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मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिला राज्य को हुंकार

मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिला राज्य को हुंकार अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद का दो दिनी समारोह आरंभ -जुटे कई राज्यों से मिथिला-मैथिली हितचिंतक फोटो संख्या- 19परिचय- समारोह में बोलते परिषद के डॉ धनाकर ठाकुर व उपस्थित मिथिला-मैथिली समर्थक दरभंगा. मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिला-मैथिली हितचिंतकों ने पृथक मिथिला राज्य के लिए हुंकार भरा. अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद […]

मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिला राज्य को हुंकार अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद का दो दिनी समारोह आरंभ -जुटे कई राज्यों से मिथिला-मैथिली हितचिंतक फोटो संख्या- 19परिचय- समारोह में बोलते परिषद के डॉ धनाकर ठाकुर व उपस्थित मिथिला-मैथिली समर्थक दरभंगा. मैथिली अधिकार दिवस पर मिथिला-मैथिली हितचिंतकों ने पृथक मिथिला राज्य के लिए हुंकार भरा. अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के मिथिला राज्य निर्माण समिति की ओर से आयोजित दो दिनी मैथिली अधिकार दिवस समारोह के पहले दिन मंगलवार को देश के विभिन्न हिस्सों से जुटे विशिष्टजनों ने अलग राज्य बनने को तय मानते हुए इसके लिए जरूरी कदम उठाने पर विस्तार से चर्चा की. कहा कि मिथिला राज्य निर्माण के लिए वातावरण तैयार हो रहा है. जनसमर्थन मिल रहा है. आवश्यकता है कि एक तय रणनीति के तहत इस आंदोलन को गति प्रदान की जाय. जगत जननी जानकी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर समारोह का उद्घाटन करते हुए साहित्य अकादेमी में मैथिली के पूर्व प्रतिनिधि डॉ सुरेश्वर झा ने कहा कि माछ व मधु को आर्थिक आधार इस क्षेत्र के लिए बनाया जा सकता है. उन्होंने 1910 से चल रहे इस आंदोलन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उस समय से आज तक यह एक रूप में ही नजर आ रहा है. इसमें परिवर्तन की दरकार है. इस आंदेालन को राष्ट्रीय फलक तक विस्तार देने की जरूरत है. मौके पर समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रो भीमनाथ झा ने कहा कि इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए राजनीतिक समाधान की जरूरत है. लेकिन कुचक्र से सावधान रहते कदम उठाने होंगे. झारखंड से पहुंचे अशोक अविचल ने गांव-गांव में इसके लिए टीम तैयार करने पर बल दिया. डॉ धनाकर ठाकुर ने स्थापना काल से अबतक की परिषद की गतिविधि पर विस्तार से चर्चा करते हुए समाज के विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग इकाई गठित करने पर बल दिया. साथ ही दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, समस्तीपुर, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, पूर्णिया, सुपौल सहित मिथिला क्षेत्र में अबतक किये गये प्रयास तथा मिले जनसमर्थन की चर्चा की. साथ ही नेपाल के मिथिला क्षेत्र में भी अलग राज्य गठन करने में सहयोगी बनने की बात कही. अमलेंदु शेखर पाठक ने कहा कि सीमांचल, कोशी, तिरहुत, मिथिलांचल में बांटकर मिथिला को छोटा करने का षड्यंत्र किया जा रहा है. उन्होंने आंदोलन के लिए ईमानदार नेतृत्व की वकालत की. उन्होंने इसके लिए जानकी को आधार बनाने पर बल दिया. डॉ टुनटुन झा अचल ने मिथिला क्षेत्र के तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए मिथिलावासियों केा सर्वप्रथम पहल करने का आह्वान किया. डॉ कमलकांत झा ने अष्टम अनुसूची में मैथिली के शामिल होने में अवदान के साथ ही अग्रिम योजना पर प्रकाश डाला. मौके पर डॉ फुलचंद्र मिश्र रमण, डॉ ममता झा, डॉ विद्यानाथ झा, डॉ गंगाधर झा, सुनीता झा, शुभचंद्र झा सहित कई अन्य वक्ताओ ंने भी विचार रखे. मिथिलेश्वर झा ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. धन्यवाद ज्ञापन राकेश कुमार कर्ण के द्वारा किया गया. उल्लेखनीय है कि आठवीं अनुसूची में मैथिली के शामिल किये जाने के उपलक्ष्य में 22 व 23 दिसंबर को प्रत्येक वर्ष परिषद की ओर से अधिकार दिवस समारोह का आयोजन होता है. देश के विभिन्न हिस्सों में रहनेवाले मिथिलावासियों के बीच जन जागृति लाने की कोशिश के तहत यह अभियान निरंतर चल रहा है.

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