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कामेश्वर सिंह का चिकत्सिाव सेवा में योगदान चिरस्तरणीय : डा. सिंहा

कामेश्वर सिंह का चिकित्साव सेवा में योगदान चिरस्तरणीय : डा. सिंहा पूर्वी भारत का चर्चित था राज अस्पताल देश विदेश के डाक्टर दे चुके हैं सेवादरभंगा. महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह का योगदान स्वास्थ्य सेवा में चिरस्मरणीय है. इसका आज जीता जागता उदाहरण है. दरभंगा से लेकर दिल्ली तक के चिकित्सा संस्थानों में मरीजों को बेहतर चिकित्सा […]

कामेश्वर सिंह का चिकित्साव सेवा में योगदान चिरस्तरणीय : डा. सिंहा पूर्वी भारत का चर्चित था राज अस्पताल देश विदेश के डाक्टर दे चुके हैं सेवादरभंगा. महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह का योगदान स्वास्थ्य सेवा में चिरस्मरणीय है. इसका आज जीता जागता उदाहरण है. दरभंगा से लेकर दिल्ली तक के चिकित्सा संस्थानों में मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिल रही है. डीएमसी के प्राचार्य डा. आरके सिंहा ने शनिवार को कामेश्वर सिंह की 108 वीं जयंती समारोह के मौके पर महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह मेमोरियल अस्पताल आयकर चौराहा कामेश्वर नगर में यह बातें कही. इसके लिए मैं उन्हें नमन करता हूं. प्राचार्य डा. सिंहा ने कहा कि महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह 1925 में टेम्पुल आफ मेडिकल स्कूल की स्थापना दरभंगा में की जो आज देश विदेश मेें डीएमसीएच के नाम से चर्चित है. इसे आगे बढाने में कामेश्वर सिंह ने सराहनीय योगदान दिया था. कलकत्ता अस्पताल (पश्चिम बंगाल) डलहौजी में भी इनका विशेष योगदान है. इसके अलावा अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य सेवा का योगदान दिया गया. उन्होंने कहा कि कामेश्वर सिंह मेमोरियल अस्पताल का विकास हो और उसमें रचनात्मक काम के लिए वे हमेशा तत्पर रहेेंगे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन बिहार के पूर्व अध्यक्ष सह नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. रमण कुमार वर्मा ने कहा कि राज दरभंगा का योगदान विश्व में चर्चर्ति है. शिक्षा नाटक, कला , उद्योग धंधे आदि क्षेत्रों में भी योगदान रहा है. राज दरभंगा स्वास्थ्य सेवा के लिए इतना तत्पर थे कि 1925 में पटना से टेम्पुल मेडिकल स्कूल की यहां स्थापना के लिए 9 लाख रुपये अंग्रेजी सरकार को दिये थे. डीएमसीएच के विस्तारीकरण के लिए 200 से अधिक एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर कामेश्वर सिंह ने दिया था. उस समय टेम्पुल मेडिकल स्कूल के छात्रों का प्रशिक्षण केंद्र राज अस्पताल हुआ करता था. इसका निर्माण 1887 में बेलिंगटन अस्पताल के नाम से किया गया था. मंच संचालन क रते हुए डा. एमएम कोले ने कहा कि यह अस्पताल पूर्वी भारत की शान था. डा. कोले ने कहा कि अंग्रेज के जमाने में कामेश्वर सिंह ने गांवों तक चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था किया था. सुपौल केे अहिंस, घोघरडिहा के आलापुर, विसनगर, कमतौल, कोहरा आदि गांवों में डिस्पेंसरी खुले थे. एमकेएसएम अस्पताल के सचिव नरेंद्र भूषण ने बताया कि स्व. राजकुमार शुभेश्वर सिंह के पुत्र राजेश्वर सिंह और कपलेश्वर सिंह ने इस अस्पताल को अत्याधुनिक मशीन उपकरण से लैस के लिए प्रक्रिया शुरु कर दी है. इसके लिए लोक कल्याणकारी योजना बनायी गयी है. इधर स्वास्थ्य शिविर में 492 मरीजों की मुफ्त जांच एवं दवा दी गयी. जिसमें डा. के के ठाकुर, डा. एन जायसवाल, डा. अखिलेश कुमार, डा. एन चौधरी, डा. संजीव कुमार और डा. विनोद राठौर शामिल थे. इस मौके पर सिद्धुनाथ झा, विनय कुमार चौधरी, ओमनाथ वर्मा, जितेंद्र ठाकुर, मरली माधव शंकर, अशोक मंडल आदि ने विशेष योगदान दिया.

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