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बस स्टैंड में घुप्प अंधेरा, जंकशन जगमग

बस स्टैंड में घुप्प अंधेरा, जंकशन जगमग रात चढ़ते ही सो जाती शहर की व्यवस्था फोटो संख्या- 13परिचय- सूना पड़ा कादिराबाद का सरकारी बस स्टैंड फोटो संख्या- 14परिचय- निजी बस पड़ाव में छाया अंधेरा फोटो संख्या- 15परिचय- रात गुजरने का इंतजार करते जंकशन पर यात्री फोटो संख्या – 16परिचय- जंकशन पर सोये पड़े यात्रीगण फोटो […]

बस स्टैंड में घुप्प अंधेरा, जंकशन जगमग रात चढ़ते ही सो जाती शहर की व्यवस्था फोटो संख्या- 13परिचय- सूना पड़ा कादिराबाद का सरकारी बस स्टैंड फोटो संख्या- 14परिचय- निजी बस पड़ाव में छाया अंधेरा फोटो संख्या- 15परिचय- रात गुजरने का इंतजार करते जंकशन पर यात्री फोटो संख्या – 16परिचय- जंकशन पर सोये पड़े यात्रीगण फोटो संख्या- 20परिचय- रोशनी से जगमग लहेरियासराय टावर फोटो संख्या- 21परिचय- रात के अंधेरे में जगमगाता कर्पूरी चौराहाफोटो संख्या- 22 व 23परिचय- सवारी की प्रतीक्षा में लहेरियासराय स्टेशन पर सोये पड़े रिक्सा चालक फोटो संख्या- 24 व 25परिचय- लहेरियासराय एएसएम कार्यालय में ऊंघते कर्मी व सोयी पड़ी पुलिस फोटो संख्या- 26परिचय- अंधेरे में डूबा लहेरियासराय स्टेशन फोटो संख्या- 27परिचय- आइजी कार्यालय पर पसरा अंधेराफोटो संख्या- 28परिचय- अंधेरे में डूबा सूना पड़ा लहेरियासराय बस स्टैंड फोटो संख्या- 29परिचय- नींद का मजा लेते परिवहन विभाग के सुरक्षा कर्मी फोटो संख्या- 30 परिचय- लहेरियासराय में एटीएम में सोया सुरक्षा कर्मी फोटो संख्या- 31परिचय- गश्ती पर निकली लहेरियासराय थाने की पुलिस फोटो संख्या- 32परिचय- वीरान पड़ा डीएमसीएच का आपात विभाग प्रभात खबर टोली, दरभंगा . रात चढ़ने के साथ ही प्रमंडलीय मुख्यालय का शहर दरभंगा की व्यवस्था सो जाती है. दो शहरों में बंटे इस मुख्यालय की अधिकांश सड़कें जहां अंधेरे में गुम हो जाती हैं वहीं पूरी व्यवस्था बेसुध हो जाती है. इसका खुलासा प्रभात खबर की ओर से चार-पांच दिसंबर की रात चलाये गये विशेष अभियान के दौरान हुआ. लहेरियासराय क्षेत्र में जहां गश्ती में पुलिस के जवान निकले नजर आये, वहीं दरभंगा क्षेत्र में किसी का दर्शन नहीं हो सका. व्यवस्था का आलम यह है कि रेलवे के परिचालन विभाग से संबंधित कर्मी भी नींद में डूबे मिले. दरभंगा टावर, लहेरियासराय टावर, दरभंगा जंकशन, कर्पूरी चौराहा आदि जहां रोशनी से जगमगाता दिखा, वहीं लहेरियासराय स्टेशन व बस स्टैंड के साथ ही कादिराबाद बस स्टैंड में अंधेरे की चादर पूरी तरह फैली नजर आयी. इस दौरान इक्के-दुक्के लोग ही सड़क पर आते-जाते टकराये. हां, अवारा कुत्तों ने अपनी मौजूदगी का जोरदार अहसास जरूर कराया. रात गुजारने के लिए जंकशन पर प्रतीक्षारत रहे यात्री दरभंगा जंकशन यात्रियों से आधी रात में भी गुलजार दिखा. रात 11 बजे जंकशन पर अधिकांश यात्री जहां सोये पड़े हैं, मुख्य भवन का बरामदा इनसे पटा है, वहीं जगह के अभाव में इस ठंड में यात्री खुले आसमान के नीचे बैठे हैं. गाड़ी नहीं आनेवाली है. टेंपो चालक भी अपनी गाड़ी में चादर ताने हुए हैं. वीआइपी रोड के किनारे के होटल संचालक व कर्मी मुस्तैद हैं. जरा सी किसी की आहट होती है कि एक साथ शोर उठता है ‘आइये गरमा-गरम मछली-चावल, सादा खाना, रोटी, जो खाइयेगा, सब मिलेगा’ इसीके साथ एक होटल का कर्मी जंकशन से चाय पीने के लिए बाहर निकले. एक यात्री का हाथ पकड़ लेता है. लगभग खींचते हुए अपने होटल में ले जाने की चेष्टा करता है. जब वह बताता है कि वह खा चुका है तब उसकी जान छूटती है. जीआरपी व आरपीएफ थाने पर कर्मी मुस्तैद बैठे हैं. हालांकि इनकी संख्या भी बहुत अधिक नहीं दिख रही.सुनसान स्टैंड, राम भरोसे बस यात्री स्थान कादिराबाद बस स्टैंड. रात के 11.10 बजे हैं. स्टैंड के निकासी गेट पर रामभरोसे अपने कठघरानुमा जेनेरल स्टोर की दुकान बंद करने को सामान सहेज रहा है. उसके आसपास की सभी दुकानें बंद है. विलंब से दुकान बंद करने की वजह पूछने पर राम भरोस बताता है कि जयनगर एवं मधुबनी जानेवाली ‘जय माता दी’ एवं ‘शाही तिरूपति’ बसों के यात्रीगण रात में बिस्किट एवं पानी का बोतल लेते हैं. इसीलिए इन सबों के गुजरने पर ही दुकान बंद करते हैं. दूसरी ओर स्टैंड के प्रवेश द्वार पर मो अफरोज की बीड़ी-सिगरेट एवं गुटखा की दुकान खुली है. उसके बगल की अंडा दुकान भी बंद है. पूरे स्टैंड क्षेत्र में मात्र ये दुकानें ही खुली है. स्टैंड के प्रवेश द्वार पर एक वैपर लाइट जल रहा है. स्टैंड परिसर में घुप्प अंधेरा कादिराबाद बस स्टैंड परिसर में कहने को 50 फीट ऊंचा हाइमास्ट लाइट लगे हैं, लेकिन वह महज दिखावे को ही है. स्टैंड के दोनों भाग में करीब एक दर्जन खराब बसें लगी हुई है. रात 8 बजे के बाद बाहर से आनेवाली एक भी बस स्टैंड परिसर में नहीं आता. इसीलिए स्टैंड परिसर की दुकानें रात 8 बजे ही बंद हो जाती हैं. यात्रीशेड के निकट पोल पर एक बल्ब जल रहा है. लेकिन कुहासा के कारण उसका प्रकाश कुछ दूरी तक ही दिखाई देता. परिवहन निगम स्टैंड में यात्रियों को मंदिर ही सहारा रात 11.25 बजे हैं. कादिराबाद स्थित बिहार राज्य परिवहन निगम के स्टैंड परिसर में सन्नाटा है. परिसर स्थित मंदिर के बरामदा पर एक बल्ब जल रहा है. उस बरामदा पर तीन लोग कंबल में लिपटे सोये हैं. परिसर के अगल-बगल की सभी दुकानें बंद है. कंपकंपी बढ़ानेवाली तेज हवा चलने के कारण सड़क पर आदमी की कौन कहे, एक कुत्ता भी नहीं दिखता. करीब 40 मिनट तक दोनों स्टैंडों के बीच गुजारने के दौरान कहीं भी पुलिस की रात्रि गश्ती टीम नहीं दिखी. वैसे स्टैंड से महज एक किलोमीटर दूर विश्वविद्यालय थाना है और थोड़ी दूरी पर नामा नंबर-2. लाइटिंग पर लाखों खर्च, फिर भी घुप्प अंधेरा शहरी क्षेत्र में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था पर केवल इस वित्तीय वर्ष में करीब 60 लाख से अधिक की राशि खर्च किये गये. बुडको एवं ब्रेडा से करीब एक दर्जन सड़कों के किनारे एलइडी लाइट लगाये गये. इन योजनाओं के अभिकर्ताओं से निविदा शर्त्त के अनुसार अगले पांच वर्षों तक इन लाइटों का मेंटिनेंस भी करना है. लेकिन निविदा शर्त्तों का अनुपालन अभिकर्ता द्वारा नहीं किये जाने के कारण अधिकांश सड़कों पर इक्के-दुक्के ही एलइडी लाइट जल रहे हैं. जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना से ब्रेडा के माध्यम से करीब 7-8 माह पूर्व आधा दर्जन सड़कों में 24 लाख की लागत से एलइडी लाइट लगाये गये. इनमें सौ से अधिक लाइट लगने के एक महीना बाद से ही बंद है. जानकारी के अनुसार दरभंगा टावर से भाया रामचौक कादिराबाद पथ में राजेंद्र गर्ल्स स्कूल के निकट, पूर्व डिप्टी मेयर प्रबोध कुमार सिन्हा के घर के सामने, बंगलागढ़, रामचौक राम मंदिर के निकट एलइडी बंद हैं. इसी तरह डब्ल्यूआइटी रोड में लगे 8 एलइडी में मात्र दो जल रहे हैं. पॉलिटेक्निक चौक से हसनचक पथ में भी गिने-चुने एलइडी जल रहे हैं. लगभग वहीं स्थिति हसनचक से आयकर चौक, विद्यापति चौक, सुभाष चौक से खानकाह चौक एवं भगत सिंह चौक से स्टेशन रोड तक की है. इतना ही नहीं, बुडको की ओर से लगाये गये अधिकांश लाइट जीएनगंज सहित कई पथों में बंद है. ज्ञात हो कि शहर की प्रकाश व्यवस्था पर नगर निगम प्रतिवर्ष केवल बिजली बिल मद में 5 करोड़ से अधिक खर्च करता है, लेकिन इसका आंशिक लाभ ही शहरवासियों को मिल रहा है. इस बाबत पूछे जाने पर नगर आयुक्त नागेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि दोनों अभिकर्ता को शीघ्र लाइटों की मरम्तत के लिए पत्र भेजा गया है. वीआइपी सड़क पर पसरा सन्नाटा, नहीं मिली गश्ती पुलिस रात्रि के 11.20 बजे हैं. दिन में अति व्यस्त रहनेवाला वीआइपी पथ दोनार से लेकर लहेरियासराय तक सूना पड़ा है. कभी-कभार सड़कों पर वाहनों की शोर से माहौल गूंजता है फिर घुप्प अंधेरा और सुनसान सड़क. कभी अललपट्टी चौराहे पर मोटरसाइकिल गुजरने पर उसके पीछे दौड़ लगाते कुत्तों की फौज और उनकी भौंकने की आवाज से सहसा सवार चौंक जाता है. यही स्थिति बेंता चौक की भी है. कर्पूरी चौक पर तो रोशनी है लेकिन एक भी व्यक्ति मौजूद नहीं था. लहेरियासराय टावर चौक भी सूना है. रोशनी से नहाया लहेरियासराय टावर के ईद-गिर्द एक भी रिक्सा या ऑटो मौजूद नहीं है न ही कोई पुलिस कर्मी. चंद कदमों की दूरी पर लहेरियासराय थाना है, बावजूद इसके गश्ती के लिए टीम नहीं दिखी. लहेरियासराय स्टेशन अंधेरे में डूबा, नींद में डूबे सिग्नल रूम में कर्मी लहेरियासराय स्टेशन पर रोशनी का अभाव है. रात के 11 बजकर 30 मिनट हुए हैं. प्लेटफार्म पर नींद की आगोश में यात्री हैं. अंधेरे की वजह से स्टेशन हॉल्ट की तरह नजर आता है. हद तो यह कि सिग्नल रूम में मौजूद कर्मी नींद में डूबे हैं. वहीं पास की बेंच पर एक और कर्मी आराम फरमा रहे हैं. इनकी नींद ऐसी कि कैमरे की फ्लैश से भी नींद न खुली तो उन्हें पुकारकर जगाना पड़ा. जागते ही उन्होंने कहा ‘आं..हां.. हां फोटो नहीं खीचिए’ . उनकी आवाज सुन भी उनके सहकर्मी नहीं जगे तो उन्हें हिलाकर जगाना पड़ा. ऐसे में यात्रियों की कैसी सुरक्षा हो सकती है, अनुमान आप लगायें. प्लेटफार्म पर खड़े यात्री किसी गाड़ी की प्रतीक्षा में खड़े हैं. स्टेशन परिसर के बाहर नींद की आगोश में मेहनतकश रिक्सा चालक चादर तानकर ओस में ही अपने रिक्से पर सोये हैं. तीन-चार ऑटो चालक यात्री की प्रतीक्षा में बाहर में खड़े हैं. यहां भी कोई पुलिस कर्मी नहीं है. रोशनी को मोहताज दिखा लहेरियासराय का निजी बस पड़ावरोजाना हजारों की आय देनेवाला लहेरियासराय का निजी बस पड़ाव रात में रोशनी का मुंहताज बना है. रात के 11.40 बजे हैं. यहां आधा दर्जन से अधिक बसें खड़ी हैं. बस स्टैंड में न तो कोई यात्री दिखा और न ही कोई सुरक्षाकर्मी. हां, लाहौरी शेड में खाद्यान उतारने को पहुंचे ट्रक चालकों की शोर से कभी-कभार इलाके की तंद्रा भंग होती है. देा-तीन कर्मी खाद्यान्न लदे ट्रक को खड़ी करवाने में जुटे हैं. पूछने पर उन्होंने बताया कि अनलोड तो सुबह होगा अभी लाइन में गाड़ी खड़ी कर रहे हैं. फिर हमारा काफिला अति महत्वपूर्ण चौराहे लोहिया चौक पर पहुंचा, जहां गोलम्बर तो रोशनी से जगमगा रहा था, लेकिन यहां भी कोई पुलिस कर्मी के दर्शन नहीं हुये. ज्ञात हो कि यह चौराहा समस्तीपुर की ओर जानेवाली सड़क को जोड़ती है और काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. यहां से चंद गज की दूरी पर लहेरियासराय थाना है और दो-चार सौ मीटर की दूरी पर लहेरियासराय क्षेत्र स्थित प्रशासनिक महकमा का मुख्यालय. ऐसे में इनकी सुरक्षा किसके हवाले है, आप तय करें. इस बस स्टैंड के ठीक पीछे सरकारी बस पड़ाव में गार्ड मच्छरदानी लगाकर नींद का मजा ले रहे थे. वहीं पड़ाव स्थल पर खड़े बस के कई कर्मी बसों की सफाई में लगे थे. सुबह चार बजे तक लगायेंगे गश्तनाका नंबर 6 से सटे सड़क पर आधा दर्जन पुलिस कर्मी (डंडाधारी) खड़े होकर बातचीत कर रहे हैं. जब कैमरे का फ्लैश चमका तो उन्होंने मुखातिब हो पूछा क्या कर रहे हैं. यह पहला मौका था जब इस क्षेत्र भ्रमण के दौरान पुलिस मिली और उससे रू-ब-रू हम हो सके. पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी से सुबह चार बजे तक हमलोग गश्त लगायेंगे. थोड़ी देर पहले लहेरियासराय थाने की पुलिस गश्त की जीप इधर से गुजरी है. हमने कहा हमें तो नहीं दिखी. इसपर उन्होंने कहा कि हो सकता है वे डीएमसीएच रोड से निकल गयी हो. जब हमलोगों ने डीएमसीएच वाली सड़क का रूख किया तो डीएमसी के मुख्य द्वार पर पुलिस की एक जीप मिली जो सड़क किनारे खड़ी थी. इसपर सवार कर्मी भी ऊंघ रहे थे. हमारी गाड़ी यहां से निकलकर कर्पूरी चौक पहुंची तो देखा कि बेंता ओपी प्रभारी बाइक से ही गश्त पर निकले हैं. कर्पूरी चौक पर पूरी रोशनी थी. लेकिन न तो कोई सवारी और न ही कोई व्यक्ति.

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