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भागू, भागू ! फेर आयल भूकंप

बच्चे थे भयभीत, महिलाओं में खौफ, दहशत से रातभर नहीं आयी नींद दरभंगा : मंगलवार का दिन, घड़ी दोपहर के 12.35 बज रही थी. ठीक इसी वक्त धरती जोर से कांपने लगी. लोग घरों से बाहर भागे. जो कार्यालय में थे, वे भी जान बचाने की जुगत में लग गये. अस्पतालों में भर्ती मरीज भी […]

बच्चे थे भयभीत, महिलाओं में खौफ, दहशत से रातभर नहीं आयी नींद
दरभंगा : मंगलवार का दिन, घड़ी दोपहर के 12.35 बज रही थी. ठीक इसी वक्त धरती जोर से कांपने लगी. लोग घरों से बाहर भागे. जो कार्यालय में थे, वे भी जान बचाने की जुगत में लग गये. अस्पतालों में भर्ती मरीज भी अपनी जान बचाने को हरसंभव प्रयास कर रहे थे.
मरीजों की कौन कहे उनके इलाज में लगे कर्मी व चिकित्सक भी अपनी जान बचाने में जुटे थे. करीब 12.35 मिनट पर 7.3 तीव्रता की भूकंप के झटके ने समूचे जिला को हिलाकर रख दिया. हर ओर एक ही शोर था भागू भागू फेर आयल भूकंप. करीब एक मिनट तक जोर के झटको के साथ धरती कांपती रही. बच्चों की हालत ऐसी थी मानों काटो तो खून नहीं.
महिलाएं अपना कलेजा थाम जहां थी वहीं बैठ गयी. जब स्थिति थोड़ी संभली तो लोगों ने परिजनों का हाल चाल लेना शुरु किया, तो मोबाइल फोन ने भी साथ छोड़ दिया. आधे घंटे तक मोबाइल फोन मौन रहे. ऐसे में बेचैनी लोगों की बढ़ने लगी. हर कोई अपने अपनो की कुशल क्षेम पूछने को व्याकुल था.
बैंकों से निकलने में मची अफरातफरी
बहुमंजिली इमारतों में चल रहे कार्यालय और रह रहे लोगों के लिए मंगलवार का दिन दहशत भरा था. भूकंप के झटकों से खौफजदा लोग अपने घर में लौटने को तैयार नहीं थे. बैंकों के कर्मी करीब घंटे भर से ज्यादा सड़क पर रहकर स्थिति सामान्य होने की प्रतीक्षा कर रहे थे.
लहेरियासराय स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा के कर्मियों ने मुख्य पथ पर खड़े रहकर दहशत के माहौल को ङोला. उनके साथ अपने काम से पहुंचे उपभोक्ता भी थे. एसबीआइ की मुख्य दरभंगा शाखा की हालत तो और भी बदतर रही. तीन मंजिले भवन में संचालित इस बैंक की शाखा में भूकंप के समय करीब एक हजार लोग मौजूद थे. सभी हादसे के बाद नीचे की ओर भागे. मुख्य द्वार पर चैनल गेट कम खुला रहने के कारण अफरा तफरी मच गयी. जान बचाने की जुगत में हर कोई एक दूसरे को रौंदकर आगे की ओर भागना चाह रहा था. यहां महिलाओं और बूढ़ों को काफी परेशानी ङोलनी पड़ी.
और वकील साहब ने नहीं छोड़ा मुवक्किल का हाथ
कोर्ट में सुनवाई चल रही थी. अभी विपक्षी वकील ने बहस शुरु ही की थी कि भूकंप के झटकों ने सबों को हिला दिया. फिर क्या था कौन दलील देता और कौन सुनता. दलील देने वाले वकील साहब ने भागकर अपनी जान बचायी. मुवक्कील ने भी भागने में उनको पीछे छोड़ दिया.
हद तो तब हुई जब बाहर आने के बाद परिसर में इस आपाधापी में फीस को लेकर मुवक्कील और वकील में ठन गये. वकील साहब को लगा भूकंप की आड़ लेकर मुवक्कील बिना फीस दिये कहीं खिसक न जाये. सो वह मुवक्कील का हाथ पकड़ कर ही भागे. कोर्ट परिसर में अफरा तफरी का आलम था. जब भूकंप से कंपन हुई तो अपनी इजलास में बैठै न्यायाधीश महोदय ने भी बाहर का रुख किया. जब तक झटके शांत होते तब तक तो समूचा परिसर खाली हो चुका था.दूर दराज से आये मुवक्कील अपने अपने घरों की ओर परिजनों का हालचाल लेने को रवाना हो गये.

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