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चौकीदार की लापरवाही ने नर्दिोषों को जेल के शिकंजे तक पहुंचाया

चौकीदार की लापरवाही ने निर्दोषों को जेल के शिकंजे तक पहुंचाया एएसपी की सतर्कता से बचे चार बेकसूर गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने से फंसा मामला दरभंगा. एक लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, इसका नजारा बुधवार को देखने को मिला. चौकीदार की लापरवाही ने चार निर्दोषों को जेल के शिकंजे के करीब जहां ला खड़ा […]

चौकीदार की लापरवाही ने निर्दोषों को जेल के शिकंजे तक पहुंचाया एएसपी की सतर्कता से बचे चार बेकसूर गलत पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने से फंसा मामला दरभंगा. एक लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है, इसका नजारा बुधवार को देखने को मिला. चौकीदार की लापरवाही ने चार निर्दोषों को जेल के शिकंजे के करीब जहां ला खड़ा कर दिया, वहीं एएसपी की सतर्कता ने अंतिम समय में इन बेकसूरों को बचा लिया. मामला जाले थाना क्षेत्र का है. जानकारी के मुताबिक जाले थाना क्षेत्र के लतराहा स्थित एक तालाब में गत तीन दिसंबर को एक अधेड़ की लाश बरामद हुई. दो दिन बाद शव की शिनाख्त विस्फी थाना क्षेत्र के भैरवा गांव निवासी नारायण पूर्वे के पुत्र मोगी पूर्वे के रूप में हुई. वह अपने बहनोई कंचन महतो के यहां रहते थे. पुलिस ने शव का अंत्यपरीक्षण कराया. यहीं से गड़बड़ी शुरू हुई. हुआ यूं कि चौकीदार पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेने के लिए डीएमसीएच आये. भूलवश एक महिला की रिपोर्ट लेकर चले गये. वही रिपोर्ट मोगी पूर्वे की फाइल में लग गयी. सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में मारपीट व जख्म की बात कही गयी थी. फिर क्या था, इस रिपोर्ट के आलोक में पुलिस ने अनुसंधान आरंभ कर दिया. छानबीन में पता चला कि मोगी बेटा व समधी के साथ अंतिम बार देखा गया. पुलिस ने शक के आधार पर मृतक के पुत्र जितेंद्र पूर्वे, इसके पुत्र राजाराम पूर्वे, बहनोई कंचन महतो तथा इनके पुत्र को हिरासत में ले लिया. चारों पुलिसिया अनुसंधान में दोषी साबित हो गये. इसकी जड़ में पोस्टमार्टम रिपोर्ट थी. हालांकि मृतक के पुत्र ने अपने पिता को नशे का आदी होने के साथ ही हेपेटाइटिस बी का रोगी भी बताया. लेकिन मौत से इसका कोई ताल्लुक पुलिस को नहीं देखा. अंतत: चारों को पुलिस ने जेल भेजने की तैयारी शुरू कर दी. इसी बीच बुधवार को यह मामला एएसपी सह सदर डीएसपी दिलनवाज अहमद के पास पहुंचा. जब उन्होंने अनुसंधान रिपोर्ट के कागजातों का बारीकी से मुआयना शुरू किया तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखकर चौंक पड़े. अंतिम समय में उन्होंने देखा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट किसी महिला की है. आनन-फानन में मोगी पूर्वे की रिपोर्ट मंगवायी गयी. इस रिपोर्ट से बेटे द्वारा दिये गये बयान की पुष्टि भी हो गयी. लिहाजा पुलिस ने चारों को निर्दोष मानते हुए तत्काल छोड़ दिया. इस वाकये ने यह साबित कर दिया कि छोटी सी भूल खासकर उस व्यक्ति के लिए जो महत्वपूर्ण पद पर अथवा दायित्व में हों तो खुद उनके साथ ही अन्य पर कितनी भारी हो सकती है. बहरहाल एक तरफ महकमे के एक कर्मी की लापरवाही जहां सामने आयी, वहीं अधिकारी की सतर्कता भी उजागर हुई.

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