दरभंगा : आस्था एवं शुचिता का चार दिवसीय महापर्व रविवार को नहाय-खाय से शुरू हो गया. व्रतियों ने अपने उपवास का संकल्प लेकर अनुष्ठान की तैयारी शुरू किया. इससे पूर्ण व्रतियों ने तालाब-नदियों में स्नान कर वहां से लाये जल से अरबा चावल, मूंग दाल एवं कद्दू की सब्जी ग्रहण किया. साथ ही छठ के पकवान के लिए गेहूं की पिसाई करायी जाने लगी.
छठ पूजा पर केला की मांग अधिक होने के कारण असम, पश्चिम बंगाल, नौगछिया एवं हाजीपुर से अबतक दो दर्जन ट्रक से अधिक केला मंगाये गया है. इसके बावजूद खरीदारों की बढ़ती तादाद को देख दुकानदार मनमाना कीमत ले रहे हैं.
जानकारी के अनुसार असम के केला की कीमत 150 से 350 रुपये घौद, पश्चिम बंगाल के केला की कीमत 200 से 400 रुपये, नौगछिया के सिंगापुरी की कीमत 150 से 250 तथा सर्वाधिक मांग वाले हाजीपुर के चम्पा की कीमत 300 से 500 रुपये घौद की है. पानीवाला नारियल 25 से 30 रुपये बिक रहा है.
आस्था पर महंगाई बेअसर बाजार में खरीदारों की भीड़ देख दुकानदारों ने छठ पूजा से जुड़े सामान के अलावा अन्य चीजों की भी मनमानी कीमत लगा ली है. नारियल, नींबू, आदी, अदरक, डाब निंबू, टोकड़ी, सूप(डगरा) सहित अन्य सामानों की कीमत मुंहमांगी ली जा रही है. इतना ही नहीं, रविवार सुबह से तो सब्जियों की कीमत भी बेतहाशा बढ़ गयी.
खरना के बाद बाजार लगभग बंद सा होने की स्थिति को भांप लोग आज से ही घरेलू सामान की खरीदारी में भी जुट गये हैं. सर्वाधिक मारामारी बाजार में कद्दू को लेकर हुई. सामान्य दिनों में 15 से 20 रुपये में बिकने वाली कद्दू की कीमत 40 से 50 रुपये थे.
छठ व्रतियों के लिए कद्दू की सब्जी की अनिवार्यता को देखते हुए दुकानदारों ने मुंहमांगी कीमत पर उसे बेचा. जेपी चौक पर सूर्य पूजा की तैयारी जोरों पर 19 वर्षों से यहां होती है सूर्य पूजा दरभंगा : जेपी चौक भगवानदास मुहल्ला में चार दिवसीय छठ पूजा की तैयारी जोरों पर है. वर्ष 1997 में स्थानीय लोगों ने इस पूजा का शुभारंभ किया. छठ पूजा समिति की ओर से चार दिवसीय इस अनुष्ठान में खरना के दिन जेपी चौक पर भव्य पंडाल में प्रतिमा स्थापित किया जाता है.
यह प्रतिमा प्रतीकात्मक होता है, क्योंकि इसकी पूजा-अर्चना प्राण-प्रतिष्ठा के साथ नहीं होती है. इस बार 16 से 19 नवंबर तक यहां सूर्य पूजा होगी. छठ पूजा समिति के अध्यक्ष गौड़ी शंकर एवं प्रधान महासचिव नवीन सिन्हा ने बताया कि वर्ष 1997 में छठ पूजा समिति की ओर से जेपी चौक से किलाघाट तक सड़कों की सफाई की गयी. अगले वर्ष से सूर्य प्रतिमा स्थापित कर पूजा शुरू की गयी. उन्होंने बताया कि जेपी चौक से खानकाह चौक तक छठ के विभिन्न प्रतीकों की प्रतिमाएं लगायी जाती है.
इस पूजा को सांप्रदायिक सौहार्द का मिसाल मानते हैं, क्योंकि इसमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से कई मुसलिम भी शामिल हैं. पूजा समिति के सदस्यगण खानकाह चौक से नगर निगम कार्यालय एवं किलाघाट (नदी घाट) तक वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था में भी लगे हैं.