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कैंपस… विवि दिनानुदिन बढ़े, यही महाराज के प्रति होगी सच्ची श्रद्धांजलि : डॉ झा

कैंपस… विवि दिनानुदिन बढ़े, यही महाराज के प्रति होगी सच्ची श्रद्धांजलि : डॉ झा संस्कृत विश्वविद्यालय में मनी महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की जयंती फोटो संख्या- 06 व 07परिचय- कार्यक्रम में मौजूद वीसी डॉ देवनारायण झा व अन्य एवं उपस्थित लोग. दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गुरुवार को महाराजाधिराज कामेश्वर […]

कैंपस… विवि दिनानुदिन बढ़े, यही महाराज के प्रति होगी सच्ची श्रद्धांजलि : डॉ झा संस्कृत विश्वविद्यालय में मनी महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की जयंती फोटो संख्या- 06 व 07परिचय- कार्यक्रम में मौजूद वीसी डॉ देवनारायण झा व अन्य एवं उपस्थित लोग. दरभंगा : कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से गुरुवार को महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह की 108वीं जयंती पर विश्वविद्यालय के दरबार हॉल में कार्यक्रम आयोजित की गयी. इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रूसा के उपाध्यक्ष डॉ कामेश्वर झा ने कहा कि पंडित वहली झा द्वारा मैथिली से मैथिली में कोश निर्माण का संरक्षण दरभंगा नरेश के द्वारा दिया गया था ताकि मैथिली को सरकारी भाषा का दर्जा प्राप्त हो सके. इसके लिए महाराज कामेश्वर सिंह ने उनसे संस्तुति की थी. उन्होंने कहा कि राज्य एवं केंद्र दोनों के शिक्षा मंत्री संस्कृतानुरागी हैं. इसके कारण संस्कृत विश्वविद्यालय केविकास पर इनकी सौम्य दृष्टि है. बतौर मुख्य अतिथि डॉ झा ने कहा कि विश्व विद्यालय की गरिमा दिनानुदिन बढ़े, यही महाराज के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी. विधान पार्षद डॉ दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि महाराज के मदद से बना बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आज प्रतिष्ठा के नये मापदंड छूते हुए नजर आ रहा है, जबकि स्वयं महाराज के द्वारा स्थापित यह संस्कृत विश्वविद्यालय आज मुख्यधारा से पीछे ही है जो कि खेद का विषय है. उन्होंने कहा कि इस गौरवशाली जयंती पर संस्कृत शिक्षा को नये सिरे से प्रचारित और प्रसारित करने की बात कही. साथ ही अध्ययन और अध्यापन पर और अधिक ध्यान देने को कहा. वहीं नगर के भाजपा विधायक संजय सरावगी ने महाराज कामेश्वर सिंह की विद्याव्यसनिता, दानशीलता, राजनीति निपुणता को लेकर दरभंगा का नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. प्रथमगोलमेज एवं द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में इनकी सहभागिता रही. दो दो विश्वविद्यालय को भवन भूखंड दान करने वाले महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह ने संस्कृत विद्या के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा प्रगट की थी. वहीं 1936 में कौशल विकास के लिए 5 संस्थाएं खोली थी. दूरदर्शी महाराज ने देश का प्रथम ने देश का प्रथम एयरलाइंस प्रबंधन किया था. उन्होंने अपील किया कि इस परिसर में नवनिर्माण का स्वरुप महाराज की गरिमा के अनुकूल होनी चाहिये. वहीं सरकार को इनकी जयंती को राजकीय समारोह में शामिल करनी चाहिए. इससे दान देनेवालों में वृद्धि होगी और विद्यानुरागी महाराज के प्रति शासकीय श्रद्धांजलि भी होगी .कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डा. देवनारायण झा ने कहा कि वह कवीश्वर व धनेश्वर धन्य है. जिनकी भौकिी काल भी अनुपस्थिति के बाद भी यश: काया जीवित है. इसलिए कामेश्वर सिंह आज भीजीवित हैं. उनको यह राज युद्ध के बल पर नही बल्कि संस्कृत शास्त्र से उपार्जित हुआ था. उन्हें जिस शास्त्र के बल पर यह राज्य मिला उन्होंने उसी शाास्त्र को यह राज्य सौंप डाली. इनसे पूर्व प्रोवीसी डा. नीलिमा सिंहा ने कहा कि महाराजा का अवदान प्राच्य विद्या के विकास के चारो ओर फैला रहा है. वित्तीय परामर्शी राकेश मेहता ने कहा कि महाराज ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए तथा प्राच्य संस्कृति की स्थापना के लिए इन्होंने सर्वस्व लक्ष्मीविलास पैलेस एवं हेड ऑफिस का दान करते हुए प्राच्य एवं आधुनिक विद्या को सौंप दिया. कार्यक्रम को भूतपूर्व व्याकरण विभागाध्यक्ष डॉ कृष्णानंद झा, मदन राय एवं डॉ अशोक सिंह एवं प्रदीप कुमार महतो ने संबोधित किया. कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव डॉ सुरेश्वर झा ने किया. वहीं स्वागत गान एवं विश्वविद्यालय का कुलगीत डॉ ममता ठाकुर ने गायी तथा वैदिक मंगलाचरण डॉ विद्येश्वर झा व लौकिक मंगलाचरण डॉ दयानाथ झा ने प्रस्तुत किया. इससे पूर्व मिथिला परंपरानुसार अतिथियों का स्वागत किया गया. कार्यक्रम के दौरान डॅा विमल नारायण इाकुर, डॉ शशिनाथ झा, डॉ शिवलोचन झा, डॉ दिलीप झा, डॉ नरोत्तम मिश्र, डॉ बौआनंद झा आदि मौजूद थे.

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