दरभंगाः दरभंगा सहित मिथिलांचल के सात जिलों को भूकंप का हाइ सिस्मिक (सर्वाधिक क्षति करनेवाला) जोन माना जाता है. केंद्र एवं राज्य सरकार के रिकार्ड में भी यह दर्ज है. बावजूद इस क्षेत्र में बिना भूकंपरोधी बनने वाले मकानों की स्वीकृति दी जा रही है. करीब एक माह पूर्व पटना में एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार में यदि तीव्र गति से भूकंप आया तो काफी मात्र में लोग हताहत हो सकते हैं.
सरकार की स्वीकारोक्ति के बावजूद इस क्षेत्र में भूकंप रोधी भवन निर्माण संबंधी प्रावधान नहीं होने से लोग मनमाने ढंग से मकान बनवा रहे हैं. दरभंगा के अलावा मधुबनी, सीतामढ़ी, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, अररिया एवं किशनगंज जिलों को हाइ सिस्मिक जोन (सर्वाधिक क्षति करने वाला क्षेत्र) माना जा रहा है. नेपाल के तराई क्षेत्र से सटे होने के कारण बिहार में अब तक जितने भी भूकंप की घटना घटी, उसमें सर्वाधिक क्षति इसी क्षेत्र में हुई है. जिस तरह बेतरतीब ढंग से शहर से लेकर गांवों तक भवनों का निर्माण कराया जा रहा है, उसमें यदि 8 रेक्टर से अधिक तीव्रता का भूकंप इस क्षेत्र में आया तो जान-माल की व्यापक तबाही हो सकती है.
ऐसे बनना है भूकंपरोधी भवन
भूकंप का हाई सिस्मिक जोन होने के कारण भूकंपरोधी भवनों का निर्माण आवश्यक है. इसके लिए स्ट्रर इंजीनियर के पर्यवेक्षण में मकान का नक्शा बनाने के साथ ही उसके फाउंडेशन से लेकर छत तक डिजाइन का निर्धारण व निर्माण करना है. इससे भूकंप से होनेवाले खतरों से मुक्त रहेंगे.
पटना से नक्शों की स्वीकृति
वर्षो से नक्शों की स्वीकृति दरभंगा क्षेत्रीय विकास प्राधिकार के माध्यम से किया जाता था. डीआरडीए को सरकार द्वारा भंग किये जाने के बाद नगर निगम को नक्शों की स्वीकृति की जिम्मेवारी दी गयी. करीब चार वर्ष राज्य सरकार ने रजिस्टर्ड आर्किटेक्टों को ही शहर में बननेवाले नक्शों की स्वीकृति का आदेश दे दिया. दरभंगा क्षेत्र के लिये राज्य सरकार ने 14 आर्किटेक्टों की स्वीकृति देते हुए सभी को स्थानीय स्तर पर कार्यालय खोलने का निर्देश दिया था. पर तीन वर्ष बाद दो-तीन आर्किटेक्टों के ही कार्यालय खुले हैं. शेष पटना या अन्य जिलों से ही नक्शों की स्वीकृति दे रहे हैं.
बोले अधिकारी
नगर आयुक्त परमेश्वर राम ने बताया कि राज्य सरकार ने पुन: आर्टिटेक्टों के माध्यम से नक्शों की अंतिम स्वीकृति की जिम्मेवारी नगर निगम को दी है. इस संबंध में सरकार की ओर से अबतक भूकंप रोधी नक्शों की स्वीकृति का कोई निर्देश नहीं मिला है.