दरभंगाः डीएमसीएच शिशु रोग वार्ड के निर्माणाधीन नीकू भवन की सेहत खराब है. इसके लिए 40 लाख रुपये स्वास्थ्य महकमा ने दो साल पहले ही दे दिये थे. हालात यह, इसमें नवजातों की किलकारी नहीं गूंजी. इलाज की कोई व्यवस्था आज तक यहां नहीं हुई. मार्च 12 तक ही भवन को तैयार कर लेना था. इसके लिए चालीस लाख नौ हजार रुपये भी एनआरइपी को मिल चुके हैं.
16 अप्रैल 2010 को ही डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार नक्शा भी बना था. यूनिसेफ ने भरपूर मदद के लिए हाथ भी बढ़ाये. एक साल में ही यहां इलाज शुरू करने की योजना थी. सरकार ने 31 मार्च 11 को ही पूरी प्राक्कलित 40 लाख नौ हजार की राशि भी भेज दी. इसे 4 अप्रैल 11 को पांच ड्राफ्टों में बनवाकर एनआरइपी को दे भी दिया गया. इसने काम शुरू भी किया लेकिन आज कचरों व जलजमाव से पूरा भवन भरा पड़ा है. तीन साल बीतने के बाद भी भवन अर्धनिर्मित है. भवन का प्लास्टर तक नहीं हुआ. बिजली नहीं लगी. बेड नहीं लगे. यहां गंभीर नवजातों के लिए 20 बिस्तर लगाने की योजना है.
बाहर रख कर हो रहा इलाज
पहले से वार्ड में चल रहे नीकू में 15 बेड की ही सुविधा है. हालात यह, कई नवजातों को बाहर रखकर इलाज करने की मजबूरी है. प्रतिदिन 15 से 25 की संख्या में गंभीरावस्था में नवजात यहां पहुंचते हैं. इनकी इलाज करने में चिकित्सक भी दुविधा में रहते हैं. गंभीर नवजात को बिना इलाज कराये छोड़ भी नहीं सकते और इलाज करें भी तो कहां. पूरे जनवरी माह में यहां 113 नवजातों की भर्ती हुई. इसमें 97 को यहां से स्वस्थ कर विदा कर दिया गया.वहीं 16 नवजातों की मौत हो गयी.
सार्थक पहल नदारद
हाल में भी 17 जनवरी 14 को शिशु रोग विभाग ने इसे शुरू करने की पहल की. स्वास्थ्य के प्रधान सचिव से लेकर डीएम व अस्पताल अधीक्षक तक को पत्र भेजकर भवन को पूरा करने का अनुरोध किया. पिछले साल भी इसको लेकर कई स्तर की बैठकों में मामला उठा था. बार-बार आश्वासन के बाद भी इस ओर कोई सार्थक कदम नहीं उठाया जा सका है.
करेंगे जल्द व्यवस्था
डीएमसीएच प्राचार्य सह अधीक्षक डॉ एसएन सिन्हा ने बताया कि पूरे मामले की शुरू से जांच कर आगे की कार्रवाई करेंगे.भवन जल्द मरीजों को उपलब्ध हो इसकी भरपूर कोशिश जल्द होगी.