खरना कल. गेहूं सुखाने में व्यस्त रहीं व्रतियां
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नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व आज से
खरना कल. गेहूं सुखाने में व्यस्त रहीं व्रतियां दरभंगा : लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के संग चार नवंबर से आरंभ हो जायेगा. इसके अगले दिन व्रती खरना करेंगे. अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ छह नवंबर को अर्पित किया जायेगा. वहीं सात नवंबर को भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिनी यह […]
दरभंगा : लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय-खाय के संग चार नवंबर से आरंभ हो जायेगा. इसके अगले दिन व्रती खरना करेंगे. अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ छह नवंबर को अर्पित किया जायेगा. वहीं सात नवंबर को भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पण के साथ चार दिनी यह महापर्व संपन्न होगा. इसको लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गयी है. वातावरण भक्तिमय हो चला है. चारों ओर बाजार में सजी पूजन सामग्री की दुकान व फूट रहे छठ गीतों के बोल से वातावरण में भक्तिरस की धारा प्रवाहित हो रही है.
नहाय-खाय के लिए व्रतियों ने गुरुवार को गेहूं को पवित्र पानी से धोया. इसके बाद पूरे दिन मुस्तैद रहकर इसे धूप में सुखाया. इसके बाद इसका आंटा पीसा. इस दौरान खासकर वृद्ध महिलाओं के कंठ से पारंपरिक छठ गीतों के बोल फूटते रहे. बता दें कि शुक्रवार को व्रती सुबह पवित्र जल से स्नान करेंगे. इस दौरान नदी-तालाब में स्नान की विशेष परंपरा है. वहां स्नान के पश्चात अर्घ्य अर्पण किया जायेगा. मिट्टी के नये चूल्हे पर सेंधा नमक के साथ बिना हल्दी के बनाये गये पवित्र भोजन ग्रहण करेंगे.
अगले दिन निर्जला उपवास रखकर संध्याकाल खरना किया जायेगा.
नहाय-खाय में कद्दू ग्रहण करने की परंपरा है. इसको लेकर बाजार में कद्दू ऊंचे दाम पर बिका. इसकी कीमत सामान्य से डेढ़ गुणा अधिक ग्राहकों से लिया गया. सामान्य रूप में 30 से 35 रुपये में कद्दू मिल जाता है लेकिन इस पर्व को लेकर इसकी कीमत 50 को भी पार कर गयी. वहीं दूध व फल का बाजार भी गरम रहा. दूध की व्यवस्था में दो दिन पहले से लोग भटकते नजर आये. आलम यह है कि दूध दुकानदार अग्रिम लेने से कतराते रहे.
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ छह को
हाजीपुर से नहीं आ रहा केला, गिरी कीमत
दरभंगा1 प्रत्यक्ष देवता सूर्य के उपासना का पर्व छठ को लेकर बाजार सज गया है. भगवान सूर्य देव को अर्घ देने के लिए श्रद्धालु इसकी तैयारी में जुट गये हैं. पूजन सामग्री की खरीदारी शुरू हो गयी है. जाहिर तौर पर बाजार में खरीदारों की भीड़ बढ़ गयी है. बाजार ग्राहकों से गुलजार हो गया है. उल्लेखनीय है कि इस महापर्व पर केले व अन्य फलों के साथ ही टिकरी आदि की प्रधानता है. लिहाजा बाजार पूरी तरह तैयार हो गया है. बांस के बरतन व मिट्टी के बरतन की भी बिक्री हो रही है.
ढूंढे नहीं मिल रहा िचनिया केला: हाजीपुर के चिनिया केला की मांग सबसे अधिक है. पिछले वर्ष की तुलना में इस बार चिनिया केला कम आ पाया है. बाढ़ के कारण हाजीपुर के केला का फसल बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वैसे केला हाजीपुर के अलावा असम, बंगाल, पूर्णिया, महेसपुर एवं मद्रास से आता है. दूर से आने के कारण केला का दाम बढ़ गया है. पिछले वर्ष जो केला ढाई सौ से तीन सौ रूपये घौद बिकता था, उसकी कीमत इस बार चार सौ रुपये है.
फलों की कीमत स्थिर
सेब कश्मीर, संतरा नागपुर, माल्टा, पंजाब व अनार नासिक से आता है. पिछले वर्ष की तुलना में सामान्य फलों का मूल्य कुछ ही बढ़ा है. सेब अभी 50 रुपये प्रति किलो है. कुछ दिन पहले इसकी कीमत 80 रुपये थी. बेदाना सौ रुपये बिक रहा है. माल्टा दो सौ के एवज में एक सौ साठ रुपये में मिल रहा है. प्रमुख फल विक्रेता रामबाबू साह ने बताया कि दीपावली में भी कम ही फल बेच पाये.
बाजार में ग्राहकों की इसबार आवाजाही कम रही. इस कारण पिछले वर्ष की तुलना में कम ही माल मंगवाया है. पिछले वर्ष रामबाबू साह ने पन्द्रह गाड़ी फल का कार्टन मंगाया था. इस बार बाजार की स्थिति को देखते हुए केवल दो गाड़ी ही मंगवायी है.
नारियल की कीमत में आयी कमी
नारियल के बाजार में ग्राहकों की ख़ूब भीड़ देखी जा रही है. नारियल असम, सोमपेटा एवं आंध्र प्रदेश् के सुदूर इलाकों से आता है. व्यापारी दुर्गा पूजा से ही माल मंगाना शूरू कर देते हैं. दुकानदार मो. अनवर ने इस बार छठ के अवसर पर सात से आठ गाड़ी माल मंगाया है. नारियल तीन से चार महीनों तक खराब नहीं होता. एक गाड़ी पर तेरह से चौदह सौ नारियल आते हैं.
दुकानदार बताते हैं कि सामान्य दिनों की अपेक्षा नारियल का मूल्य त्योहारी मौसम में कम हो जाता है. तीस रुपये बिकने वाला नारियल अभी बीस से पच्चीस रुपये में मिल रहा है.
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