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8 गंभीर मरीजों का हुआ सफल ऑपरेशन

8 गंभीर मरीजों का हुआ सफल ऑपरेशन लाइव सर्जिकल वर्कशॉप आयोजित फोटो संख्या- 15परिचय- गंभीर मरीजों का ऑपरेशन करते नेत्र सर्जन. दरभंगा : बिहार ऑपथेलमोलॉजिकल सोसाइटी का 53वां कान्फ्रेंस शुक्रवार को डीएमसीएच में शुरू हुआ. दरभंगा ऑपथेलोमोलॉजी सोसाइटी के गोल्डेन जुबली के मौके पर आयोजित इस कान्फ्रेंस में शुक्रवार को आंख रोग विभाग में देश […]

8 गंभीर मरीजों का हुआ सफल ऑपरेशन लाइव सर्जिकल वर्कशॉप आयोजित फोटो संख्या- 15परिचय- गंभीर मरीजों का ऑपरेशन करते नेत्र सर्जन. दरभंगा : बिहार ऑपथेलमोलॉजिकल सोसाइटी का 53वां कान्फ्रेंस शुक्रवार को डीएमसीएच में शुरू हुआ. दरभंगा ऑपथेलोमोलॉजी सोसाइटी के गोल्डेन जुबली के मौके पर आयोजित इस कान्फ्रेंस में शुक्रवार को आंख रोग विभाग में देश के चर्चित नेत्र सर्जन ने गंभीर सात मरीजों का मुफ्त ऑपरेशन किया. इस ऑपरेशन का लाइव सर्जिकल वर्कशॉप का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ. इस वर्कशॉप का आयोजन मेडिकल कॉलेज के अत्याधुुनिक लेक्चर थिएटर में किया गया. मरीजों के ऑपरेशन के दौरान नेत्र रोग विशेषज्ञ यहां के डॉक्टरों को नये-नये अत्याधुनिक विधियों से मरीजों के ऑपरेशन के नुस्खे का पाठ पढ़ा रहे थे. आठ मरीज हुए लाभान्वित लाइव सर्जिकल वर्कशॉप में 8 मरीजों का ऑपरेशन अत्याधुनिक मशीन उपकरण से हुआ. इसमें कामेश्वरी देवी, रमेश चंद्र झा, शनिचरी देवी, ढोनकली देवी, राजू राय, ताराकांत चौधरी, आशिक और सुमूजा शामिल थे. ये हैं नेत्र रोग विशेषज्ञ आइजीआइएमएस पटना के डॉ विभूति सिन्हा, पटना के डॉ सुभााष प्रसाद, डॉ सुदीप कुमर, डॉ नागेंद्र कुमार और दरभंगा के डॉ आशीष शेखर शामिल थे.परिचर्चा फोटो संख्या- 16परिचय- डॉ सुधीर कुमार की तसवीर. ऑपरेशन में शामिल डॉ सुधीर कुमार ने बताया कि इसमें सबसे कठिन ऑपरेशन सारामोहनपुर निवासी स्व गणेश राय के पुत्र राजू राय का था. मरीज राजू राय की आंख में लोहे काटने के दौरान लोहे का चूर्ण चला गया था. इसके कारण उसके आंख की पुतली कई टूकड़ों में टूट गयी थी. चार सालों से उसका बाएं आंख की रोशनी समाप्त हो गया था. यहां के डॉक्टरों ने मरीज को मद्रास रेफर कर दिया था लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उसका ऑपरेशन नहीं हो रहा था. इस मरीज के लिए अत्याधुनिक मशीन बाहर से आपूर्ति की गयी जब जाकर टूटे पुतली को निकालकर उस स्थान पर कृत्रिम पुतली लगाया गया. फोटो संख्या- 17परिचय- डॉ विभूति सिन्हा की तसवीर डॉ विभूति सिन्हा ने बताया कि ऐसे कार्यक्रम से अप्रशिक्षित डॉक्टरों को नये विधियों की जानकारी दी जाती है ताकि यहां के मरीजों को बाहर रेफर नहीं होना पड़े. ऐेसे अत्याधुनिक विधि के ऑपरेशन में स्थानीय स्तर पर बुनियादी सुविधाएं जरूरी है. फोटो संख्या- 18परिचय- डॉ नागेंद्र प्रसाद की तसवीर डॉ नागेंद्र प्रसाद का कहना था कि ऐसे गंभीर ऑपरेशन के लिए अत्याधुनिक मशीन उपकरण का होना जरूरी है. यहां सुविधा नहीं रहने के कारण ऐसे गंभीर मरीजों को अन्य प्रदेशों में रेफर किया जाता है. लेकिन ऐसे ऑपरेशन के लिए पटना में भी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हो गयी है. डॉ सुभाष कुमार ने बताया कि ऐसे गंभीर ऑपरेशन के लिए बाहर में 50 हजार से अधिक लागत आती है. इसके अलावा अन्य परिजनों का खर्च अलग है. सभी मरीज स्वस्थ हैं और दो दिनों के बाद छुट्टी दे दी जायेगी.

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