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कुछ समझ में नहीं आ रहा था, क्या हो रहा है

दरभंगा : वर्ष 1988 के बाद असरदार भूकंप का झटका शनिवार को महसूस किया गया. दिन के साढ़े ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर आयी इस भूकंप का पहला झटका इतना जोरदार था कि लोग कुछ समय के लिए अवाक रह गये. कुछ समझ नहीं पाये कि आखिर हो क्या रहा है. जैसे ही भूकंप का […]

दरभंगा : वर्ष 1988 के बाद असरदार भूकंप का झटका शनिवार को महसूस किया गया. दिन के साढ़े ग्यारह बजकर चालीस मिनट पर आयी इस भूकंप का पहला झटका इतना जोरदार था कि लोग कुछ समय के लिए अवाक रह गये.
कुछ समझ नहीं पाये कि आखिर हो क्या रहा है. जैसे ही भूकंप का अनुभव हुआ लोग घर से भाग कर बाहर आ गये. शहर में विभिन्न स्थानों पर लोगों ने भूकंप का झटका कैसे महसूस किया, उनका अनुभव कैसा रहा जानते हैं उन्ही ही भाषा में .
बालूघाट निवासी 60 वर्षीय शिवनारायण साह ने कहा कि 1988 से भी ज्यादा तगड़ा झटका था. पहला झटका ऐसा लगा मानो नींद में सोये व्यक्ति को झकझोर कर जगा रहा हो.
लालबाग के 50 वर्षीय विजय अग्रवाल ने कहा कि हमें तो कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह क्या हो रहा है. जीवन में पहली बाद इस तरह के भूकंप के झटके को देखा है. यह सब प्रकृति के साथ खिलवाड़ का नतीजा है. शुभंकरपुर के 45 वर्षीय प्रतुल कुमार ने कहा कि आज की तकनीक प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रही है. यह सब उसी का नतीजा है. अललपट्टी की संजना ने कहा कि ग्लोबल वार्मिग के कारण यह सब हो रहा है.
1988 में जब भूकंप आया था तो कड़कड़ाहट की आवाज थी, पर आज के भूकंप में कोई आवाज नहीं सुना गया. मुहम्मदपुर के 60 वर्षीय रिक्शा चालक रामचंद्र ने कहा कि धरती डोल गेलै मोन घबरा गेल. मारवाड़ी स्कूल के निकट रहनेवाले प्रदीप कुमार बैरोलिया ने दो दो बार जमीन हिली मन बेचैन हो गया.
झटका ऐसा था मानो अब प्रलय हो जायेगा. मौसम विभाग इसके अनुमान में विफल रहा. मधुबनी के बेनीपट्टी निवासी अनिल झा ने इसे कुदरत का कहर बताया. लालबाग निवासी शंभू मंडल ने इसे धरती पर बढ़ रहे पाप का परिणाम करार दिया. इमली गाछी गुल्लोबाड़ा निवासी परमेश्वर मंडल ने कहा कि ई तù बड़का भूकंप जकां छलै. टावर चौक निवासी राजेश्वरी देवी व किरण देवी ने कहा घर-द्वारि छोड़ हम सभ सड़क पर भागि कù ऐलीयै. कटकी बाजार जामा मस्जिद निवासी सौकत अली ने इसे कुदरत का कहर करार दिया.
वहीं लालबाग निवासी मो. एहसान ने कहा कि ऐसा जलजला आंखों के सामने देख सब बेचैन हो गये. इमली घाट निवासी विक्की कुमार ने कहा सबलोग घर छोड़कर खुले में भाग रहे थे. मौलागंज निवासी मो. नजीम हुसैन कहा कि भूकंप की तीव्रता अधिक होती तो क्या होता. रहमगंज निवासी मो. निसारुद्दीन, नसीरुद्दीन ने कहा भूकंप सुना था आंखों से पहली बार देखा.
सेनापत मुहल्ला निवासी बुजुर्ग सरस्वती देवी ने इसे बड़का भूकंप (1934 ) जैसा बताया. शिक्षिका जयललिता ने ऐसा पहली बार देखने और महसूस करने की बात बताई. जबकि राहुल दास, आराधना बनर्जी ने भूकंप को अधिक तीव्रता वाला बताया.

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