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उतर बिहार में तेज हवा के साथ होगी हल्की बारिश

दरभंगा : मौसम में एक बार फिर बदलाव होने वाला है. किसान सावधान हो जायें. पांच और छह अप्रैल को उत्तर बिहार में तेज हवा के साथ हल्की बारिश हो सकती है. यह अनुमान है राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम परामर्शी सेवा केन्द्र का. अगले आठ अप्रैल तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में […]

दरभंगा : मौसम में एक बार फिर बदलाव होने वाला है. किसान सावधान हो जायें. पांच और छह अप्रैल को उत्तर बिहार में तेज हवा के साथ हल्की बारिश हो सकती है. यह अनुमान है राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम परामर्शी सेवा केन्द्र का. अगले आठ अप्रैल तक के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है कि पूर्वानुमान की अवधि में उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल देखे जा सकते हैं.
उत्तर बिहार के जिलों में पांच से छह अप्रैल के आसपास तेज हवा के साथ कहीं-कहीं हल्की वर्षा हो सकती है. हालांकि आमतौर पर मौसम के शुष्क रहने का अनुमान है. मौसम विभाग ने कहा है कि पूर्वानुमान अवधि में औसतन तीन से आठ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से पुरवा तथा कभी-कभी पछिया हवा चल सकती है. इस दौरान न्यूनतम तापमान 21 से 24 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है. अधिकतम तापमान के 33 से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का भी अनुमान लगाया गया है.
गेहूं फसल की कटनी व दौनी पर लगाएं ब्रेक
मौसम वैज्ञानिक ने किसानों के लिए जारी समसामयिक सुझाव में कहा है कि हल्की वर्षा की संभावना को देखते हुए तैयार गेहूं की फसल की कटनी तथा तथा दौनी का काम अभी न करें तथा कटे हुए फसलों को भींगने से बचायें. गरमा मूंग तथा उरद की बुआई 15 अप्रैल तक अवश्य पूरी करें. बुआई के पहले बीजों की राईजोबियम कल्चर से उपचारित कर लें. ओल की फसल की बुआई करें. बुआई के लिए गजेन्द्र किस्म अनुशंसित है.
प्रत्येक 0. 5 किलोग्राम के कन्द की रोपनी के लिए दूरी 75-75 सेमी रखें. रोपाई से पूर्व कटे कंद को ट्राइकोर्डमा भिरीडी के 5़0 ग्राम प्रति लीटर गोबर के घोल में मिलाकर 20-25 मिनट तक डुबोकर उपचारित करने के बाद लगायें, ताकि मिट्टी जनित बीमारी लगने की संभावना को रोका जा सके. गर्मी वाली सब्जियां जैसे भिंडी, नेनुआ, करैला, लौकी (कद्दू), और खीरा आदि की भी बुआई अविलंब करें. उसकी बुआई का समय निकलता जा रहा है. कीट नियंत्रण के लिए बसंतकालीन ईख तथा गरमा फसलों पर कीटनाशक एवं फफूंदनाशक दवाओं का व्यवहार करें.
खरपतवार रोग एवं कीट नियंत्रण के लिए पड़ती खेत की ग्रीष्मकालीन जुताई करें. प्याज की फसल में परपल ब्लौच रोग की निगरानी करते रहें. रोग के लक्षण पाये जाने पर आवश्यक्तानुसार डाईथेन एम-45 / 3 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. चिपकाने वाला पदार्थ जैसे टीपोल 1. 0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल में मिलावें. फलदार वृक्षों तथा वानिकी पौधों को लगाने के लिए अनुशंसित दूरी पर एक मीटर व्यास के एक मीटर गहरे गड्ढ़े बना कर छोड़ दें. हरा चारा के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा तथा लोबिया की बुआई भी करने का सुझाव दिया है.

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