आरपीएफ के जाल में फंसा टिकट एक्सचेंजर, गिरफ्तार वैशाली से जयनगर जाकर चलाता था गोरखधंधामुजफ्फरपुर का शातिर फरार5 जनवरी को फर्जीवाड़ा उजागर होने पर आरपीएफ ने बिछाया था जालदरभंगा. आरपीएफ के बिछाये जाल में आखिरकार टिकट एक्सचेंजर फंस गया. थाना क्षेत्र के जयनगर स्टेशन के समीप से स्क्रेच टिकट थमा यात्रियों के साथ ही रेलवे को चूना लगाने वाले गिरोह के एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं मुख्य शातिर भागने में सफल हो गया. गिरफ्तार अपराधी वैशाली जिला के बेलसड़ थानान्तर्गत बेलबड़ गांव के स्व लक्ष्मण राम का पुत्र मनटून राम जहां पुलिस के हत्थे चढ़ गया वहीं इसीके बगलगीर मुजफ्फरपुर जिला के सरैया थाना अंतर्गत अजितपुर कोठी निवासी नगीना सहनी के पुत्र लक्ष्मण सहनी भागने में सफल हो गया. इस गिरोह का मुख्य सरगना लक्ष्मण ही है. यही मनटून को वहां से लाकर यह गोरखधंधा चला रहा था. आरपीएफ इंस्पेक्टर अजय प्रकाश ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित को कागजी कार्रवाई के बाद जयनगर जीआरपी थाने के हवाले कर दिया गया. एक पखवाड़ा पूर्व फर्जीवाड़ा उजागरजयनगर स्टेशन पर गत 5 जनवरी को तीन स्क्रेच टिकट बरामद हुए थे. जांच के क्रम में यह सामने आया. तीनों टिकट एक ही परिवार के सदस्यों ने खरीदे थे. इंस्पेक्टर श्री प्रकाश के मुताबिक मधुबनी जिला के मधेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत भीठ भगवानपुर निवासी नई दिल्ली जाने के लिए जयनगर पहुंचे थे. वहीं अपने लिए टिकट खरीदा था. इसी बीच एक्सचेंजरों ने असली टिकट लेकर स्क्रेच किया हुआ फर्जी टिकट थमा दिया था. सूचना मिलते ही आरपीएफ के इंस्पेक्टर ने छानबीन शुरू कर दी. जांच के क्रम में तीनों प्रदीप कुमार महतो, दिलीप महतो व ललन कुमार महतो निर्दोष पाये गये. छानबीन में मिला सुरागइस मामले की छानबीन में जुटी पुलिस ने जब स्क्रेच टिकट की पड़ताल की तो वह जयनगर स्टेशन के समीप स्थित जेटीबीएस काउंटर संख्या- 35 से जारी हुआ मिला. सुधांशु सिंह के इस जेटीबीएस काउंटर का संचालन विनोद यादव करता है. विनोद ने पूछताछ के क्रम में बताया कि वह एक साथ आनेवाले तीन-चार यात्रियों का टिकट एक ही साथ निकालता है. पिछले डेढ़-दो माह से दो लोग अक्सर आते हैं जो निकट के स्टेशनों का टिकट लेते हैं लेकिन अलग-अलग टिकट देने का नित्य दबाव डालते हैं. पूछने पर वे दोनों बताते हैं कि वे लेबरमेट हैं. यहां से मजदूरों को भेजते हैं. इस छोटे से सुराग को पकड़कर आरपीएफ ने अपना जाल बिछा दिया. काउंटर के निगरानी शुरू कर दी. संचालक को भी चौकस कर दिया. टिकट लेने पहुंचा, धरायाइस बीच मामले के उजागर होने के बाद वह आना बंद कर दिया. करीब एक पखवाड़ा बीतने के बाद 18 जनवरी को फिर से दोनों पहुंचा. राजनगर, मधुबनी, पंडौल आदि का टिकट लिया. दो टिकट वह ले चुका था. चार-पांच और टिकट के लिए अलग-अलग देने का दबाव दे रहा था. संचालक विनोद यादव ने तत्काल आरपीएफ को इसकी खबर की. जयनगर में पदस्थापित एएसआइ व हवलदार तत्क्षण पहुंच गये. मनटून राम को दबोच लिया लेकिन लक्ष्मण सहनी भागने में कामयाब हो गया. इंस्पेक्टर ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित को जयनगर जीआरपी के हवाले कर दिया गया. आगे की छानबीन जीआरपी के स्तर से ही होनी है. अनजान को न दिखायें टिकटइस बाबत इंस्पेक्टर श्री प्रकाश ने आम यात्रियों से अपील करते हुए कहा कि रेलवे या फिर जेटीबीएस काउंटर से टिकट खरीदने के बाद किसी भी अनजान को टिकट न दिखायें. वे लोग यात्री की वेश में कभी टिकट का किराया जानने अथवा कुछ और बहाना बनाकर देखने के लिए टिकट मांग लेते हैं और पलक झपकते ही बदल देते हैं. असली टिकट लेकर स्क्रेच कर बनाया हुआ फर्जी टिकट थमा देते हैं और असली टिकट काउंटर से वापस करा रेलवे से पैसा ले लेते हैं. जांच के क्रम में पकड़े जाने पर निर्दोष यात्री को परेशानी झेलनी पड़ती है. इसलिए उन्होंने किसी भी सूरत में अजनबी को टिकट दिखाने से बचने की सलाह दी.
आरपीएफ के जाल में फंसा टिकट एक्सचेंजर, गिरफ्तार
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