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सजा 14 वर्ष, जेल में रहे 20 वर्ष, पढ़ें… पूरा मामला

– जेल प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा मखदुमपुर के छिरारी गांव के रहने वाले कपिल महतो को– 1982 में दो पक्षों के बीच गोलीबारी में एक की हुई थी मौत-लोअर व हाइकोर्ट ने 13 व्यक्तियों के विरुद्ध सुनायी थी उम्रकैद की सजा-सरेंडर किये आठ में से सात लोग 14 वर्ष की सजा काट […]

– जेल प्रशासन की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा मखदुमपुर के छिरारी गांव के रहने वाले कपिल महतो को
– 1982 में दो पक्षों के बीच गोलीबारी में एक की हुई थी मौत
-लोअर व हाइकोर्ट ने 13 व्यक्तियों के विरुद्ध सुनायी थी उम्रकैद की सजा
-सरेंडर किये आठ में से सात लोग 14 वर्ष की सजा काट हो गये थे रि
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दीपेश

गया : जेल में आपके परिजन किस वजह से सजा काट रहे हैं और सजा की मियाद कुछ ही दिनों के भीतर पूरी होने वाली है, तो इस मुगालते में नहीं रहें कि सजा की समय सीमा पूरा होते ही जेल प्रशासन उन्हें रिहा कर देगा. जेल प्रशासन की लापरवाही हावी रही और कैदी के परिजन थोड़े भी सजग नहीं रहे, तो तय सजा से अधिक दिनों या वर्षों तक उन्हें जेल में बिताना पड़ सकता है. ऐसा ही एक मामला मखदुमपुर के छिरारी के रहने वाले कपिल महतो के साथ जुड़ा है. हत्या के एक मामले में कोर्ट के फैसले के मुताबिक जेल में 14 वर्ष की सजा पूरा करने के बावजूद कपिल को छह वर्ष, वह भी बगैर किसी अपराध के जेल में ही बिताना पड़ गया.

गाैरतलब है कि आजीवन सजा की मियाद 20 वर्ष की हाेती है, पर जेल के अंदर कैदी काे काेई छुट्टी नहीं मिलती. छुट्टी के कटने के बाद 20 वर्ष की सजा घटकर 14 साल रह जाती है. जेल प्रशासन की लापरवाही से परेशान होकर कपिल महतो जब हाइकोर्ट की शरण में पहुंचे, तो फिर जाकर बनी और उन्हें जेल से बाइज्जत रिहा किया गया. इस लापरवाही के विरुद्ध कपिल महतो कोर्ट में अपील करने के लिए तैयारी में जुट गये हैं. वह विगत वर्षों के दौरान जिन-जिन जेल में बंद रहे वहां से वह कागजात जुटाने में लगे हैं.

क्या है मामला

घटना 8/12/ 1982 की है. उस समय जहानाबाद का मखदुमपुर थाना क्षेत्र गया जिले के अधीन था. कपिल महतो का कहना है कि मवेशी चराने को लेकर दो पक्षों में जबर्दस्त तरीके से गाेलीबारी की घटना हुई थी. उस गोलीबारी में मदन सिंह नाम के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गयी थी. संबंधित मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से बड़ी संख्या में दूसरे पक्ष के लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया. पुलिस कार्रवाई हुई कुछ लोग पकड़े गये और कुछ ने सरेंडर किया. बाद में लोगों की जमानत भी हुई. इसके बाद मामला गया कोर्ट में चला. निचली अदालत ने हत्या के मामले में 13 लोगों को दोषी करार देते हुए उम्र कैदी की सजा सुना दी.

कोर्ट द्वारा सुनाई गयी सजा के विरुद्ध हाइकोर्ट में अपील की गयी. हाइकोर्ट ने भी निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा. हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद 13 में से आठ लोगों ने कोर्ट में सरेंडर किया. सभी दोषियों को गया जेल भेज दिया गया. आठ में से सात लोग 14 वर्ष की सजा जेल में काट कर बरी हो गये, पर कपिल महतो जेल में ही बंद रहे. उन्हें बरी नहीं किया गया, जबकि जिन सात लोगों को बरी किया गया था वह भी हत्या की दफा के तहत ही सजा काट रहे थे और कपिल भी उसी मामले में सजा काट रहे थे. कपिल के परिजनों ने इधर-उधर हाथ पैर मारा पर कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो सकी और छह वर्ष इसी काम में बीत गये.

इसी बीच किसी ने उनके परिजनों को सलाह दी कि हाइकोर्ट में अपील किये बगैर मामला बनने वाला नहीं है. इस पर कपिल के परिजनों ने हाइकोर्ट में रीट दायर की. करीब आठ महीने के बाद हाइकोर्ट ने अपना फैसला दिया और वे 17/9/2017 को जेल से रिहा हो गये.

इन जेलों में काटी सजा
6-2-98 से 2006 तक गया जेल में बंद रहे
2006 से 2012 तक भागलपुर और
2012 से लेकर 17 9 2017 तक बक्सर जेल में रहे

क्या कहते हैं अधिवक्ता
कपिल महतो के मामले के अधिवक्ता रहे ब्रजेश नारायण ने बताया कि जिस कैदी की सजा पूरी होने वाली होती है, या पूरा होने वाला होता है या पूरा हो चुका होता है, उसकी लिस्ट कोर्ट के प्रोबेशनरी बोर्ड को जाती है. इस बीच कैदी से संबंधित दस्तावेज जेल प्रशासन की ओर से समय पर नहीं भेजे जाने या फिर बोर्ड की नियत समय पर बैठकें होने की वजह से मामला पेंडिंग में पड़ जाता है. यही नहीं थाने स्तर से एसएसपी कार्यालय से भी तय समय पर सही रिपोर्ट नहीं भेजने की वजह से कपिल महतो का मामला पेंडिंग में पड़ा रहा और उन्हें छह वर्ष अधिक सजा काटनी पड़ी जबकि अन्य दोषियों को जो समान धाराओं के तहत सजा काट रहे थे उन्हें दी गयी सजा की तय तिथि पूरी होने के बाद समय से बरी कर दिया गया था.

बेटे व एक बेटी की शादी में नहीं हो सका शरीक
इधर, कपिल महतो का कहना है कि बीते 20 वर्षों जेल में रहने के दौरान दो बेटा व एक बेटी की शादी हो गयी. शादी में शरीक भी नहीं हो सका. बगैर किसी अपराध के छह वर्ष अधिक सजा भी काटी. इसके लिए जिम्मेवार कौन है. विगत छह वर्ष की भरपाई कैसे व कौन करेगा? इस बाबत सरकार से पूछा जायेगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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