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भगवान का बाल चरित्र मधुर व अनुकरणीय

दरभंगा . भगवान का बाल चरित्र मधुर, स्मरणीय व अनुकरणीय है. उनका ध्यान जीव को आनंद से भर देता है. इसलिए हमें इनका स्मरण करना चाहिए. यह बात सोमवार को प्रवचन करते हुए कोलकाता से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित वेदानंद शास्त्री ने कही. अललपट्टी अवस्थित विधायक ललित यादव के आवासीय परिसर में चल रहे […]

दरभंगा . भगवान का बाल चरित्र मधुर, स्मरणीय व अनुकरणीय है. उनका ध्यान जीव को आनंद से भर देता है. इसलिए हमें इनका स्मरण करना चाहिए. यह बात सोमवार को प्रवचन करते हुए कोलकाता से पधारे भागवत कथा मर्मज्ञ पंडित वेदानंद शास्त्री ने कही. अललपट्टी अवस्थित विधायक ललित यादव के आवासीय परिसर में चल रहे भागवत कथा के तीसरे दिन उन्होंने कथा प्रारंभ करते हुए शुकदेव व राजा परीक्षित संवाद पर प्रकाश डाला. राजा द्वारा पूछे गये जल्दी मरनेवालों की मुक्ति के उपाय के बावत शुकदेवजी के उत्तर के बारे में बताते हुए क्रम मुक्ति व सधोमुक्ति का वर्णन किया. सृष्टि विषयक प्रश्न पर विस्तार से चर्चा की. श्री शास्त्री ने भगवान के विभिन्न रूपों का वर्णन करते हुए सृष्टि रचना क्रम में ब्रहृमा की उत्पत्ति से संबंधित वाराह कथा सुनायी. इसके बाद तत्वज्ञान व मोश्रपद प्राप्ति का वर्णन किया. सती व शंकर चरित्र की भी व्याख्या की.

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