लोक भागीदारी से ही स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता सर्व शिक्षा के कई कार्यक्रमों में आमलोग नहीं करते शिरकत शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी में नहीं पहुंचते प्रतिनिधि कई कार्यक्रमों की महज होती है खानापूरी दरभंगा. छह से चौदह आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार के तहत गुणवत्ता शिक्षा दिलाने के लिए लोक भागीदारी की अहम भूमिका है. समाज अपनी जिम्मेवारी निभायेगा तो वातावरण का निर्माण होगा. यही वातावरण लाखों नौनिहालों को स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण होगा. सर्व शिक्षा अभियान में भी वातावरण निर्माण के लिए कई मार्ग सुझाये गये हैं. इन मार्गों में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित है. नामांकन अभियान, विभिन्न स्तरों पर बाल मेला, सांस्कृतिक दलों का कार्यक्रम, विद्यालय शिक्षा समिति की सक्रियता, समुदाय का उन्मुखीकरण, शिक्षा का अधिकार यात्रा, विशेष अभियान आदि ऐसे कार्यक्रम हैं जिसके माध्यम से आमलोगों को जागरूक कर स्कूली शिक्षा के मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास किया जाता है किंतु इसे महज सरकारी कार्यक्रम समझ कर आमलोग औपचारिकता निभाने की प्रवृत्ति के कारण ऐसी स्थिति बन जाती है कि जब शिक्षक अभिभावक संगोष्ठी होती है तथा अभिभावक इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, वहीं से स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के प्रयास को धक्का लगता है. यह स्थिति निजी विद्यालयों में नहीं होती. वहां पैरेंट्स मीटिंग में बच्चों के अभिभावक जरूर शामिल होते हैं. उनके प्रगति से अवगत होते हैं. उनके खुबियों एवं खामियों को जानते हैं. इस पर शिक्षकों से राय मशविरा करते हैं. यही स्थिति गुणवत्ता शिक्षा के लिए वातावरण निर्माण के लिए अन्य कार्यक्रमों के साथ रहता है जिसके कारण ये कार्यक्रम महज औपचारिकता तक सिमट कर रह जाता है. शिक्षा समिति की बैठक पंजी पर हस्ताक्षर तक सीमितस्कूली शिक्षा के सुदृढ़ीकरण के लिए विद्यालय शिक्षा समिति की अहम भूमिका है. किंतु इनकी भूमिका बैठक पंजी पर हस्ताक्षर तक ही सीमित रह गयी है. बैठक में उपस्थिति नहीं हुए तो बारी-बारी से बुलाकर अथवा जाकर हस्ताक्षर भी कराया जाता है. शिक्षा समिति के सचिव का बैंक अकाउंट संयुक्त हस्ताक्षर होने के कारण उन्हें तरजीह दी जाती है. वहीं समिति के अध्यक्ष को सिर्फ अनुमोदन के लिए याद किया जाता है. नामांकन व विशेष अभियान पर गंभीर नहीं बच्चों का शत प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर नामांकन व विशेष नामांकन चलाया जाता है. इसके पोषक क्षेत्र के लिए लोगों एवं जनप्रतिनिधियों की सक्रियता आवश्यक रहती है.किंतु प्राय : देखा जाता है कि शिक्षक टोला गांव में घुमकर इस कार्य को करते हैं. जिसके कारण इस अभियान में शत प्रतिशत सफलता नहीं मिल पाती. वहीं कमजोर वर्गों को अपेक्षित दक्षता दिलाने पर लोगों की निगरानी नहीं होने से खानापूरी बनकर रह जाता है. बॉक्स:::::::::::::::::::::::प्रतिवर्ष लाखों का खर्च व्यर्थस्कूली शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए सर्व शिक्षा अभियान के तहत कई कार्यक्रमों में लाखों रुपये व्यय किये जाते हैं किंतु लोगों की अपेक्षित भागीदारी नहीं होने के कारण यह राशि व्यर्थ जाता है. विभिन्न स्तरों पर आयोजित बाल मेला हो या नामांकन अथवा विशेष अभियान या फिर की लोक भागीदारी के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण व कलाकारों के प्रदर्शन पर हजारों रुपये व्यय का प्रावधान है.
लोक भागीदारी से ही स्कूली शक्षिा में गुणवत्ता
लोक भागीदारी से ही स्कूली शिक्षा में गुणवत्ता सर्व शिक्षा के कई कार्यक्रमों में आमलोग नहीं करते शिरकत शिक्षक-अभिभावक संगोष्ठी में नहीं पहुंचते प्रतिनिधि कई कार्यक्रमों की महज होती है खानापूरी दरभंगा. छह से चौदह आयु वर्ग के बच्चों को शिक्षा का अधिकार के तहत गुणवत्ता शिक्षा दिलाने के लिए लोक भागीदारी की अहम भूमिका […]
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