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बाजार समिति : राजस्व प्राप्ति 30 लाख सालाना जनसुविधा पर फिर भी क्यों है शून्य खर्च

जलजमाव, गंदगी व कीचड़ से सना रहता है पूरा परिसर व्यवसाइयों को होती समस्या, प्रशासन बेखबर सदर : शिवधारा बाजार समिति से सलाना 30 लाख की आमदनी होती है, लेकिन सुविधा के नाम पर व्यवस्था शून्य है. परिसर के भीतर जल जमाव व कीचड़ से सने सड़क से लेकर सभी एप्रोच पथ जर्जर स्थिति में […]

जलजमाव, गंदगी व कीचड़ से सना रहता है पूरा परिसर

व्यवसाइयों को होती समस्या, प्रशासन बेखबर

सदर : शिवधारा बाजार समिति से सलाना 30 लाख की आमदनी होती है, लेकिन सुविधा के नाम पर व्यवस्था शून्य है. परिसर के भीतर जल जमाव व कीचड़ से सने सड़क से लेकर सभी एप्रोच पथ जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है.

सड़क में गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं. भीतर में बने कर्मचारी आवास से लेकर व्यापारियों के दुकानों एवं गोदामों की आधारभूत संरचना ध्वस्त होने के कगार पर है.

वर्ष 2006 के जुलाई में नीतीश सरकार द्वारा मार्केटिंग बोर्ड को निरस्त कर दिया गया. विभाग खत्म कर इसे कृषि विभाग में मर्ज कर दिया गया. बाजार समिति को अनुमंडल पदाधिकारी के हवाले कर दिया गया.

वहीं बोर्ड समिति के पदाधिकारियों एंव कर्मचारियों का समायोजन भी किया गया. लेकिन इससे सैकड़ों कर्मचारी प्रभावित हुए. वे आजतक सड़क पर भटकने को मजबूर हैं. साथ ही न्याय के लिए दर-दर को ठोकर खाने के लिए बाध्य हैं. डिपार्टमेंट को निरस्त करने के बाद आजतक एक भी राजनीतिक दल व प्रशासन इसपर ध्यान नहीं दिया.

वर्त्तमान में सड़क जर्जर रहने को लेकर खासकर वाहन चालक व मोटिया (मजदूर) को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. उन्हें भाड़़ा व मजदूरी नहीं मिलने से भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बाजार समिति प्रांगण में मोटिया मजदूरों का लगे चुनावी चौपाल में यह सारी बातें उभरकर सामने आया. सभी का कहना था कि आसन्न विधानसभा चुनाव में यह एक चुनावी मुुद्दा बनकर सामने आ सकता है.

कब सुधरेंगे हालात

लोगों के मन में एक बात बार-बार आती है कि आखिर इस समस्या का समाधान कौन और बक होगा? ऐसे तो व्यवसाय भी चौपट हो जायेगा.

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