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जुलाई में शुरू होगी नामांकन प्रक्रिया
दरभंगा/बेनीपुर : ग्रामीण क्षेत्र में नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित अयाची मिथिला महिला महाविद्यालय बेनीपुर व बिरौल अनुमंडल का इकलौता महिला महाविद्यालय है. यहां इंटरमीडिएट एवं स्नातक स्तर के 37 विषयों का स्थायी संबंधन प्राप्त है. लनामिवि के संबद्ध इकाई के रूप में चल रहे इस महाविद्यालय में इंटरमीडिएट व स्नातक […]
दरभंगा/बेनीपुर : ग्रामीण क्षेत्र में नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्थापित अयाची मिथिला महिला महाविद्यालय बेनीपुर व बिरौल अनुमंडल का इकलौता महिला महाविद्यालय है. यहां इंटरमीडिएट एवं स्नातक स्तर के 37 विषयों का स्थायी संबंधन प्राप्त है. लनामिवि के संबद्ध इकाई के रूप में चल रहे इस महाविद्यालय में इंटरमीडिएट व स्नातक स्तर पर कला, विज्ञान व वाणिज्य की पढ़ाई होती है. सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से छात्राएं यहां नामांकन कराकर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं.
इतिहास के झरोखे में
1980 में विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू के प्रयास से इस महाविद्यालय की स्थापना संभव हो सकी. दस साल बाद 1990 में कॉलेज को 37 विषयों की पढ़ाई का स्थायी संबंधन प्राप्त हुआ. हालांकि स्थापना के 33 वर्ष बीत जाने के बाद भी अभीतक कॉलेज में एक भी विषयों में शिक्षकों का पद सृजित नही हो सका है.
इसके कारण सरकार के स्तर से प्राप्त होनेवाली अनुदान राशि से भी कॉलेज को वंचित रहना पड़ रहा है. यहां कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को साल में दो बार होली व दुर्गा पूजा में कॉलेज के आंतरिक कोष से अंशदान की प्राप्ति होती है.
शिक्षकों की उपलब्धता
कॉलेज में लगभग 4200 छात्राएं नामांकित हैं एवं 115 शिक्षक व 122 शिक्षकेतर कर्मी कार्यरत हैं. इतिहास में 7, राजनीतिशास्त्र में 6, समाजशास्त्र में 9, अर्थशास्त्र में 4, दर्शनशास्त्र में 2, मनोविज्ञान में 7, भूगोल में 4, अंग्रेजी में 3, मैथिली में 9, गृहविज्ञान में 9, संगीत में 3, प्राचीन भारतीय इतिहास में 4, मानवशास्त्र में 3, सांख्यिकी में 2, संस्कृत में 3, हिंदी में 4, उर्दू में 3, पत्रकारिता में 1, पुस्तकालय विज्ञान में 1, श्रम एवं समाज कल्याण में 2, पर्सियन में 1, ड्रामा में 1, गणित में 5, भौतिकी में 3, रसायनशास्त्र में 5, वनस्पति विज्ञान में 4, जंतुविज्ञान में 4 एवं वाणिज्य विषय में 7 शिक्षक कार्यरत हैं.
उपलब्ध संसाधन
इंटरमीडिएट व स्नातक के पारंपरिक विषयों के अलावा यहां पुस्तकालय विज्ञान, पत्रकारिता, ड्रामा, श्रम एवं समाज कल्याण जैसे महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध है.
हालांकि कॉलेज में संसाधनों का घोर अभाव है, बावजूद कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों की बेटियों को शिक्षादान करने में पूरी तरह जुटा हुआ है.
महाविद्यालय के सचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू कहते हैं कि महाविद्यालय की स्थापना में यहां के स्थानीय लोगों का सराहनीय योगदान रहा है पर आजतक किसी राजनेता ने कॉलेज को कोई सहयोग नहीं किया. महाविद्यालय अपने आंतरिक स्त्रोत से ही सारी व्यवस्था कर रही है. पदसृजन के संदर्भ में डॉ चौधरी ने कहा कि राज्य सरकार के पास संचिका विगत 25 वर्षो से लंबित पड़ी है.
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