समीक्षा रिपोर्ट से खुली निगम की कर्यपद्धति की पोल प्रधान सचिव ने उपलब्धि को अत्यंत निराशाजनक व असंतोषप्रद बताया योजना मद में 35 करोड़ राशि है जमा फोटो संख्या- 22परिचय- नगर निगम भवन की तसवीर दरभंगा : नगर निगम कोष में विकास मद में करीब 35 करोड़ की राशि पड़े हैं. लेकिन इससे योजनाओं का क्रियान्वयन उस अनुपात में नहीं होने पर नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने निगम की कार्यपद्धति को अत्यंत निराशाजनक एवं असंतोषप्रद बताया है. विभागीय उच्चाधिकारी की ऐसी टिप्पणी ने नगर निगम की कार्यपद्धति पर सवालिया निशान लगा दिया है. विभागीय सूत्रों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष 2015-16 के विगत छह माह (अप्रैल से सितंबर) तक की समीक्षा प्रधान सचिव ने की. समीक्षा के दौरान चतुर्थ राज्य वित्त आयोग, 13वें वित्त आयोग, 14वें वित्त आयोग, राज्य योजना, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि(बीआरजीएफ), ठोस अवशिष्ट प्रबंधन, नगर सेवा प्रबंधन, होल्डिंग टैक्स में राशि के अनुरूप योजनाओं की अपेक्षित प्रगति नहीं देख प्रधान सचिव ने अनुपालन प्रतिवेदन पत्र भेजा है. पत्रांक 5502 के आलोक में नगर आयुक्त को भेजे पत्र में प्रधान सचिव ने तीन सप्ताह के भीतर अनिवार्य रूप से विभाग को अद्यतन अनुपालन प्रतिवेदन भेजने का निर्देश दिया है. चतुर्थ राज्य वित्त आयोग पत्र में बताया गया है कि 1 अप्रैल 2015 को आपके नगर निकाय में 1633.77 लाख रुपये उपलब्ध थे. उपलब्ध राशि में से अबतक 615.72 लाख ही खर्च हो सके हैं, जो 37.69 फीसदी है. अभी भी इस मद में 1018.05 लाख रुपये जमा है. आपकी यह उपलब्धि निराशाजनक है. 13वें वित्त आयोग 13वें वित्त आयोग के अंतर्गत 1 अप्रैल 2015 को इस निगम में 549.07 लाख रुपये उपलब्ध थे. वर्ष 2015-16 में 219.19 लाख रुपये विमुक्त हुए. इस तरह कुल उपलब्ध 768.26 लाख में से अद्यतन 312.12 लाख ही खर्च हुए हैं, जो मात्र 40.63 फीसदी है. पत्र में बताया गया है कि भौतिक प्रतिवेदन की समीक्षा से ज्ञात होता है कि 1 अप्रैल 2015 को 355 योजनाएं लंबित थी. अबतक चालू वित्तीय वर्ष में कुल 102 योजनाएं ली गयी है. इस प्रकार कुल 457 योजनाओं में से 299 योजनाएं पूरी हुई है. इस उपलब्ध पर उन्होंने संतोष जताया है. 14वें वित्त आयोग चालू वित्तीय वर्ष में 332.12 लाख रुपये विमुक्त हुए, पर अबतक कुछ भी खर्च नहीं होने पर इसे अत्यंत निराशाजनक कहा है. राज्य योजना इस योजना मद में 1 अप्रैल 2015 को नगर निकाय में 1286.44 लाख राशि थी. चालू वित्तीय वर्ष में 338.95 लाख विमुक्त हुए. कुल उपलब्ध 1625.39 लाख में से अद्यतन 28.19 लाख ही खर्च हुए हैं, जो मात्र 1.73 फीसदी ही है. इस तरह 1 अप्रैल से पूर्व यहां 16 योजनाएं लंबित थी. चालू वित्तीय वर्ष में अबतक कोई भी योजना नहीं ली गयी है. यह अत्यंत निराशाजनक उपलब्धि है. पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि(बीआरजीएफ)पिछड़ा क्षेत्र अनुदान योजना के अंतर्गत निकाय में 137.67 लाख में से अद्यतन 69.49 लाख रुपये यानि 50.58 फीसदी ही खर्च हुए हैं. गत वर्ष की इसमें 16 योजनाएं लंबित थी. चालू वित्तीय वर्ष में अबतक एक भी योजना नहीं ली गयी है. इस प्रकार कुल 16 में से मात्र 9 योजनाएं ही पूर्ण हुई है. यह उपलब्धि भी असंतोषजनक है. ठोस अवशिष्ट प्रबंधन शहर के कुल 48 वार्डों में मात्र 2 वार्ड में डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण का कार्य हो रहा है. सरकार सफाई व्यवस्था सुव्यवस्थित ढंग से लागू करने के लिए यांत्रिकीकरण पर जोर दे रही है. लेकिन यहां वांछित संख्या में मशीनों की खरीददारी नहीं की गयी है. सफाई कर्मियों की ससमय उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बायोमिट्रिक हाजिरी की व्यवस्था का निर्देश दिया गया था. लेकिन अबतक अनुपालन रिपोर्ट अप्राप्त है. नगर सेवा प्रबंधन चालू वित्तीय वर्ष में हेल्पलाइन के माध्यम से 112 जनशिकायतें प्राप्त हुई हैं. इनमें 58 का निराकरण किया गया है. यह उपलब्धि असंतोष जनक है. होल्डिंग टैक्स गत सितंबर तक मासिक संग्रहण 50.18 लाख है, जो पिछले वित्तीय वर्ष के औसत मासिक संग्रहण 38.21 लाख से 31.33 फीसदी अधिक है. मार्च 2015 तक होल्डिंगों की संख्या 50184 थी तथा वर्तमान में यह बढ़कर 51427 हो गयी है. होल्डिंग का सर्वेक्षण करके अतिरिक्त होल्डिंगों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए प्रयास करें. निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने जब सरकार के इस पत्र पर चर्चा की तो नगर आयुक्त सहित अन्य अधिकारी हक्का-बक्का थे. अंतत: मेयर गौड़ी पासवान ने सदस्यों को आश्वस्त किया कि आगामी चार महीों मेंं द्रुत गति से योजनाओं का क्रियान्वयन कराया जायेगा.
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समीक्षा रिपोर्ट से खुली निगम की कर्यपद्धति की पोल
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