला आने के बाद जिला प्रशासन ने मात्र दो संरचनाओं को ध्वस्त करने की कार्रवाई की, जिसमें चर्च के दक्षिण की ओर बनाये गये नगर निगम के मार्केट व सीडीपीओ का कार्यालय शामिल है. जबकि गांधी मैदान बड़े भूभाग में फैला है, जहां अभी भी कई हिस्सों में अतिक्रमण है.
अवमाननावाद की सुनवाई में जिला प्रशासन को दिया गया समय
बिल्डिंग्स शिफ्टिंग का एक्शन प्लान भी बताने के लिए कोर्ट ने कहा
संरचनाओं को रेगुलराइज करने की बात को मानने से किया इनकार

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