बिरौल. आत्मचिंतन करने से हमारी बहुत सी समस्या का समाधान हो जाता है. मनुष्य अपने कर्मों का भाग्य विधाता स्वयं है. ये बातें सुपौल बाजार स्थित + 2 ओंकार उच्च विद्यालय में गायत्री परिवार की ओर से मंडल सम्मेलन के दौरान हरिद्वार से आये हरिकिशोर भारद्वाज ने कही.
उन्होंने कहा कि जीवन का सत्य है मृत्यु! मरने के लिए प्रशिक्षण लेना चाहिए लोग मृत्यु से भागता है. कोई भी मरना नहीं चाहता है. मरना भी है तो कुछ समाज में ऐसा काम करें ताकि याद समाज को बार बार याद आते रहे.
व्यक्ति निर्माण, परिवार निर्माण एवं समाज निर्माण के सूत्रों क ो अपनाये हम बदलेंगे, युग बदलेगा. माता पिता एक नाव है जैसे कोई नाविक लोगों नौका पार करता है उसी तरह माता पिता अपने पुत्र-पुत्री सहित परिवार की नैया पार लगाते हैं. परंतु माता पिता का जीवन के अंतिम क्षणों में पुत्र अपने माता पिता का नैया पर नहीं कर पाता है. यदि आप अपने माता पिता को दुख देंगे यह अच्छा नहीं है. श्री महाराज ने कई संकल्प दिलाया इस मौके पर बृज किशोर प्रसाद, राम विलाश भारती, प्रदीप प्रधान, बिंदे सहनी, गोपाल प्रसाद साह, मुन्नी देवी, भारती कुमारी, गीता देवी, राधा देवी आदि उपस्थित थे.