फोटो:::::::अलीनगर: रोजा रखने की ललक हो तो मजहब की दीवार भी उसमंे आड़े नही आ सकती. जहां आज हर तरफ टूट फूट और नफरत की दीवार खड़ी करने की बातें हो रही है, वहीं राष्ट्रीय एकता और भाईचारे की तदबीरें भी कम नहीं हो रही. इसकी मिसाल बनकर सामने आया श्यामपुर गांव का युवक राजा पासवान. साधारण परिवार के राजा ने इसी वर्ष बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की परीक्षा मंे प्रथम श्रेणी मंे सफलता पायी है. उसने रमजान के पहले रोजे भी रखे थे और अपने घर इफ्तार किया था और फिर शुक्रवार को अलविदा के अवसर पर उसने रोजा रखा है. उससे जब पूछा गया की रोजा रखने की बात तुम्हारे दिमाग में कैसे आयी तो उसने कहा कि नन्हे-नन्हे बच्चों के अलावे बड़े बुजुर्ग रोजेदारों की मासूमियत ने रोजा रखने के लिये प्रेरित किया. उसने रोजा इसलिए भी रखा कि मजहब एक मजबूत व्यवस्था का नाम है न कि मजहब नफरत और भेदभाव की दीवार का. इससे आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ता है. उसने यह भी कहा कि रोजा रखने से उसके परिवार के सदस्य भी प्रसन्न हैं. वह अपने रोजा में अपने गांव से लेकर पूरे देश की खुशहाली के लिये दुआ करता है. उसने कहा कि भविष्य में और भी अधिक रोजे रखने का इच्छा है.
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हिन्दू युवक ने भी रखा रोजा
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