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भाई साहेब नहीं मिलेगा कनेक्शन

व्यवस्था से आजिज उपभोक्ता बीएसएनएल कर्मियों की कारगुजारियों से उपभोक्ता खासा परेशान हैं. कनेक्शन के लिए उन्हें बार-बार दौड़ाया जा रहा है. फिर भी बीएसएनएल का कनेक्शन नहीं मिल रहा है. सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार की योजनाओं की घोषणा तो की जाती है लेकिन उस पर अमल होता नहीं दिख रहा. दरभंगा : […]

व्यवस्था से आजिज उपभोक्ता
बीएसएनएल कर्मियों की कारगुजारियों से उपभोक्ता खासा परेशान हैं. कनेक्शन के लिए उन्हें बार-बार दौड़ाया जा रहा है. फिर भी बीएसएनएल का कनेक्शन नहीं मिल रहा है. सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार की योजनाओं की घोषणा तो की जाती है लेकिन उस पर अमल होता नहीं दिख रहा.
दरभंगा : एक जमाना था जब खराब नेटवर्क के लिए बीएसएनएल भाई साहेब नहीं लगेगा के रूप में कुख्यात हो गया था. आज स्थिति बदल गयी है. विभाग की लचर कार्यसंस्कृति के कारण अब लोग कहने लगे हैं कि यह महकमा अब भाई साहेब नहीं मिलेगा कनेक्शन हो गया है.
उल्लेख्य है, एक तरफ केंद्र सरकार लैंड लाइन उपभोक्ताओं को सुविधा मुहैया कराने व इसकी संख्या बढ़ाने के लिए नित्य नये स्कीम ला रही है, वहीं दूसरी ओर विभाग उपभोक्ताओं को कनेक्शन कटवाने के लिए विवश कर रहा है.
पुराने उपभोक्ताओं को सही सुविधा तो नहीं ही दे रहा है उल्टे नये कनेक्शन के लिए आने वालों का आवेदन भी नहीं ले रहा है. इससे जहां एक ओर उपभोक्ता परेशानी ङोल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर विभाग को चूना लग रहा है. इसके लिए विभाग के वरीय से लेकर कनीय सभी पदाधिकारी कहीं न कहीं शामिल हैं. विभागीय पदाधिकारियों की लापरवाह रवैये की वजह से लगातार विशेषकर बीएसएनएल के लैंड लाइन उपभोक्ताओं की संख्या कम होती जा रही है. यह सिलसिला पिछले एक दशक से अधिक समय से चल रहा है.
कनेक्शन के लिए आवेदन नहीं ले रहा विभाग
गुरुवार को अललपट्टी अवस्थित बीएसएनएल कार्यालय मेंदिलावरपुर के लोके श कुमार कनेक्शन के लिए पहुंचे. उन्होंने बताया कि करीब चार माह पहले अप्लाई किया था. अबतक उन्हें ब्रॉड बैंड की सुविधा नहीं दी गयी है. आज-कल कह दौड़ाया जा रहा है. इनके अतिरिक्त करीब एक दर्जन लोग पहुंचे. सभी लैंड लाइन व ब्रॉड बैंड कनेक्शन के लिए आवेदन जमा करना चाह रहे थे, किंतु इस टेबुल से उस टेबुल दौड़ाने के बाद सभी को वापस कर दिया गया.
कहा गया कि कैंप लगेगा तब कनेक्शन दिया जायेगा. विभाग का यह रूख सालों से है. हजारों मासिक वेतन लेनेवाले पदाधिकारी विभाग के व्यवसाय की तनिक भी चिंता नहीं कर रहे. बस जब इस तरह का मामला उठने लगता है तो खुद को सेफ करने की जुगत भिड़ाने में लग जाते हैं, लेकिन अपने दायित्व का निर्वाह नहीं करते. लिहाजा विभाग की साख के साथ ही इसका करोबार दोनों गिर रहा है. विभागीय सूत्रों की मानें तो प्राय: नित्य इसी तरह लोग पहुंचते हैं.
तीन माह बाद आये तीन घंटे के लिए
छह मई को करीब तीन महीने के बाद प्रभारी जीएम एसएस यादव यहां आये. आशा जगी कि वे आये हैं तो कुछ काम होगा, लेकिन हुआ यह कि चंद घंटे बाद ही वे वापस लौट गये. पिछले 80 दिन से आंदोलनरत बीएसएनएल के छंटनीग्रस्त कैजुअल मजदूरों की ओर भी तवज्जो नहीं दी. वे सभी वैसे ही धरना पर बैठे रह गये.
सांसद ने भी उठाया मुद्दा
विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर सांसद कीर्ति आजाद से कई बार उपभोक्ताओं ने शिकायत की. एमपी ने इस मुद्दे को केंद्र के सूचना एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद के समक्ष उठाया भी. इसमें स्थायी जीएम की पदस्थापना के साथ ही उपभोक्ताओं की परेशानी दूर करने को कहा गया. इसके बाद भी यहां इसका कोई असर नहीं पड़ा है. स्थिति जस की तस पड़ी है.
कम हो गये 10 हजार कंज्यूमर
उल्लेखनीय है, भारत का सबसे बड़ा उपक्रम भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) है. आरंभ काल में इसका उपभोक्ता बनने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगा करती थी, किंतु सही तरीके से सेवा नहीं दिये जाने के कारण समय के साथ परेशान उपभोक्ता इससे कटते चले गये.
यही कारण है कि वर्ष 2010 में जहां दरभंगा बीएसएनएल से 18 हजार 875 उपभोक्ता जुड़े थे, वह आंकड़ा फरवरी 2015 में 8 हजार 776 पहुंच गया. उपभोक्ताओं की संख्या कम होने का सिलसिला अनवरत जारी है.
प्रभारी जीएम के सहारे घिसट रहा महकमा
इसकी सबसे बड़ी वजह विभाग खुद है. कारण इतने बड़े संस्थान जहां महाप्रबंधक का पद है, वहां वषों से जीएम हैं ही नहीं. मुजफ्फरपुर के जीएम के अधीन यहां का भी प्रभार है. वे अधिकांश समय मुजफ्फरपुर में ही बिताते हैं. यहां महीनों बाद ही आते हैं.
सूत्रों की मानें तो जब कभी उनका आगमन होता भी है तो बस चंद घंटों में महज उपस्थिति दर्ज कराने के लिए विभाग के महत्वपूर्ण कार्य जस के तस पड़े रह जाते हैं.

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