बहेड़ी. बट सावित्री के मौके पर महिलाओं ने पूरी निष्ठा एवं परंपरा के अनुसार बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना की. खास कर नवविवाहित कन्याएं सज धज कर अपने गांव के नुक्कड़ एवं मंदिर के पास लगे बरगद के पेड़ में रक्षा सूत्र बांधकर अपने पति के दीर्घायु की कामना की. इस मौके पर महिलाओं ने गौड़ी एवं विशहारा के गीत गाये. उनसे मन्नते मांगी. वैदिक काल से चली आ रही इस परंपरा को अभी तक यहां की महिलाएं संजो कर रखे हुए है. वटवृक्ष की पूजा के बाद अंकुरित चना के साथ मिठाई का भी वितरण किया गया. नवविवाहित कन्याओं के ससुराल से इस मौके पर उपहार स्वरुप अंकुरित चना एवं मिठाई भेजी जाती है. जिसमें पके हुए आम एवं लीची की भी प्रधानता रहती है.
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परंपरागत तरीके से की वटवृक्ष की पूजा
बहेड़ी. बट सावित्री के मौके पर महिलाओं ने पूरी निष्ठा एवं परंपरा के अनुसार बरगद के पेड़ की पूजा अर्चना की. खास कर नवविवाहित कन्याएं सज धज कर अपने गांव के नुक्कड़ एवं मंदिर के पास लगे बरगद के पेड़ में रक्षा सूत्र बांधकर अपने पति के दीर्घायु की कामना की. इस मौके पर महिलाओं […]
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